Yakshini ek dayan - 6 in Hindi Fiction Stories by Makvana Bhavek books and stories PDF | यक्षिणी एक डायन - 6

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यक्षिणी एक डायन - 6

 

युग अभिमन्‍यु के सवाल का जवाब देते हुए कहता है – "ऑर्गेनिक खेती का स्‍टार्टअप।"

अभिमन्‍यु अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है – "क्‍या कहा खेती!!"

"खेती नहीं ऑर्गेनिक खेती दोनों में अंतर है, मैंने देखा है आज कल बड़े-बड़े बिजनेशमैन अपना सब कुछ छोड़कर ऑर्गेनिक खेती कर रहे है क्योंकि यह भी एक अच्‍छा बिजनेश है और मुझे यकीन है मैं भी कर सकता हूँ और इसे एक अच्‍छा स्‍टार्टअप बना सकता हूँ। "

"हाँ ये सब पता है मुझे पर तु ये बता तुझे खेती करनी आती भी है?"

"आती तो नहीं पर हाँ पर सीख जाऊँगा।"

"वो कैसे?"

"यार आज कल यू-टूब सब सिखा देता है लाईवसेसन भी होते है और वैसे भी इंटरनेट सिर्फ वॉटस्‍अप, इंस्‍टाग्राम फेसबूक यूज करने के लिए नहीं है समझा।"

"चल ये भी ठीक है, पर तु खेती करेगा कहाँ तेरे पास जमीन भी है खेती करने के लिए?"

"अभिमन्‍यु तू अंधा है क्‍या तुने ग्रेव्‍यार्ड कोठी के बाहर जो दो हैक्‍टेयर जमीन खाली है वो नहीं देखी क्‍या।"

"बेटा वो जमीन नहीं कब्रिस्‍तान है, तू शायद भूल रहा है तेरी ये ग्रेव्‍यार्ड कोठी कब्रिस्‍तान के ऊपर बनी है, तू कब्रिस्‍तान के ऊपर खेती करना चाहता है।"

"यार अभिमन्‍यु तू कैसी बाते कर रहा है, कोई दो हैक्‍टयर में कब्रिस्‍तान बनाता है क्‍या, हो सकता है बस ये कोठी कब्रिस्‍तान के ऊपर बनी हो, बाकी जगह ठीक हो और एक बात बता तु मेरा दोस्‍त है ना तो तुझे तो मुझे मोटिवेट करना चाहिए खेती करने के लिए कि मैं कुछ नया करने जा रहा हूँ इससे इम्‍लॉयमेंट भी बढ़ेगा और देश की तरक्‍की भी होगी, तू मुझे इतना डिमोटीवेट क्‍यों कर रहा है।"

अभिमन्‍यु को अपनी गलती समझ आ जाती है और वो कहता है – "सॉरी यार, मैं भूल गया था कि इसांन को नौकरी करने के नहीं बल्कि नौकरी देने के काबिल बनना चाहिए, तेरे इस काम में मैं पूरी तरह तेरे साथ हूँ बस तू एक आवाज लगाना कि क्‍या मदद चाहिए तुझे और मैं झट से हाजिर हो जाऊँगा।"

"शुक्रिया यार, जब तेरे जैसा दोस्‍त मेरे साथ है तो कोई भी चुनौती मुझे नहीं रोक सकती तो फिर काम शुरू करें।"

"कैसा काम?"

युग अपने चारों तरफ देखते हुए कहता है –"यार तू फिर भूल गया, कल रात में मैंने कहा था ना कि सुबह उठते से ही पहला काम यह करेंगे कि हवेली की सफाई करेंगे, दिख नहीं रहा कितनी धूल है यहां पर।"

"हाँ यार बात तो तेरी बिल्कुल सही है, पर तु खुद देख कितनी बड़ी हवेली है अगर हम दोनों दो दिन तक भी लगातार सफाई करते रहे तब भी पूरी धूल साफ नहीं होने वाली।"

"तो फिर क्‍या करे, तू चाहता है ऐसे ही धूल रहने दे सफाई ना करे।"

"अरे मेरे कहने का मतलब यह नहीं था।"

"तो फिर क्‍या मतलब था तेरा"

"मेरा मतलब था किसी को मदद के लिए बुला लेते है, दो-तीन लोग रहेंगे तो जल्दी हो जाएगी सफाई।"

"किसको बुलाएंगे कौन आना चाहेगा ग्रेव्‍यार्ड कोठी में?"

"यार तू भूल रहा है अपने पुराने यार अभी भी इसी गाँव में है, मैं उसे फोन करता हूँ।"

"उसे किसे?"

"कछुऐ को यार।"

"युग कुछ याद करते हुए कहता है –"ये तू वही कछुए की बात तो नहीं कर रहा जिसका असली नाम कछेन्‍दर था और वो सब काम धीरे-धीरे करता था इसलिए हमने उसका नाम कछुआ रख दिया था?"

"हाँ मैं उसी की बात कर रहा हूँ।"

"क्‍या ये अभी भी श्‍लो है बचपन की तरह?"

"जब तु मिलेगा तब खुद देख लेना।"

इतना कहकर अभिमन्‍यु अपना मोबाईल निकालता है और कछुए को फोन करने लग जाता है।

अभिमन्‍यु फोन पर बात करते हुए कहता है – "हाँ कछुए कहाँ पर है तू?"

फोन के अंदर से कछुए की आवाज आती है –"वो अभिमन्‍यु, मैं किशनोई नदी पर हूँ।"

"तू सुबह-सुबह किशनोई नदी पर क्‍या कर रहा है, तेरे घर में शौचालय नहीं बना है क्‍या जो सुबह सुबह हल्का होने नदी पर चले गया?"

"यार अभिमन्‍यु देख अभी मैं ना तेरे साथ मजाक करने के बिल्‍कुल मूड में नहीं हूँ।"

"यार तेरा दिमाग सुबह-सुबह इतना गर्म क्‍यों है, क्‍या हुआ?"

"यार यहाँ पर किशनोई नदी में एक बहुत बड़ा कांड हो गया है।"

"क्‍या कहा किशनोई नदी में कांड हो गया, पर क्‍या?"

"यार तू खुद आकर देख ले, मेरे तो खुद समझ नहीं आ रहा कि ये सब कैसे हो गया।"

इतना कहकर दूसरे साईड से फोन कट हो जाता है।

अभिमन्‍यु बात करते हुए कहता है – "हैलो अरे हैलो हुआ क्‍या यह तो बता दे।"

जैसे ही फोन कट होता है युग अभिमन्‍यु से पूछता है – "क्‍या हुआ, तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे है?"

"यार किशनोई नदी पर एक कांड हो गया है।"

"कांड हो गया पर क्‍या?"

"पता नहीं यार, पर मुझे डर लग रहा है।"

"डर लग रहा है पर क्‍यों?"

"क्योंकि यार कल रात अपन दोनों ही किशनोई नदी पर थे कहीं हम दोनों के जाने के बाद यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार तो नहीं बना लिया।" 

युग अभिमन्‍यु पर चिढ़ते हुए कहता है – "यार अभिमन्‍यु तू फिर शुरू हो गया, तेरी कहानी यक्षिणी पर ही शुरू और यक्षिणी पर ही खत्म क्यों होती है, ये भी तो हो सकता है कि नदी पर कुछ और हुआ हो।"

"यार युग तो फिर तू ही बता वहाँ पर क्‍या हुआ होगा"

"वो तो अब वहीं पर जाकर पता चलेगा।"

"चल फिर।"

युग और अभिमन्‍यु किशनोई नदी जाने के लिए निकलने लग जाते है वह दोनों ग्रेव्‍यार्ड कोठी के दरवाजे तक ही पहुँचे थे कि तभी अभिमन्‍यु की नज़र दरवाजे के बगल में रखी दो काली छतरी पर पड़ती है। 

अभिमुन्‍यु युग से कहता है – "एक काम कर युग ये छतरी भी रख ले।"

"छतरी पर क्यों, मैंने खिड़की से बाहर देखा था मौसम खुला हुआ है मुझे नहीं लगता कि बारिश होगी।"

"यार मैंने जितना कहा तू अभी बस उतना कर कोई सवाल मत कर समझा।"

"हाँ ठीक है।"

अभिमन्‍यु के कहने पर युग छतरी पकड़ लेता है और वो दोनों किशनोई नदी जाने के लिए निकल जाते है। 

जब वह दोनों किशनोई नदी पर पहुँचते है तो देखते है कि नदी पर बहुत सारी भीड़ जमा थी, ऐसा लग रहा था कि सारे गाँव के लोग वहीं पर इकट्ठा हो गये थे। भीड़ में अभिमन्‍यु कछुए को ढूँढ़ने लग जाता है।

अभिमन्‍यु अपना सिर खुजाते हुए कहता है – "यार इतनी भीड़ में कछुए को कैसे ढूँढ़े, एक तो उसकी छोटी सी हाईट ऊपर से दूबला पतला पता नहीं कहाँ पर फंस कर बैठा होगा इस भीड़ में।"

युग भी अपना सिर खुजाते हुए कहता है – "तू ये सोच रहा है कि कछुए को कैसे ढूँढ़े और मैं ये सोच रहा हूँ कि यहाँ पर इतनी सारी भीड़ आखिर जमा क्‍यों हुई है, जितना मुझे लगता है गाँव के मेले में भी इतनी सारी भीड़ जमा नहीं होती होगी।"

"हाँ सही कहा, मैं भी जबसे गाँव में आया हूँ पहली बार इतने लोगों को एक साथ देख रहा हूँ, मेरे समझ नहीं आ रहा कि यहाँ पर हो क्‍या रहा है, चल थोड़े पास चलकर देखते है कि हुआ क्या है शायद कुछ पता चल जाए।"

युग और अभिमन्‍यु भीड़ के अंदर घुसने लग जाते है वह दोनों अभी एक दो कदम ही चले थे कि उन्हें कछुआ दिख जाता है।

अभिमन्‍यु युग से कहता है – "यार वो देख कछुआ।"

"कहाँ पर यार?"

अभिमन्‍यु अपने राईट हैंड से सामने की ओर इशारा करते हुए कहता है – "अरे वो देखना सामने।"

"कहाँ यार मुझे तो दिख नहीं रहा, तुझे कहाँ दिख गया?"

अभिमन्‍यु कछुए को आवाज लगाते हुए कहता है – "कछुऐ ओ कछुए।"

अभिमन्‍यु के करीब बीस-पच्चीस कदम दूर पर ही एक दुबला पतला लड़का खड़ा हुआ था जो काली बनियान पहना हुआ था, रंग काला, छोटे-छोटे बाल। वह लड़का अभिमन्‍यु को देख लेता है और धीरे-धीरे कहता है – "अरे अभिमन्‍यु तू आ गया।"

अभिमन्‍यु कछुए को बुलाते हुए कहता है – "हाँ आ गया, जरा यहाँ पर तो आ।"

कछुआ धीरे-धीरे भीड़ को हटाते हुए अभिमन्‍यु के पास जाने लग जाता है। कछुआ इतने धीरे चल रहा था कि उसको देखकर ऐसा लग रहा था कि वो करीब आधे घंटे में अभिमन्‍यु के पास पहुँचेगा।

युग अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहता है – "यार ये तो अभी तक बचपन की तरह श्‍लो ही है, एक काम करते है हम ही इसके पास चलते है वरना ये तो कल तक यहाँ पर पहुँचेगा।"

"हाँ चल।"

युग और अभिमन्‍यु कछुए के पास चले जाते है।

कछुआ युग को घूरते हुए कहता है – "ये किसे ले आया अपने साथ, ये कौन है?"

कछुए के सवाल का युग कुछ जवाब देता उससे पहले ही अभिमन्‍यु बोलता है – "अरे इसको नहीं पहचाना, ये अपना युग है, अपना बचपन का दोस्त, भूल गया यही तो तुझे टीचर से मार खाने से बचाता था।"

"कछुआ कुछ याद करते हुए कहता है – "अच्‍छा ये युग है, ये कब आया?"

अभिमन्‍यु कछुए की बात को काटते हुए कहता है – "ये सब मैं बाद में बताता हूँ तुझे पहले मुझे तू ये बता यहाँ पर क्या हुआ है, इतनी सारी भीड़ क्‍यों जमा है?"

कछुआ अभिमन्‍यु का हाथ पकड़ते हुए कहता है – "यार मैं नहीं बता सकता क्योंकि तुझे पता है मेरा दिल बहुत कमजोर है तू खुद चलकर देख ले कि क्‍या हुआ है।"

कछुआ, युग और अभिमन्‍यु का हाथ पकड़ता है और भीड़ को साईड हटाते हुए उन्हें नदी के किनारे पर ले जाने लगता है। जब वो नदी के किनारे पर पहुँचते है तो वहाँ का नज़ारा देखकर युग और अभिमन्‍यु की आँखें फटी की फटी रह जाती है। नदी के किनारे पर करीब तीस-चालीस कौए मरे पड़े थे।

युग हैरानी के साथ कहता है – "ये क्या, इतने सारे कौओं की मौत कैसे हो गयी?"

अभिमन्‍यु कौओं को देखकर इतना परेशान हो गया था कि कुछ नहीं बोल पा रहा था।

कछुआ मरे हुए कौओं को देखते हुए कहता है – "वही तो युग, तुझे पता है कुछ सालो से हमारे गाँव में एक भी कौए नज़र नहीं आ रहे थे और आज दिखे भी तो वो भी इतने सारे वो भी ऐसी हालत में, मरे हुए।"

उन तीनों के पास कुछ आदमी खड़े हुए थे जो आपस में बाते कर रहे थे।

पहला आदमी कहता है – "उनी आउँ दैछिन, उसले संकेत गरे कोछ, मृत्‍यु को खेल सुरू भए कोछ।"

दूसरा आदमी कहता है – "तपाई सही हुनु हुन्‍छ उनी आउँ दै छिन, यी मृत्‍यु को पहिलो चिन्‍ह हुनु हुन्‍छ।"

युग हैरानी के साथ कहता है – "ये लोग आपस में क्‍या बात कर रहे है?" 

अभिमन्‍यु युग के सवाल का जवाब देते हुए कहता है – "ये लोग आपस में नेपाली में बात कर रहे है, तुझे तो पता है हमारे मेघालय में नेपाली, बंगाली, खासी असमिया, सिलेहटी, बोडो, बियाट, प्रार और हजोंग भाषाएं बोली जाती है।

युग अभिमन्‍यु पर चिढ़ते हुए कहता है – "यार मैंने तुझसे मेघालय की भाषा का इतिहास नहीं पूछा, मैं ये जानना चाहता हूँ कि ये आदमी आपस में क्‍या बाते कर रहे है, तुझे पता है ना मुझे नेपाली नहीं आती।"

"हाँ बता रहा हूँ चिढ़ क्‍यों रहा है, ये लोग आपस में बाते कर रहे है कि वो आने वाली है, उसने संकेत दे दिया है, मौत का खेल शुरू हो गया है, ये मौत का पहले संकेत है।"

युग हैरानी के साथ कहता है – "ये लोग किसकी बाते कर रहे है, कौन आने वाली है और उसने क्‍या संकेत दिया है?"

कछुआ धीरे से कहता है – "यक्षिणी, युग यक्षिणी आने वाली है, ये उसी ने मौत का संकेत दिया है।"

युग कुछ रिऐक्‍सन देता उससे पहले ही अभिमन्‍यु कुछ सोचते हुए कहता है – "युग मुझे लग रहा है ये सब हमारे कारण हो रहा है।"

"हमारे कारण पर कैसे?"

"यार देख कल रात ही हम दोनों ने ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा खोला और फिर सुबह होते ही इतने सारे कौओं का मरना ये कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता, आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।"

कछुआ अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है – "क्‍या कहा, तुम दोनों ने ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा खोला पर क्‍यों, तुम्‍हे पता नहीं है क्‍या ग्रेव्‍यार्ड कोठी यक्षिणी का दूसरा ठिकाना है, अब वो किसी को नहीं छोड़ेगी सब मर्दों को अपना शिकार बनाएगी।"

युग कछुए को समझाते हुए कहता है – "यार कछुए ऐसा कुछ नहीं है, मैं बताता हूँ ये कौऐ कैसे मरे, कल रात ना ये अभिमन्‍यु अपने साथ एक डिवाईस लाया था उसमें से आवाजें आ रही थी हो सकता है कि वही आवाजें वो सह नहीं पाये और उनकी डेथ हो गयी, तुझे तो पता ही होगा कि इन पक्षी पक्षियों पर मोबाइल की वेव का कितना असर पड़ता है।"

अभिमन्‍यु कहता है – "यार युग, अब तु सारा इल्जाम मेरे इलेक्‍ट्रोमैग्नेटिक डिवाईस के ऊपर मत लगा समझा, चल तेरे लिए मैं मान भी लेता हूँ कि ये कौए मेरे डिवाईस की आवाज से मरे पर तू बता सिर्फ कौए ही क्यों मरे और कोई पक्षु पक्षी भी तो मर सकते थे, जरा गौर से देख यहाँ पर जितने भी शव है सब कौओ के है।"

अभिमन्‍यु की बात सुनकर युग चुप हो जाता है क्योंकि उसके पास उसके सवाल का कुछ जवाब नहीं था। 

अभिमन्‍यु अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "ये संकेत है युग मौत के आने का पहले का, तुझे कौओ के बारे में नहीं पता क्‍या?"

"क्‍या नहीं पता?"

"यही कि हमारे हिन्‍दु शास्त्रों में कौए को यमराज का दूत कहा गया है, ऐसी मान्यता है कि कौआ यमलोक में जाकर पृथ्वी वासियों के विषय में चित्र गुप्‍तजी को सूचित करता है, यानी कौआ ही व्यक्ति के जिन्दगी में किये गये लेखे जोखे का हिसाब रखता है परंतु शगुन शास्त्र के अनुसार कौआ मात्र यमलोक में ही नहीं बल्कि हम इंसानों को भी धरती पर संकेत देकर हमारे आने वाले कल की भविष्यवाणी करता है और इतने सारे कोऔ की मौत संकेत है कि जल्‍द गाँव में बहुत सी मौत होने वाली है।"

कछुआ भी अभिमन्यु का साथ देते हुए कहता है – "हाँ युग ये अभिमन्‍यु बिल्कुल ठीक कहता है, मेरी दादी बताती है कि पुराने समय में यह परम्परा थी कि अगर किसी के सिर पर कौआ बैठ जाए और चोंच मार दे तो जरूर कुछ बुरा होने वाला होता है, आने वाली मुसीबत से बचने के लिए वह इंसान अपने रिश्तेदार को झूठा पत्र लिखकर अपनी मौत की जानकारी देता था।"  

"क्‍या! पर क्‍यों?"

"वो इसलिए क्योंकि मौत की झूठी खबर सुनकर उसके परिजन उसकी मौत का शोक करते थे और फिर उसी दिन दूसरा पत्र भेजा जाता था कि यह एक झूठी खबर थी, लिखते थे कि उसके सिर पर कौआ बैठ गया था मान्यता है कि झूठी खबर उडाने से कौए द्वारा लाया गया संकट दूर हो जाता है।"

युग अभिमन्‍यु और कछुए की बात को नकारते हुए कहता है – "अगर तुम दोनों को यह सब पता है तो क्‍या यह नहीं पता कि काकभुशुण्डि जी श्रीराम के परम भक्त थे उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान भी प्राप्त था। आज के जमाने में कौओं को काकभुशुण्डि का ही प्रतिरूप माना जाता है। माना, यह मान्‍यता है कि यदि कौआ किसी के सिर पर बैठ कर चोंच मार दे तो अशुभ होता है पर यह भी मान्यता है कि कौआ सिर्फ आपके सिर पर बैठे तो परम शुभ होता है। अब तुम दोनों ही बताओ हम कैसे पता लगाये कि कौआ हमारे सिर पर सिर्फ बैठा था या उसने चोंच मारी होगी।"

अभिमन्‍यु और कछुआ चुप ही रहते है। 

युग अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "देखो यार अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग मान्यता है किसी के धर्म के कौओं का दिखना शुभ माना जाता है तो किसी में अशुभ और किसी धर्म में तो कुछ फर्क ही नहीं पड़ता क्योंकि वो सब ये चीजे मानते ही नहीं है और मैं भी नहीं मानता, ये सब सिर्फ अंधविश्वास है और कुछ नहीं समझे तुम दोनों।"   

कछुआ डरते हुए कहता है – "यार तुझे नहीं मानना तो मत मान पर तुम दोनों ने ठीक नहीं किया ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा खोलकर, तुम्हें पता भी है ग्रेव्‍यार्ड कोठी का दरवाजा बंद करने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान दी थी।"

युग चौंकते हुए कहता है – "क्‍या कहा दरवाजा बंद करने के लिए लोगों ने जान दी थी पर क्‍यों?"