The Author Purnima Kaushik Follow Current Read विकलांगता......कोई अभिशाप नहीं By Purnima Kaushik Hindi Motivational Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books नफ़रत-ए-इश्क - 4 तपस्या के बारेमे सोच कर विराट एक डेवल स्माइल लिऐ बालकनी से न... Revenge by Cruel Husband - 3 तभी अभिराज ने चित्रा की तरफ देखते हुए कहा कि मुझे कौन सा शाद... स्पंदन - 7 ... शायराना फिज़ा... 3 - इत्तेफ़ाक o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o o~तेरा ज... My Wife is Student ? - 21 आदित्य के वहा से जाने के बाद स्वाति भी अंडर आ जाती हैं.... त... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share विकलांगता......कोई अभिशाप नहीं (5) 1.4k 3.8k जीवन में सुख और दुःख तो आते ही रहते है जैसे रात के बाद दिन और दिन के बाद फिर रात..... इसी तरह जीवन का हर क्षण बीतता है, इसी का नाम ही जिंदगी हैं | खुश रहो और खुशियां बांटो | जिन्दगी खुलकर जियो, अपने परिवार के साथ समय बिताओ अपनी हर बात को उनसे कहो, माता पिता का सम्मान और हमेशा एक आत्मविश्वास के साथ खुद से कहो कि मैं भी कर सकता हूं/सकती हूं | ऐसे अनेक लोगों की कहानियो को हम पढ़ते होगे और सुना भी होगा जो अपने शरीर की किसी भी परेशानी को बड़ा न मानते हुए अपनी मेहनत और लगन से उस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं जिसे पाना हर किसी के बस में नहीं होता | वो कोई अलग नहीं होते बल्कि वे भी सभी के साथ मिलकर चलना चाहते हैं, अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं, अपने सपनों को हकीकत में बदलने की पूरी कोशिश भी करते हैं और अंत में सफल हो जाते हैं, क्योंकि कहते हैं न कि, " लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, मेहनत करने वालो की कभी हार नहीं होती " | उन्हें बस एक मौका मिलना चाहिए खुद को साबित करने के लिए और फिर वे जुट जाते हैं नामुमकिन को मुमकिन बनाने में |हां , यह सत्य है कि कभी कभी हमारे जीवन में समस्याएं आकर हमें बुरी तरह घेर लेती है कि हम उससे बहुत अधिक परेशान हो जाते हैं......क्यों? आखिर क्या कारण है परेशान होने का? इसका यही एक कारण है कि हम अपने मन को मजबूत नहीं बना पाते, मस्तिष्क में सदैव हार जाने का डर और चिंताएं बनी रहती हैं | ये विचार किसी को भी विचलित कर सकते हैं उन्हें उनकी मंजिल से दूर ले जाते हैं | जितना हो सके इन सभी विचारों से दूर रहना चाहिए, इसके लिए आवश्यक है कि अपना मन को मजबूत बनाने के लिए योग किया जाए जो सभी के लिए परमावश्यक हैं और ऐसे लोगों के साथ समय बिताना चाहिए जिनसे कुछ सीखने को मिले तथा मस्तिष्क में अच्छे विचार उत्पन्न हो सकें | कई बार देखा जाता है कि जो व्यक्ति अपने शरीर से परेशान हैं उन्हें सब दया की नजरों से देखने लगते हैं, उन्हें बेचारा समझने लगते हैं, जो कि नहीं होना चाहिए | उन्हें दया की नजरों से नहीं बल्कि एक आम व्यक्ति की तरह ही समझा जाना चाहिए | उनसे बात करते हुए उन्हें यह न लगे कि वह सबसे अलग है, बल्कि यह लगे कि वह भी सबकी तरह है | हमें प्रयास करना चाहिए कि हम उनका उचित मार्गदर्शक बन सकें | उनकी जरूरत होने पर मदद भी कर सकें | उनको भी ईश्वर ने ही बनाया है और ईश्वर द्वारा बनाई गई किसी भी कृति को गलत कहना या उसे ठेस पहुंचाना गलत होता है, क्योंकि भगवान सभी के लिए अच्छा ही करते हैं | जो हारते नहीं, थकते नहीं लड़ते रहते है अपनी समस्याओं से , वो ही कहलाते हैं असली योद्धा | चलते रहना बस चलते रहना ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए | हार न मानते हुए, कोशिश करते हुए अपना कार्य करते हैं तभी वे सफल होते हैं | हंसकर जियो, मुस्कुराओ जियो....... लेकिन बिना किसी को तकलीफ पहुंचाते हुए | हमेशा खुश रहें और खुशियां बांटते रहें......... Download Our App