Bezubaan Ishq - 1 in Hindi Love Stories by Kartik Arya books and stories PDF | बेजुबान इश्क़ - 1

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बेजुबान इश्क़ - 1

एक लड़का जो खिड़की से बाहर की ओर झाँके जा रहा है। उसके चेहरो पर मुस्कुराहट सज रहा है। सजे भी क्यों न आज जो उसका 10th के एग्जाम का जो लास्ट दिन है । इसलिए आज वो बहुत खुश हैं। वो मन ही मन सोच रहा है। आज तो एग्जाम खत्म हो ही जाएगा और फिर होगा पार्टी। ये सब सोच के ही वो खुशी से झूम उठता है। अभी वो नाच ही रहा था कि उसके कानों में किसी की पुकारने की आवाज सुनाई देता है। 

 

 

सूरज! कहा हो यार। जल्दी करो हम लेट हो रहे हैं। पता है ना आज हमे एग्जाम सेंटर पे टाइम्स से पहले पहुचना है। क्योंकि आज एग्जाम सेंटर पे चेकिंग वगैर भी होगा। सूरज को आवाज पहचानते दे नहीं लगी। ये आवाज उनके दोस्त करण का था। जो उसे लेट होने के कारण नीचे से पुकार रहा था। 

 

अरे! यार डोंट वरी। हम अभी तुरंत आ रहे है। जल्दी जल्दी जूता पहनते हुए सूरज चिल्ला के कहता है। और हाथ मे बैग ले कर वो तेजी से सीढियों को कूदते फानते नीचे पहुंच जाता है। 

 

सूरज नीचे पहुंच कर देखता है कि सोनू और करण दोनों ही रेडी हो कर उसका ही आने का इंतजार कर रहा है। सूरज उनके पास जाकर थोड़े देर के लिए पास मे ही बने सीमेंट के सीढ़ी पर बैठ जाता है और हांफने लगता है। थोड़ी देर के बाद जब हांफना बंद हो जाता है तो सूरज करण को देखते हुए कहता हैं। यार करण! हमलोग का एडमिट कार्ड वगैरह तो ले लिया है न। कुछ छूटा तो नहीं…। हाँ ले लिया है यार! अब तुम चलो भी तो सही। हमलोग पहले से ही लेट है और तुम और भी लेट कर रहे हो। करण थोड़ा बनावटी गुस्से के साथ कहा। 

 

सूरज - ओह! स..सॉरी यार। तुम गुस्सा क्यों करते हो। देखना हमलोग टाइम्स से पहले ही पहुंच जाएंगे। 

 

 

रे! ढेर नौटंकी मत करो। अब चलो भी। सोनू हाथ पकड़ कर सूरज को उठाते हुए कहता है। और वहां से तीनों चल देता है। जब वे लोग गेट पर पहुंचता है तो गार्ड उन तीनों को हाथ के इशारे रोकते हुए कहता है। रुको! पहले गेट पास दिखाओ। गार्ड के हाथ का इशारा देख तीनों वही रुक जाते हैं। ये लीजिए अंकल! आपका गेट पास। सोनू अपने जेब से गेट पास निकाल कर गार्ड अंकल की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहता है। गार्ड अंकल सोनू के हाथ से गेट पास ले कर देखता है। अच्छा! ठीक है। अब तुमलोग जा सकते हो। हाथ में गेट पास को लेकर देखते हुए गार्ड अंकल कहते हैं। ठ...ठीक है न अंकल। कोई दिक्कत तो नहीं.. । सूरज गार्ड अंकल को देखते हुए थोड़े मजाकिया अंदाज में कह। वे तीनों वहाँ हँसते हुए निकल जाते हैं। 

 

 

**** दरअसल ये लोग स्कूल के हॉस्टल में रहता है। जब कभी कोई हॉस्टल से बाहर जाता है तो उसे बाहर जाने के लिए एक गेट पास देना पड़ता है। इसमें बच्चों का नाम और टीचर का सिग्नेचर होता है। और इसे गेट के पास खड़े गार्ड को देना होता है। इसे देखकर गार्ड उन बच्चों को बिना रोके बाहर जाने दे देता है। ****

 

 

 

थोड़े देर चलने के बाद वे लोग नैशनल हाईवे NH-57 पे पहुंचकर ऑटो आने का इंतजार करने लगते हैं। थोड़े ही देर के बाद उनलोगों को एक ऑटो आता नजर आता है। जब ऑटो नजदीक आता है तो सोनू अपने हाथ के इशारे ड्राइवर को ऑटो रोकने को कहता है। ड्राइवर ऑटो को पास आ कर रोक देता है। अरे भईया! कहां जाएंगे आपलोग। ऑटो ड्राइवर उन तीनों की ओर देखते हुए पूछता है। रामबाग! हमलोग को रामबाग जाना हैं। करण ऑटो ड्राइवर के पास जाते हुए बोला। 

 

 

बैठ जाइए। हम उधर ही जा रहे हैं। 

 

 

करण सूरज सोनू तीनों बीच वाले सीट पर बैठ जाते हैं और ऑटो आगे बढ़ जाता है। कुछ समय के बाद ऑटो रामबाग पहुंच जाता है। अंकल! अब रोक दीजिए। सूरज सामने की तरह देखते हुए ऑटो ड्राइवर से कहता है। ऑटो ड्राइवर ऑटो को साइड मे रोक देता है। तीनों ऑटो से उतर जाता है। अंकल! कितना हुआ। सोनू बैग से पैसा निकालते हुए कहा। 

 

ड्राइवर - जी! तीस रूपया। 

 

ये लीजिए अंकल! आपका तीस रुपया। सोनू हाथ बढ़ा कर रुपया देते हुए कहता है। ऑटो ड्राइवर रुपया ले कर आगे निकल जाता है। सोनू करण सूरज ये तीनों भी रोड को क्रॉस करके आगे बढ़ जाता है। आगे ही उनलोगों को एक बड़ा सा स्कूल दिखता है। वे लोग अपने एग्जाम सेंटर पर पहुंच चुका था। वहां पर स्टूडेंट लाइन बना कर खड़े थे और बारी बारी से चेकिंग करके उन्हें अन्दर भेजा जा रहा था। लो पहुंच गए एग्जाम सेंटर पे वो भी टाइम्स से बीस मिनट पहले ही। सूरज अपने हाथ में पहने घड़ी को देखते हुए कहता है और सामने लगे हुए लाइन की ओर देखने लगता है। अबे! पहुंच गए टाइम्स से पहले तो ठीक ही तो हुआ। अब चलो! लाइन में लगे हैं। करण सूरज की ओर एडमिट कार्ड बढ़ाते हुए कहता है। हां यार! वो तो ठीक है। कह तीनों अपना अपना एडमिट कार्ड ले कर लाइन मे खड़े हो जाते हैं। 

 

 

 

लगभग बीस मिनट के बाद उनलोगों की भी बारी आ जाती है। जो भी जेब में है बाहर निकालो। सूरज की ओर देखते हुए चेक करने वाले अंकल ने कहा। सूरज तुरंत अपनी जेब से कलम, पेंसिल, स्केल और आधार कार्ड निकलकर चेकिंग करने वाले अंकल के सामने कर दिया। फिर सिर से लेकर पांव तक चेक किया। कुछ नहीं मिला।तुम्हारा एडमिट कार्ड और आधार कार्ड दिखाओ। सूरज की ओर देखते हुए चेकिंग करने वाले अंकल बोले। अंकल! ये रहा मेरा एडमिट कार्ड और ये आधार कार्ड। सूरज सामने की ओर दोनों चीज़ दिखाते हुए कहा। ठीक है! अब तुम जा सकते हो। चेकिंग करने वाले अंकल सूरज को अंदर की ओर भेजते हुए बोले। सूरज अंदर चले जाता है। इसी तरह सोनू और करण भी चेकिंग होने के बाद अंदर चला जाता है। 

 

 

हैलो! तुम्हारा रूम कौन सा है। जब सूरज जाने लगता है तो उसे किसी मैडम की आवाज सुनाई देता है। सूरज पीछे मुड़कर देखता। वो देखता है कि एक मैडम उनके तरफ ही देख रहा है। सूरज समझ जाता है कि मैडम पूछ रहीं हैं आखिर कौन सा रूम मे जाना ताकि वे हमे उस रूम का रास्ता बता सके। जी.. जी मैडम! मेरा सीट एनसीसी ग्राउंड फ्लोर मे पड़ा है। सूरज मुस्कराते हुए कहता है। ओह! एनसीसी ग्राउंड फ्लोर। मैडम दोहराते हुए कहा। 

 

 

सूरज - जी! मैडम। 

 

 

अच्छा! ठीक है। तुम यहां से सीधे जाना और थोड़ा लेफ्ट लेकर मुड़ जाना। वहीं पर पहला रूम दिखाई पड़ेगा जो कि सीढ़ी के जस्ट लेफ्ट साइड में होगा। उसी मे जाओ। वही एनसीसी ग्राउंड फ्लोर है। मैडम हाथ के इशारे बताते हुए कहता है। थैंक यू! मैडम। कह सूरज बताए हुए दिशा की ओर चला जाता है। 

 

वहां पहुंच कर वो देखता है कि लगभग सभी स्टूडेंट अपने अपने सीट पर बैठे हुए हैं। अंदर जाने के बाद सूरज अपना सीट ढूँढने लगता है। ये 450.. 451.. 452.. इस तरह एक एक बेंच पर लिखे नंबर को पढ़ते हुए आगे बढ़ता है। तभी उनका नजर एक बेंच पर लिखे नंबर पर जाता है जिसमें लिखा था - 458। ओ तेरी! तो मेरा सीट यहां पर पड़ा है। सूरज अपने सीट वाले बेंच पर अपना एडमिट कार्ड रखते हुए कहता है। और फिर अपने बेंच को साफ कर बैठ जाता है। वो देखता है कि उसका सीट लास्ट से दो बेंच आगे पड़ा है। सूरज फिर अपना सिर नीचे कर झुक कर बैठ जाता है और सोचने लगता है। काश! आयशा मेरे पीछे बैठी होती तो मजा आ जाता। कुछ देर सोचने के बाद वो अपना सिर ऊपर करता है। चलो! देखते हैं अखिर हमारे आगे पीछे कौन बैठा है। बेंच पर कलम निकाल कर रखते हुए सूरज कहता है। और वो अपने सामने की ओर देखता है। कुछ देर आगे देखने के बाद फिर वो अपने पीछे देखता है। वो देखता है कि उसके आगे पीछे दोनों बॉय ही बैठा है। 

 

आज उसका लैंग्वेज का पेपर था। कुछ देर के बाद उस रूम में एक टीचर आंसर शीट लेकर प्रवेश करते हैं और आंसर शीट बाटना शुरू कर दिये। फिर बेल बजने के बाद सभी को ‍क्‍वे᠎स्‌चन्‌ पेपर बाँट दिया जाता है। सूरज नाम, रोल नंबर, उत्तर पुस्तिका संख्या, सेंटर का नाम ये सब भरने के बाद आंसर शीट पर लिखना शुरू कर देता है।