BALLU THE GANGSTER - 10 in Hindi Thriller by ANKIT YADAV books and stories PDF | BALLU THE GANGSTER - 10

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BALLU THE GANGSTER - 10

[ 5 साल बाद , नेहरू विहार, नई दिल्ली ]
[ राजेश - बल्लू तुम्हारे टेस्ट में मार्क्स अच्छे नहीं आ रहे, तुम्हे टूशन लगवाने की जरूरत है ! वरना ऐसे ही होता रहा तो तुम फ़ैल हो जाओगी ! ]
[ बल्लू - पापा, क्या टूशन करते रहते हो आप ! आपको पता है ना कि, मैं हज़ारो नहीं पूरी दुनिया में एक हूँ, मेरे दिमाग की बराबरी कोई नहीं कर सकता और टूशन वाला मुझ जैसी तेज तरार को क्या पढाएगा ! ]
[ 5 साल बाद , नेहरू विहार, नई दिल्ली ]
[ राजेश - बल्लू तुम्हारे टेस्ट में मार्क्स अच्छे नहीं आ रहे, तुम्हे टूशन लगवाने की जरूरत है । वरना ऐसे ही होता रहा तो तुम फ़ैल हो जाओगी । ]
[ बल्लू - पापा, क्या टूशन करते रहते हो आप । आपको पता है ना कि, मैं हज़ारो नहीं पूरी दुनिया में एक हूँ, मेरे दिमाग की बराबरी कोई नहीं कर सकता और टूशन वाला मुझ जैसी तेज तरार को क्या पढाएगा। ]
[ राजेश – तेज तरार तो ठीक है पर तु पहले ये बता कि ये अपना पड़ोसी विनय क्युं अपनी छत पर जामुन फेकता रहता है? कही तेरा इसके साथ कोई चक्कर तो नहीं। अगर ऐसा है तो मुझे बता दे , मैं तेरे साथ हूं। ]
[ बल्लू - पापा , आप ये क्या बात कर रहे है। लप्पू सा विनय है, बोलना उसे आवे ना , झींगुर सा लड़का है, उससे प्यार करूंगी मै , कुछ तो मेरे status का ख्याल रखो पापा। आप भी कभी भी कुछ भी सोच लेते हो। ]
[ बल्लू - नैन्सी , आजा , जल्दी छत पर चलते है, मौसम मस्त हो रखा है। ]
[ नैन्सी - हां , मुझे पता है तेरा। मौसम का तो पता नही पर तेरा मौसम बनाने का मन जरूर हो रहा है। तु ही चली जा, मै क्यो डिस्टर्ब करू ? ]
[ बल्लू - नही आना तो पड़ी रह यही गुफा जैसे घर मे, मैं तो चली। ]
[ सुनिल - छत पर कोई आए तो घर पर नीचे से calender देख आए कि आज अमावश है या नही क्योकि हमारे बगल की छ्त पर तो रोज चंद्रमा उगता है और उसका प्रकाश धरती के चंद्रमा से कही ज्यादा है। ]
[ बल्लू - सुनिल , तारीफ करने का ढंग कब सीखोगे तुम। चंदमा धरती को एक है, पर इस ब्रम्हांड मे असंख्य चंद्रमा है और तुम मेरी तुलना असंख्या चंद्रमाओं से कर रहे हो अर्थात मेरी जैसी असंख्या नायिकाए है। ]
[ सुनिल - अरे कहां की बात कहां ले गई तुम यार बल्लू , तुम्हारी तारीफ करूं तो उसमें भी तुम बीच मे भुगौल घुसा देती हो, भावनाओ को समझो। ]
[ बल्लू - वो सब तो ठीक है सुनिल । पर एक परेशानी है। दरअसल एक लड़का मुझे स्कूल मे परेशान कर रहा है। बहुत बदमाश है वो । ] .
[ सुनिल - बल्लू , तुम्हारी मम्मी मामा के से कब वापस आ रही है। ]
[ बल्लू - बात बदलने की जरूरत भी नही है सुनिल , मैं तुमसे कह भी नही रही कि तुम मुझे उस लड़के से बचाओ , उसके लिए मैं अकेली बहुत हूँ। बस तुम मेरे पापा से अपनी बात कर लेते तो अच्छा रहता। ]
[ सुनील - तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है। दुध के दांत टुटे नही तुम्हारे और पापा से बात करलो , बड़ी आई पापा से बात करने वाली। ]
[ बल्लू - मेरे दुध के दांत टुटे या नहीं ये तो पता नहीं , पर मैने कई लोगो की तोड़ी है और तुम्हारी भी टुट सकती है। मैं प्यार से बात कर रही तो ज्यादा Attitude मत दिखाओ वरना मै . . . ]
[ सुनीले - मै तो मजाक कर रहा था। बल्लू I दरअसल बात ये हें कि तुम्हारे पापा से बात करने का अभी कोई फायदा नही, जब हमारी उम्र होगी । मैं बात कर लुंगा और वे मान जाएगे । तुम बस ये बताओ कि आज रात का क्या प्लान है ? कही चले। ]
[ बल्लू - हां विनय भी नही है, तुम भी free होगे। चलते हैं कही। मैं जगह और समय बताती हुँ। ]