एपिसोड 12 ( रंजना जी का डर ! )
काश्वी के पेट पर बहुत ही ज्यादा गहरा ज़ख्म हो गया था | जिसकी वजह से काश्वी , को बहुत तेज़ बुखार हो गया था | ओर ये बुखार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था |
राघव खुद से बोला :: "शायद उस खंजर में ज़हर था | इसलिए काश्वी एक नागोएँ होने के बावजूद भी , ठीक नहीं हुई | ओर उल्टा बुखार बढ़ता जा रहा है |"
बहुत देर सोचने के बाद , राघव के मन में एक ख्याल आया | फिर वो खुद से बोला |
राघव :: "जनता हूँ , की कल काश्वी मुझे गलत समझेगी | लेकिन अभी यही सही होगा |" फिर एक गहरी सांस लेते हुए , राघव ने अपनी शर्त उतारी , ओर काश्वी के बगल में जाकर लेट गया | ओर धीरे से काश्वी को अपनी बाहों में लेते हुए , अपनी आँखें बंद क्र लीं |
आगली सुबह जब काश्वी की आंख खुली | तो वो एकच फील कर रही थी | खिड़की से आती तेज़ धुप काश्वी को एक अलग सा सुकून का एहसास दिला रही थी | जैसे ही उसने उठने की कोशिश की , उसे मानो ध्यान आया हो , की उसे तो घाव लगे थे || ओर कल रात का सारा मंजर काश्वी की आँखों के सामने घूमने लगा | तभी काश्वी को अपनी कमर पर एक भार सा महसूस हुआ | काश्वी ने अपनी गर्दन साइड को घुमाई तो राघव का मासूम चेहरा उसके चेहरे के बहुत करीब था |
राघव की लम्बी पलकें , पतले होंठ , सोते हुए राघव किसी मासूम बच्चे से कम नहीं लग रहा था | तभी मानो , काश्वी को कुछ एहसास हुआ हो , ओर उसने ध्यान से राघव को देखा | शर्ट लेस राघव को देखते ही , काश्वी जोर से चीलाई |
काश्वी :: "नहीं , ये , ये सब क्या है ?" काश्वी के चीखने की आवाज़ जैसे ही राघव के कानो में पहुंची , तो वो झटके से उठा , मानो उसे पता हो , की काश्वी अब उससे क्या पूछने वाली हो | तो एक ही सांस में , जल्दी जल्दी राघव बोला |
"मुझे गलत मत समझना | कल तुम्हे बहुत तेज़ बुखार था | वो कम भी नहीं हो रहा था | तो मेरे पास कोई आप्शन नहीं था | भरोसा करो ,मैंने कुछ भी नही किया तुम्हारे साथ | प्लीज़ मुझे गलत मत समझो |" राघव की बातें सुनने के बाद , काश्वी ने अपने सीने पर हाथ रखा ओर , एक गहरी सांस ली |
फिर मानो उसे ध्यान आया हो | की कुछ तो गलत है | वो यहाँ कैसे आई | जहाँ तक उसे याद था , वो तो जंगल में थी | ओर घायल होने के बाद ,
काश्वी मन ही मन :: "घायल , मुझे तो पेट पर घाव लगा था |" काश्वी सोचते सोचते खुद को ध्यान से देखने लगी | ख़ास क्र , जहाँ उसे घाव लगा था | वहां पर | पर अब वहां घाव का कोई नामो निशाँ भी नहीं था | काश्वी सोच में पद गई | की खंजर बहुत अंदर तक घोपा गया था उसे | तो ज़ाहिर सी बात है , की घाव भी बहुत ज्यादा गहरा होगा | उस समय तो काश्वी को कुछ पलों के लिए लगा था , की उसके बचना भी नामुमकिन है अब | पर अब , अब तो मानो उसे कभी चोट ही नहीं लगी हो |
काश्वी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था | राघव जनता था , की काश्वी के जेहन में बहुत सारे सवाल होंगे | पर राघव ये भी अच्छे से जनता था , की वो काश्वी के सारे सवालों के जवाब नहीं दे सकता है | तो वो फिर आगे बोला |
राघव :: "जब कल मैं ऑफिस से आया | तो तुम सो रही थी | फिर मेरा ध्यान गया की , तुम बुरी तरह कांप रही हो | चेक करने पर देखा तो तुम्हे बहुत तेज़ बुखार हो रखा था |"
राघव की बात सुन , काश्वी को ये तो यकीन हो गया की राघव को उसकी सचाई पता नहीं है | पर अब एक सवाल ओर था | आखिर काश्वी घर तक पहुंच कैसे ? क्यूंकि वो तो जंगल में ही बेहोश हो आगी थी | राघव जनता था , की की अगर काश्वी ने ज्यादा सोचने की कोशिश की , तो काश्वी की दिव्य शक्तिया उसे बता देंगी की वो कल यहाँ कैसे पहुंची | तो जल्दी से राघव बोला |
"चलो उठो भी अब |वैसे भी आज , हमे कुल देवी के मंदिर जाना है |"
काश्वी हैरान होते हुए बोली :: "क्या कुल देवी के मंदिर ?"
तो राघव बिस्तर से उठते हुए , बोला :: "हाँ , माँ ने कहा है | की हम दोनों को मंदिर जाकर आशीर्वाद लेना है |"
तो काश्वी जल्दी से बोली :: "पर मेरा कॉलेज .." राघव ने काश्वी की बात को बीच में ही काटते हुए कहा |
"आज सन्डे है मैडम |" राघव की बात सुन , काश्वी ने अपना सर पीट लिया | ओर हस्ते हुए बोली |
"अरे हाँ , ध्यान ही नहीं रहा की आज तो सन्डे है |" फिर काश्वी भी जल्दी से उठी , राघव जिम चला गया | ओर काश्वी जल्दी से फ्रेश होने चली गई |
नहाते समय भी काश्वी के दिमाग में एक सवाल चल रहा था |
"कल रात उस गुफा के राज़ का तो पता चल गया | लेकिन , उस खुशबू का पता नहीं चला | जो मुझे सपने में आई थी | ओर फिर माँ से भी |" काश्वी को ये समझ में नहीं आ रहा था , की आखिर सपने वाली खुशबू का लिंक क्या है , माँ की खुशबू से | पर फिर जल्दी से तैयार होते हुए , जब काश्वी मिरर के सामने रूम में खुद को देख रही थी , तो उसे अपने नागिन रूप का ख्याल आया |
काश्वी को अभी तक भरोसा नहीं हो रहा था , की वो एक इच्छाधारी नागिन है | ओर फिर काश्वी अपनी शादी के पलों को याद करने लगी | कितना अजीब है न , एक लड़की , जिसने अपनी शादी के लिए इतने सपने बुने थे | अचानक से एक अनजान से शादी कर लेती है | वो भी बिना किसी मकसद के | काश्वी को अभी तक अपने नागिन होने के मकसद के बारे में कुछ भी नहीं पता था |
कुदरत उससे खद अपने काम करवा रही थी | ओर काश्वी बस काम कर रही थी | पर अब काश्वी के सवालों ने उसके दिल में तूफ़ान पैदा कर दिया था | ओर जल्द ही अगर ये तूफ़ान शांत नहीं हुआ , तो ना जाने कितनों को ले डूबेगा |
जल्दी से तैयार होने के बाद , काश्वी निचे हॉल में आइ | तब अंजना जी ने काश्वी के पास एक थैली तमा दी | ओर काश्वी से बोलीं |
रंजना जी :: "बहु , ध्यान रहे की ये पोटली खुले ना | इसमें तुम्हारी शादी का कुछ सामान है | जिसे तुम्हे ओर रघु को मंदिर में चढ़ाना है |"
घर पर प्यार से सभी राघव को रघु कहकर बुलाते थे | तो काश्वी ने रंजना जी का आशीर्वाद लिया , ओर जैसे ही जाने को हुई | रंजना जी ने फिर से काशी को रोकते हुए कहा | "कुले न बेटा | वरना अप्शुग्न हो जायेगा |" काश्वी ने हाँ में अपना सर हिला दिया | ओर फिर दोनों मंदिर के लिए निकल गया |
पर नाजाने क्यूँ रंजना जी का का जी घबरा रहा था | मानो कुछ बुरा होने वाला हो | तो उन्होंने अपने हाथ जोड़े | ओर भगवान् से प्रार्थना करते हुए बोलीं |
रंजना जी :: "हे भोलेनाथ , मेरे बच्चों की रक्षा करना | दोनों अच्छे से अपनी पोजा क्र घर वापिस लौट जाएं |" ओर फिर मंदिर में जैसे ही दिया जलाने गईं , तो तेज़ हवा से दिया बुझ गया | जिससे रंजना जी ओर भी ज्यादा घबरा गईं | पर राजीव जी ने उनके कन्धों पर हाथ रखते हुए , रंजना जी को डलास देने के लिए कहा |
राजीव जी :: "घबराओ मत | बच्चे बिलकुल ठीक होंगे | कुछ बुरा नहीं होगा बच्चो के साथ |" फिर दोनों अपने कमरे में चले गये |
तो क्या लगता है दोस्तों , क्या होगा आगे इस कहानी में ? क्या रंजना जी का डर किसी तूफ़ान की ओर इशारा कर रहा है ? या ये सिर्फ उनका कोई वेह्म है ? आखिर सपने वाली खुशबू का रंजना जी से क्या लिंक है ? क्या काश्वी अपने सवालों के जवाब जान पेयागी ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |