कहने को तो हम बरसों पहले आजाद हो चुके ।
पर देखा जाए तो हम आज तक गुलाम है ।
ये बात सही है हमे आजादी मिली है ।
पर किस चीज से अपनी परंपरा से ।
अपनी भावना ओ से ।
अपने संस्कारों से ।
मा की ममता से ।
मा के पालव से ।
बाप की छाव से ।
भाई के प्यार से ।
बहन की राखी से ।
बचपन मे खेल - कूद से ।
हमारे होते त्योहार से ।
हमारे रीत - रिवाज से ।
हमारी सारी अच्छी वस्तु ए अंग्रेज लेकर चले गए ।
ओर बदले मे उनकी घिसी पिटी अंग्रेजी ओर पतलून हमे देकर चले गए ।
ना चाहते हुए भी हम आज भी उनके गुलाम है ।
कैसे जानते है ।
कॉलगेट कहा का विदेश का ।
ब्रूस कहा का विदेश का ।
कपड़े कहा के महेंगे विदेश के ।
ऐपल फोन कहा का विदेश का ।
जब सब कुछ विदेश का है तो हमे आजादी की क्या जरूरत ।
आखिर रहेना तो उनका गुलाम ही है ।
ok twitter कहा का ।
इंस्टाग्राम ओर फेसबूक कहा के ।
सब विदेश के तो हम कैसे आजाद हुए यार ।
जब की हमारी 90 % चीजों पर उनका अधिकार है ।
अगर वो चाहे तो हमे कल ही अपना गुलाम बना शकते है ।
जरा सोचिए ।
आजादी शब्द मात्र हमे कहेने को मिला है ।
लेकिन आज भी हम उनके ही गुलाम है ।
ओर उनकी ही गुलामी कर रहे है ।
कैसे ।
जरा गौर कीजिए ।
हम घंटों तक मोबाईल चलाते है ।
किस के लिए उनके लिए ।
अंग्रेज के लिए ।
पता है क्यों क्योंकि वो पैसा भारत मे नहीं बल्कि विदेश मे जाता है ।
ज्यादातर सोसियल मीडिया उनकी है ।
वो हमे मीठा जहेर दे रहे है ।
ताकि वो पहेले हमे लत लगाए ओर फिर जब उसकी आदत न छूटे तो ।
वो इस कमजोरी का फायदा उठाकर हमसे पैसे हड़प शके ।
आज वो हमे विडिओस बनाने के लिए रुपये दे रहे है ।
पर कल ऐसा भी हो शकता है की ।
वो हमारी विडिओस के साथ छेड़छाड़ भी कर शकते है ।
फिर हमे उन्हे न अपलोड करने के लिए रुपये देने पड़े ।
जरा सोचिए ।
जरा सोचिए ये हमारे युवाधन पर इन्डारेक्टली हमला बोला जा रहा है ।
ये सोसियल मीडिया अटेक कोरोना ओर केन्सर से भी खतरनाक है ।
इससे सोचने ओर समजने की शक्ति कम हो जाती है ।
चीड़ - चिड़ापन आ जाता है ।
मेमरी लॉस ओर भी अनेक नुकशान है ।
जिससे इस देश का युवा नकारा बन जाए ओर देश की अर्थ व्यवस्था भी गिर जाए ।
कितनी पैचीदी प्लानिंग है इनकी ।
ओर हम शोक से गुलाम हो रहे ।
हमे सही माईने मे आजादी किशसे चाहिए ।
सोसियल मीडिया से ।
आजादी चाहिए इंस्टाग्राम ओर फेसबूक से ।
आजादी चाहिए व्हाट्सअप से ।
पर इसका अर्थ ये नहीं के हम इसका इस्तेमाल बंध करदे ।
पर सोच - समज कर करे ।
ना जरूरत से ज्यादा न कम ।