Informant Novel Complete - Dr G K Saxena in Hindi Book Reviews by राज बोहरे books and stories PDF | मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना

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मुखबिर उपन्यास मुकम्मल- डॉ जी के सक्सैना

राजबोहरे:मुखबिर उपन्यास चंबल का उपाख्यान है- डॉक्टर गोपाल किशोर सक्सेना
हर ताकतवर आदमी के लिए मुखबिर की फौज चाहिए होती है |वह हर कीमत पर मुखबिर ढूंढता है |कभी पैसे के लालच से, तो कभी डरा धमका के अच्छे भले आदमी को मुखबिर बना लेता है वह| यही मुखबिर तो असली लड़ाई लड़ते हैं |जीते कोई, मरता मुखबिर है| यहां तक कि पूरे गांव के गांव मुखबिरी कर रहे हैं| पुलिस या डाकुओं में से किसी ना किसी का |जो मुखबिर नहीं है वह पिटता है दोनों के बीच|
राजनारायण बोहरे के कहानी संग्रह इज्जत आबरू तथा गोष्ट तथा अन्य कहानियां वागीश्वरी पुरस्कार एवं साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश का सुधा कुमारी चौहान पुरस्कार प्राप्त पुस्तकों के बाद एक बिल्कुल नई विषय वस्तु लिए हुए हैं यह उपन्यास| रामकुमार भ्रमर तथा मनमोहन कुमार तमन्ना ने डाकुओं के जीवन पर उनके कृत्यों पर उनकी स्थिति पर उपन्यास लिखे हैं| उनसे सर्वथा अलग राजनारायण बोहरे का यह उपन्यास एक नितांत नई सोच को अभिव्यक्ति देता है| कथाकार पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से विक्रय कर विभाग में कार्यरत है |वह कई बार विक्रय कर दुर्धर्ष , दुर्गम और माफिया डॉन किस्म के लोगों से उसका पाला पड़ा है| नौकरी में तैनाती के द्वारा प्रभावित क्षेत्रों और वहां के लोगों के करीब रहने का अवसर भी मिला है |यह उपन्यास लिखने की प्रेरणा भी संभवत उन्हें वहीं से मिली है | श्याम बाबू घोसी दयाराम दस्युओं की यथार्थ और कल्पना मिश्रित कथा है |इस कथा में कथाकार ने यह सत्य भी प्रामाणिकता के साथ पारित किया है कि क्योंकि हर मुहिम में चाहे वह पकड़, अपरहण हो ,डकैती हो, औरत हो, पुलिस की गतिविधियां हो, खाने पीने का जुगाड़ हो; हर एक मुखबिर की भूमिका बहुत अहम होती है| नायक नायिका विहीन इस उपन्यास का कथा सूत्र बिखरा-सा है|
कथाकार का उद्देश्य बीहड़ के जीवन को रेखांकित करने के साथ सामाजिक परिदृश्य जोड़ना भी है |वस्तुतः मुखबिर उपन्यास आतंक का पर्याय नहीं है| वह समाज का एक ऐसा उपाख्यान है ,जिसे पढ़कर मानवीय संवेदना भी उपजती है| नई दिल्ली के प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित 185 पेज का यह उपन्यास बेंडिट क्वीन की तरह का त्रासदी पूर्ण दृश्य विधान प्रस्तुत करने में सफल हैं। दस्युओं के बहुरंगी जीवन के पक्षों के साथ मुखबिर अपने पूरे वजूद के साथ उपस्थिति दर्ज कराता है यही मुखबिर इस उपन्यास को अर्थवत्ता प्रदान करता है |
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राजनारायण बोहरे
जन्म
20 सितम्बर 1959 अशोकनगर मप्र
शिक्षा
विधि और पत्रकारिता में स्नातक एवं हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है
कहानी संग्रह- 1 इज्ज़त-आबरू 2 गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ 3 हादसा 4 मेरी प्रिय कहानियाँ 5 हल्ला कुल पांच कहानी संग्रह
उपन्यास-1 मुखबिर 2 अस्थान 3 आड़ा वक्त 4 दतिया@46 कुल चार उपन्यास
बाल उपन्यास- 1 बाली का बेटा 2 रानी का प्रेत 3 गढ़ी के प्रेत 4 जादूगर जंकाल औऱ सोनपरी
5 अंतरिक्ष में डायनासोर कुल पांच उपन्यास प्रकशित
बाल कहानी संग्रह 1 आर्यावर्त्त की रोचक कथाएँ
सम्प्रति – असिस्टेंट कमिश्नर जी एस टी से स्वेच्छिक सेवा निवृत्ति बाद स्वतंत्र लेखन करते हैं
सम्पर्क – 89, ओल्ड हाऊसिंग बोर्ड कोलोनी, बस स्टैण्ड दतिया mp 475661
Mobile 9826689939
Email- raj.bohare@gmail.com