भाग ८
अब तक आपने देखा की शिवन्या ने अपने पिताजी से इनाम में नगर यात्रा करने की इच्छा जाहिर की ओर राजा ने कहा आप जरूर जा सकती हो अब आगे की कहानी देखते है।
राजा विलम ने सैनिक से कह कर शिवन्या के लिए रथ निकलवाया जिसमे शिवन्या ओर उसकी सुरक्षा के लिए दो सैनिकों को भेजा राजा ने। अब राजकुमारी जट से दौड़ कर रथ के ऊपर चढ़ गई वह नगर यात्रा करने के लिए बहुत ही बेताब थी, सैनिक भी रथ में चढ़ गए सारथी ने रथ आगे बढ़ाया और शिवन्या की पहली नगर यात्रा शुरू की। सारथी रथ को नगर के अंदर ले जाता है, नगर में राजकुमारी शिवन्या को देख कर प्रजा जन बहुत ही खुश थी।
शिवन्या ने देखा नगर में पक्के से ज्यादा कच्चे घर बने हुए थे उसने देखा एक ही छोटे से कमरे में ४–५ परिवार के लोग रह रहे थे ,
रथ आगे बढ़ रहा था तभी एक घर के अंदर से एक वृद्ध अम्मा की चिल्लाने की आवाज आई दरवाजा खुला भी था घर का, राजकुमारी शिवन्या ने देखा की घर के अंदर एक आदमी अपनी मां के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा उसने अम्मा को धक्का मार कर जमीन पर गिरा दिया था। शिवन्या ने रथ रुकवाया सैनिक ने पूछा राजकुमारी जी आप कहा जा रही है तब उसने कहा उस घर में वह आदमी एक वृद्ध अम्मा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है में जाति हु।
तब सैनिक राजकुमारी को रोकते हुए कहता है राजकुमारी जी वह उनका निजी मामला है आप को उस घर में नही जाना चाहिए , तब शिवन्या ने कहा अगर राज्य में कोई भी ऐसा दूर व्यवहार किसी के साथ भी करेगा तो वह दंड के पात्र होगा, राजकुमारी रथ से उतर कर उस घर में गई राजकुमारी को अचानक घर में देख कर वह आदमी पूरा भयभीत हो गया और वह अम्मा राजकुमारी के पैरो में गिर कर रोती है । राजकुमारी ने अम्मा को उठाया और कहा छोटी हु में आपसे आप मेरे पैर पकड़ कर मुझे शर्मीदा कर रही है प्यारी अम्मा। राजकुमारी ने उस आदमी को कहा तुम्हे शर्म नही आती अपने ही मां पर ऐसे हाथ उठाते हुए, वह आदमी कहता मुझे माफ करना राजकुमारी अब से कभी ऐसा नहीं होगा ।
शिवन्या ने कहा अगर अब तुम ऐसा कुछ करते दिख गए तो में पिताजी से कह कर राज्य से ही निकलवा दूंगी ऐसे बोल कर शिवन्या ने नगर यात्रा फिर शुरू की की वह बहुत कुछ देखती जा रही थी ओर आगे गई तो उन्हों ने देखा उसकी उमर की कई लड़कियां आंख मिचौली खेल रही थी राजकुमारी का भी खेलने का मन कर गया, उसने फिर से रथ रुकवाया ओर वह उन लड़कियों के पास गई उन सब की मां भी बाजू में बैठी थी राजकुमारी को आते देख उन सब ने खेलना रोक दिया और उन सब ने शिवन्या को प्रणाम किया, लड़कियों की सब मां ओ ने कहा राजकुमारी शिवन्या आप हमारे यहां पधारी हम बहुत खुशनसीब है , तब शिवन्या ने कहा अरे माई ऐसा कुछ नहीं है में कोई भगवान थोड़े ही हूं की आप मुझे देख कर खुशनसीब हो गई में तो यहां आपकी बेटियो को खेलता देख उनके साथ खेलने आई हु वो क्या है ने मेरे तो कोई दोस्त भी नही बने अभी तक ।
राजकुमारी ने कहा अरे लड़कियों मुझे देख कर खेलना बंध क्यों कर दिया क्या में तुम सब के साथ नहीं खेल सकती। तब सब ने कहा क्यों नहीं राजकुमारी आपके साथ तो खेलने में तो हमे बहुत आनंद मिलेगा , शिवन्या ने वहा बहुत खेला ओर उनको उनकी सखियां भी मिल गई, शिवन्या को आज तक इतना आनंद कभी नहीं आया था ।फिर थोड़ी देर बाद शिवन्या ने एक घर में देखा एक लड़की उसके घर की खिड़की में से हम सबको खेलता देख रही थी वह उदास लग रही थी ओर उसका खेलने का मन भी हो रहा था , शिवन्या तुरंत उस लड़की को मिलने उस घर में गई। उसकी माई खाना बना रही थी जब उन्हों ने देखा राजकुमारी शिवन्या आई है तो वह दंग रह गई । माई ने कहा अरे राजकुमारी आप मेरे इस छोटे से घर में पधारी आई ना बैठिए , शिवन्या बैठ गई ,माई ने शिरा बनाया था शिवन्या ने कहा माई मुझे नही खिलाएंगी शिरा तब माई ने कहा क्यों नहीं फिर उन्हों ने बड़े ही प्यार से शिवन्या को शिरा खिलाया।
फिर शिवन्या ने कहा में तो नगर यात्रा करने आई थी और बाहर लड़किया खेल रही थी तो सोचा में भी खेल लू मेने आपकी बेटी को खिड़की से झांकते देखा, लग रहा है इनका खेलने का मन है , उसने उस लड़की से पूछा तुम खेलना चाहती हो न वह लड़की ने तुरंत हा बोल दिया और कहा में तो खेलना चाहती हू पर मेरी माई मना कर रही है , शिवन्या ने मना करने का कारण पूछा तो माई ने कहा अरे राजकुमारी जी अब इसकी खेलने की उमर थोड़े ही है पूरे १४ साल की हो गई है ओर कल तो इसे लड़का देखने आ रहा है अब तो शादी की उमर हो गई है शिवन्या सोच में पड़ गई वह वहा से चली गई और बाहर लड़कियों से कहा सखियों अब में फिर कभी खेलूंगी अभी में चलती हूं। शिवन्या की नगर यात्रा समाप्त हुई और वह महल में वापिस आ गई।
कहानी को यही तक ही रखते है कहानी का अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊