Pyar bhara Zehar - 5 in Hindi Love Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | प्यार भरा ज़हर - 5

Featured Books
Categories
Share

प्यार भरा ज़हर - 5

एपिसोड 5 ( काश्वी बनी दुल्हन ! )

एक ओर काश्वी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था | की कब उसकी माँ ने इतने पैसे किसी से लिए होंगे ? ओर ऐसी भी क्या जरूरत आ पड़ी थी , उसकी माँ को किसी से पैसे लेने पड़े ? ओर दूसरी तरफ राघव अपनी माँ के कहने पर मलिका से शादी करने को तैयार हो चूका था | 

राघव की रिंग सेरमनी पर , राघव ने कॉलेज के नए बच्चो को बुलाया था | जिसमें काश्वी भी वहां पर थी | सब सही चल रहा था , पर काश्वी का ध्यान कहीं ओर ही था | वो इस वक्त यही सोच रही थी , की वो 10 लाख रूपए कहाँ से लाए | तभी काश्वी की नजर मलिका की ओर गई | जो उसे ही देख रही थी | 

काश्वी को समझ में ही नहीं आया की , मलिका उसे खा जाने वाली नजरों से क्यूँ देख रही थी | मलिका बहुत देर इस बात को नोटिस कर रही थी , की राघव का ध्यान उस पर ना होने के बजाए , काश्वी की ओर ज्यादा है | ओर राघव को ये बात अंदर ही अंदर परेशान कर रही थी , की काश्वी इतनी परेशान क्यूँ है |

राघव काश्वी की मद्दत करना चाहता था | पर वो ये बात भी अच्छे से जानता था | की काश्वी उसे जरा भी पसंद नहीं करती है | रंजना जी ने एक दिन में रिंग सेर्मोनी , ओर दुसरे ही दिन शादी तय कर दी थी | मानों उन्हे डर हो , की कहीं राघव शादी से इनकार न कर दे | 

अब राघव के पास मलिका से शादी करने के अलावा कोइ चॉइस नहीं बची थी | पर राघव किसी की ज़िन्दगी खराब नहीं करना चाहता था | इसलिए जब राघव को मलिका अकेली मिली , तो उसने मलिका से बात करने की कोशिश की | राघव आराम से , मलिका का हाथ पकड़ते हुए बोला | 

राघव :: "देखो मलिका , मुझे नहीं पता की मोम मेरी शादी इतनी जल्दी में क्यूँ करवाना चाहती है | पर ट्रस्ट मी , मैंने तुम्हे कभी उस नजर से देखा ही नहीं | मैंने हमेशा तुम्हे अपना अच्छा दोस्त ही माना है |" राघव को लगा था , की मलिका उसकी बात को समझने की कोशिश करेगी | पर मलिका को ये लगा की , राघव उसका टेस्ट लेने की कोशिश कर रहा था | तो हस्ते हुए मलिका ने राघव से कहा | 

मलिका :: "हा हा हा हा .... अच्छा मजाक था राघव | पर मैं इस बार तुम्हारे चंगुल में नहीं आने वाली |" अब राघव को समझ में नहीं आ रहा था , की वो क्या करे | इसलिए फिर वो वहां से चला गया | 

शाम को राघव मंडप में दुल्हन के आने का इंतज़ार कर रहा था | रंजना जी , मलिका को लाने के लिए उसके कमरे में गईं थी | ओर फिर थोड़ी ही देर में रंजना जी के साथ , दुल्हन आ चुकी थी | सब लोग बहुत खुश थे | परेशान थे तो , सिर्फ राजीव जी , राघव के पापा | क्यूंकि वो ये बात अच्छे से जानते थे | की उनका बेटा नागवंश से है | 

ओर मलिका एक इंसान , तो इन दोनों की शादी , कोई शुभ संकेत नहीं है | पर अपनी बीवी के आगे , वो हार चुके थे | उन्होंने रंजना जी को समझाने की बहुत कोशिश की थी , पर फिर भी रंजना जी ने तो ठान ही लिया था , की मलिका ही उनकी बहू बनकर इस घर में आएगी | 

कुछ ही देर में दूल्हा - दुल्हन के फेरे हो चुके थे | ओर फिर राघव ने दुल्हन के गले में मंगल सूत्र बंधा | ओर फिर जब सुन्दूर भरने की बारी आई | तो रंजना जी अचानक से बोली | 

रंजना जी :: "रुको |" राघव कुछ पलों के लिए कश्म कश में पड़ गया , की उसकी मोम ने यूँ अचानक से उसे रुकने को क्यूँ कहा | पर फिर जब रंजना जी ने देखा , की हर कोई वहां उन्हें अजीब नजरों से देख रहा था | तब वो बोलीं | 

रंजना जी :: "अरे वो , हमारे यहाँ एक रसम है | की सिन्दूर दान परदे में ही होता है |" फिर वो दुल्हन के पास गईं , ओर दूल्हा - दुल्हन के बीच पर्दा करते हुए , राघव से बोलीं | 

रंजना जी :: "बेटा अब सिन्दूर भर दे |" फिर राघव ने अपने दिल पर पत्थर रखा , ओर दुल्हन की मांग भर दी | पंडित जी ने , जोर से ये बताया की अब दोनों की शादी हो चुकी है | पर राजीव जी के दिल में एक सवाल अभी भी था | 

राजाव जी :: ( मन ही मन ) " पर हमारे यहाँ परदे वाली कोई रसम होती ही नहीं है |" राजाव जी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था , की क्या हो रहा था | पहले तो , उनकी पत्नी ने इतनी जल्दी में ये शादी करवा दी | मानो उनका बेटा कहीं भगा चला जा रहा था | ओर अब , अब ये अजीब सी रस्म | 

राजीव जी तो मानो , रंजना जी का दिमाग पड़ने की कोशिश कर रहे थे | पर उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया | उसके बाद , जोड़े ने सब के पैरों को छु कर आशीर्वाद लिया | जब जोड़ा , राजीव जी के पास पहुंचा , आशीर्वाद लेने .... तो झुकते समय दुल्हन के सर से पलू  उतर गया | 

ओर जैसे ही सबने दुल्हन को सब ने देखा , सब के मुह खुले के खुले ही रह गये | एक पल के लिए मानो सब की दुनिया ही रुक सी गई हो |बड़ी बड़ी आँखें , दुल्हन के जोड़े में ओर कोई नहीं , बल्कि काश्वी थी | वाही काश्वी , जो राघव से बहुत नफरत करती थी | वहीँ काश्वी , जिसने अपनी दोस्त तनया से एक बार कहा था | की वो कभी भी शादी नहीं करेगी | 

वही काश्वी , जिसने अपनी माँ से वादा किया था , की वो कभी भी उन्हें छोड़कर नहीं जाएगी | राघव को तो अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था | इसका मतलब क्या ये था , की उसकी शादी मलिका से नहीं बल्कि , काश्वी से हुई थी | कोई कुछ बोल पाता , उससे पहले ही , रंजना जी काश्वी के पास आइ | ओर प्यार से उसके सर पर अपना हाथ रखते हुए बोलीं | 

रंजना जी  :: "डरो मत बेटी , मैं हु न |" सबको अब ओर भी बड़ा झटका सा लगा था |किसी ने इस बात की कल्पना भी , अपने सपने में नहीं की थी | ये वाही रंजना जी थी , जो किसी भी हाल में , मलिका को अपने घर की बहु बनाना चाहती थीं | ओर आज व्ही रंजना जी , काश्वी को अपना आशीर्वाद दे रहीं थीं | 

राघव कभी काश्वी की ओर देखता , ओर कभी अपनी माँ पर | उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था , की यहाँ क्या हो रहा है | अगर दुल्हन के जोड़े में , काश्वी है | तो मलिका कहाँ है ? ओर वो यहाँ क्यूँ नहीं है ? सब के दिल में बहुत सारे सवाल थे | जिनके जवाब सिर्फ दो लोगों के पास थे | काश्वी ओर रंजना जी | 

तो दोस्तों क्या लागता है आपको , आखिर कब ओर कैसे काश्वी ओर मलिका की आडला बदली हुई ? ओर रंजना जी कासवी का साथ क्यूँ दे रहीं थी ? क्या राघव सब संभाल पायेगा ? ओर आहिर काश्वी ये शादी करने के लिए , क्यूँ मान गई ? 

इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए  बने रहिये मेरे साथ |