EK KAHANI AISI BHI BHAG - 9 in Hindi Horror Stories by Abhishek Joshi books and stories PDF | एक कहानी ऐसी भी - भाग 9

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एक कहानी ऐसी भी - भाग 9

आपने  देखा की  अभिमन्यु  अनुज  को  बचाने  जाता  है |

पर  वो  अनुज  नहीं  बल्कि  एक  छलावा  था  |

फिर  इसके  बाद  अभिमन्यु  प्रेतों  को  देखता  है  |

उनके  तादात  बड़ी  होने  की  वजह  से  वो  भाग  जाता  है  |

ओर  गिर  जाता  है  तभी  कोई  मशाल  लेकर  उसे  बचा  लेता  है  |

ओर  सीमा  के  उस  पार  ले  जाता  है  |

जहा  ये  प्रेत  आ  नहीं  शकते  |

 

वो  उस  आदमी  के  साथ  सुरक्षित  जगह  पर  चला  जाता  है  |

जब  सारा  मामला  शांत  हो  जाता  है  तो  उसे पता  चलता  है  की  वो  कोई  ओर  नहीं |

जिसने  उसे  बचाया  वो  खुद  अनुज  ही  था  |

 

फिर  अभिमन्यु  ने  अनुज  से  पूछा  तुम्हें  कैसे  पता  चला  की  वो  प्रेत  यहा  नहीं  आ  शकते  |

अनुज  ने  बताया  की  एक  दिन  वो  भी  इसी  तरह  प्रेतों  को  देखकर  चिल्ला  उठा  था  |

ओर  प्रेत  उन्हे  मारने  के  लिए  उसके  पीछे  दोडे  थे  |

तब  मे  दोड़के  यहा  आ  गया  था  |

पता  नहीं  पर  वो  लोग  ये  जो  पत्थर  की  सीमा  बनी  है  |

उसके  इस  पर  नहीं  आ  शकते  |

शायद  कोई  श्राप  हो  उन्हे  |

 

ओर  वो  मशाल  वो भी  असली  थी  ये  |

छलावे  की  आग  से  अलग  होती  है  |

इनसे  वो  प्रेत  डरते  है  |

 

फिर  अभिमन्यु  ने  कहा  |

मे  तुम्हें  जानता  हु  अनुज  |

ओर  मुजे  यहा  तुम्हारे  पापा  ओर  बड़े  भाई  ने  भेजा  है  |

तुम्हें  वापस  उस  दुनिया  मे  ले  जाने  के  लिए  |

बस  इतना  सुनते  ही  वो  फुट - फुट  कर  रोने  लगा  |

 

उसे  आज  अपनी  गलती  का  पश्चाताप  हो  रहा  था  |

वो  उन  सबको  कितना  गलत  समजता  था |

फिर  वो  पेड़  के  टेके  बैठ  गया  |

ओर  बस  रोता  रहा  |

 

कुछ  देर  बाद  अभिमन्यु  ने  बोला  |

मे  अभिमन्यु तुम्हारे  साथ  हु  |

हम  दोनों  मिलकर  इस  दुनिया  से  बाहर  जाने का  रास्ता  निकालेंगे  |

ओर  फिर  से  अपनी  दुनिया  मे जाएंगे  |

तुम हिम्मत  से  काम  लो  |

इस  तरह  रोने  से  कुछ  नहीं  होगा |

हमारे  पास  सिर्फ  तीन  दिन  ही  बचे  है  |

यहा से  बाहर  जाने  के  लिए  वरना  !

हम  दोनों  हमेशा  के  लिए  यहा  रहे  जाएंगे  |

 

कुछ  सोचते  हुए   अभिमन्यु  बोल  ,

यहा  पत्थर  से  रेखा  खींची  गई  है  |

अनुज  ने  बोला  तो  क्या  |

अभिमन्यु  ने  बताया  की  इसका  मतलब  |

कोई  इस  जगह  की  रखवाली  करता  है  |

जो  इन प्रेतों  से  लड़  सके |

 

ओर  वही  इंशान  हमे  इस  दुनिया  से  बाहर  भी  ले  जा  शकता  है  |

बस  अब  हमे  उस  आदमी  को ढूँढना  होगा  की  आखिर  वो  कहा  मिलेगा |

वो  दोनों  उस  आदमी  को  ढूँढने  निकल  पड़े  |

पर  कही  कोई  नहीं  मिला  |

 

अब  शाम  ढल  चुकी  थी  ओर  रात  होने  वाली  थी  |

पता  नहीं  फिर  से  कोन सी  बला  आ  भटके  इससे  अच्छा  जहा  थे  |

वही  रहे  ये  सोचके  वो  दोनों  वापस  आ  गए |

 

जैसे  ही  रात  हुई  |

पेड़ों  ने  अपनी  जगा  बदल दी  |

ओर  आसमान  जो  अभी तक  अंधकार  मे  डूबा  हुआ  था  |

उसमे  चाँद  दिखाई  दीए  |

तारे  जगमगाने  लगे  |

मानो  कोई  ईशान  सोते  हुए  ख्वाब  देख  रहा  हो  |

ओर  सामने  से  पेड़ों  ने  जो  जगा  की  थी  उन्मे से  सात  घोड़े  सवार  निकले  |

सबके  पास  सफेद  घोड़े  थे  |

ओर  हाथ  मे  मशाल  थी |

मानो  की  यही  इस  दुनिया  के रखेवार  थे |

 

ये  सात  घोड़े सवार  कोन  थे  |

ओर  क्या  अब  अनुज  ओर  अभिमन्यु  इस  दुनिया  से  बहार  निकल  पाएंगे  |

जानने  के  लिए  पढे |

एक कहानी  ऐसी  भी  भाग - १०