आपने देखा की अभिमन्यु अनुज को बचाने जाता है |
पर वो अनुज नहीं बल्कि एक छलावा था |
फिर इसके बाद अभिमन्यु प्रेतों को देखता है |
उनके तादात बड़ी होने की वजह से वो भाग जाता है |
ओर गिर जाता है तभी कोई मशाल लेकर उसे बचा लेता है |
ओर सीमा के उस पार ले जाता है |
जहा ये प्रेत आ नहीं शकते |
वो उस आदमी के साथ सुरक्षित जगह पर चला जाता है |
जब सारा मामला शांत हो जाता है तो उसे पता चलता है की वो कोई ओर नहीं |
जिसने उसे बचाया वो खुद अनुज ही था |
फिर अभिमन्यु ने अनुज से पूछा तुम्हें कैसे पता चला की वो प्रेत यहा नहीं आ शकते |
अनुज ने बताया की एक दिन वो भी इसी तरह प्रेतों को देखकर चिल्ला उठा था |
ओर प्रेत उन्हे मारने के लिए उसके पीछे दोडे थे |
तब मे दोड़के यहा आ गया था |
पता नहीं पर वो लोग ये जो पत्थर की सीमा बनी है |
उसके इस पर नहीं आ शकते |
शायद कोई श्राप हो उन्हे |
ओर वो मशाल वो भी असली थी ये |
छलावे की आग से अलग होती है |
इनसे वो प्रेत डरते है |
फिर अभिमन्यु ने कहा |
मे तुम्हें जानता हु अनुज |
ओर मुजे यहा तुम्हारे पापा ओर बड़े भाई ने भेजा है |
तुम्हें वापस उस दुनिया मे ले जाने के लिए |
बस इतना सुनते ही वो फुट - फुट कर रोने लगा |
उसे आज अपनी गलती का पश्चाताप हो रहा था |
वो उन सबको कितना गलत समजता था |
फिर वो पेड़ के टेके बैठ गया |
ओर बस रोता रहा |
कुछ देर बाद अभिमन्यु ने बोला |
मे अभिमन्यु तुम्हारे साथ हु |
हम दोनों मिलकर इस दुनिया से बाहर जाने का रास्ता निकालेंगे |
ओर फिर से अपनी दुनिया मे जाएंगे |
तुम हिम्मत से काम लो |
इस तरह रोने से कुछ नहीं होगा |
हमारे पास सिर्फ तीन दिन ही बचे है |
यहा से बाहर जाने के लिए वरना !
हम दोनों हमेशा के लिए यहा रहे जाएंगे |
कुछ सोचते हुए अभिमन्यु बोल ,
यहा पत्थर से रेखा खींची गई है |
अनुज ने बोला तो क्या |
अभिमन्यु ने बताया की इसका मतलब |
कोई इस जगह की रखवाली करता है |
जो इन प्रेतों से लड़ सके |
ओर वही इंशान हमे इस दुनिया से बाहर भी ले जा शकता है |
बस अब हमे उस आदमी को ढूँढना होगा की आखिर वो कहा मिलेगा |
वो दोनों उस आदमी को ढूँढने निकल पड़े |
पर कही कोई नहीं मिला |
अब शाम ढल चुकी थी ओर रात होने वाली थी |
पता नहीं फिर से कोन सी बला आ भटके इससे अच्छा जहा थे |
वही रहे ये सोचके वो दोनों वापस आ गए |
जैसे ही रात हुई |
पेड़ों ने अपनी जगा बदल दी |
ओर आसमान जो अभी तक अंधकार मे डूबा हुआ था |
उसमे चाँद दिखाई दीए |
तारे जगमगाने लगे |
मानो कोई ईशान सोते हुए ख्वाब देख रहा हो |
ओर सामने से पेड़ों ने जो जगा की थी उन्मे से सात घोड़े सवार निकले |
सबके पास सफेद घोड़े थे |
ओर हाथ मे मशाल थी |
मानो की यही इस दुनिया के रखेवार थे |
ये सात घोड़े सवार कोन थे |
ओर क्या अब अनुज ओर अभिमन्यु इस दुनिया से बहार निकल पाएंगे |
जानने के लिए पढे |
एक कहानी ऐसी भी भाग - १०