एक दिन राघव उसके पास प्रपोजल लेकर आया था लेकिन उसने बेइज्जत करके निकाल दिया था।अब उसे पता चला कि वह उससे सच्चा प्यार करता था।अगर ऐसा न होता तो आज वह जिंदा नही होती।वह उसी की वजह से जिंदा थी।आग में कौन अपनी जान जोखिम में डालता।सच्चा प्रेमी ही ऐसा कर सकता था।
और माया उससे कुछ कह पाती उससे पहले ही वह उससे दूर चला गया।वह उसे ढूंढे तो कैसे?
उसने सिक्युरिटी एजेंसी का सहारा लिया।जो पता उसने वहा दिया था।उस घर को वह छोड़ चुका था। उसके फॉर्म में फोटो लगी थी।माया ने राघव की फोटो को अपने मोबाइल में खींच लिया था।
वह जहाँ भी जाती राघव को तलाश करती।लोगो को फोटो दिखाकर भी राघव के बारे में जरूर पूछती।पर उसका कोई पता न चलता।वह राघव को याद करती।
माया को मर्दों से नफरत थी।उसकी वजह थी,उसकी माँ का अतीत।
माया की माँ राधा जब कालेज में पढ़ती थी।तब एक दिन वह घूमने के लिए बाग में गयी थी।उस दिन रविवार था। रविवार छुट्टी का दिन होता है।ऑफिस,कालेज और स्कूलों की छुट्टी।छुट्टी वाले दिन बाग में और दिनों से ज्यादा भीड़ रहती है।जो अकेले हैं, वो तो आते ही है।लोग अपने परिवार के साथ भी आते है।इसलिए भीड़ ज्यादा होती है।
राधा को घूमने का शौक था।उसके माता पिता का देहांत हो गया था।इसलिए उसकी पढ़ाई छूट गयी थी।मा बाप के न रहने पर वह काफी गमगीन रही।लेकिन किसी के जाने से जिंदगी खत्म नही हो जाती और उसने अपने आप को सम्हाला था।उसने अपने लिए काम तलाश लिया।वह ऑनलाइन काम करने लगी।उसने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दी।
वह बाग में खड़ी होकर फूलों को निहार रही थी।गुलाब के सुंदर लाल फूल।तभी उसे आवाज सुनाई पड़ी,"आप इन फूलों को क्यो निहार रही है।"
"जी।"राधा ने चोंकते हुए देखा था।
"इन फूलों से ज्यादा तो आप सुंदर है।"
"थैंक यू,"उस युवक की बात सुनकर राधा बोली,"आप कौन है?मैं तो आपको नही जानती।"
"जानेगी कैसे,हम पहली बार जो मिल रहे है।"
"तभी तो,"राधा बोली,"मैं जान सकती हूँ आप कौन है।?
"मेरा नाम राजन है।मैं बेंगलोर का रहने वाला हूँ।यहा पर एम बी ए करने के लिए आया हूँ,"राजन अपने बारे में बताते हुए बोला,"आप भी अपने बारे में बताएंगी।"
"मेरा नाम राधा है।"राधा ने अपने बारे में बताया था
राजन ,डी यू से एम बी ए कर रहा था और कॉलेज के पास ही उसने कमरा ले रखा था।
उस पहली मुलाकात के समय उन्होंने दुबारा मिलने का कोई वादा नही किया था।उस दिन की मुलाकात एक एनोपचारिक मुलाकात थी।लेकिन
"राधा,"
एक शाम को राधा कनॉट प्लेस गयी थी।तभी उसे आवाज सुनाई दी थी।राधा ने मुड़कर देखा था।I
"अरे राजन तुम?"
"क्या खरीददारी करने के लिए आई हो।"
"कोई खास नही
"जल्दी में हो क्या?"
"क्यो?"
"कॉफी पीते है।"
"चलो।"राजन और राधा कॉफी शॉप में आ गए थे।शाम के समय तो कनॉट प्लेस में जबरदस्त भीड़ होती है।कॉफी शॉप भी खचाखच भरा हुआ था।लेकिन उन्होंने जैसे ही शॉप में प्रवेश किया एक टेबिल खाली हो गयी थी।वे दोनों बैठ गए।
उनके बैठते ही वेटर दो गिलाश और पानी का जग रखकर चला गया।कुछ देर बाद दूसरा वेटर उनके पास आया था
"क्या लाऊं सर?"
"कुछ खाने को
"नही,"राधा बोली,"केवल कॉफी
"दो कॉफी ले आओ
वेटर ऑर्डर लेकर चला गया