पंच परमेश्वर अद्भुत कथा -आनंद मोहन सक्सैना
प्रेमचंद की कहानी उपन्यासों में आए वाक्य और वाक्यांश तुलसी की जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाली चौपाइयों की अनुरूप ही साहित्य जगत में स्थापित है, क्योंकि वे यथार्थता भरे और अनुभवजन्य है । पंच परमेश्वर जो प्रारंभिक दौर की कहानी है फिर भी भी इसका अपवाद नहीं है,आइए ऐसे कुछेक वाक्यों को हम देख ले-
१ "विचार मिलना ही मित्रता का मूल मंत्र है ।"
यह बात उस समय आया है जब अलगू चौधरी और जुम्मन शेख दोनों में धर्म जात किसी चीज की समानता न होते हुए भी प्रगाढ मित्रता थी उसी संदर्भ में यह बात कही गई है। अलगू चौधरी एक संपन्न व्यक्तीचे थे जबकि जुम्मन शेख एक पढ़े लिखे कोर्ट कचहरी का जानकार व्यक्ति था अधिकांश व्यक्तियों को जुम्मन शेख काम पड़ता था अतः: है उससे प्रभावित थे।
२ दोस्ती के लिए कोई ईमान की बात भी न कहोगे ।
(बेटा क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे।")
जुम्मन शेख की खाला (मौसी ) थी । जिनकी कोई संतान नहीं थी पर उनके पास पर्याप्त संपत्ति थी उसे जुम्मन शेख ने खाला की खातिरदारी एवं समझा-बुझाकर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली । संपत्ति मिलने से पहले खाला की खूब सेवा की गई परंतु जैसे ही रजिस्ट्री हुई उनका और उनकी पत्नी करीमन का व्यवहार बदल गया और वह भला बुरा कहने लगी । जब खाला की सहन शक्ति के बाहर हो गया तो
खाला ने उनसे अलग से पैसे देने को कहा क्योंकि उनकी पत्नी व उसका व्यवहार अच्छा नहीं था । तो जुम्मन शेख ने भी कहा पैसे क्या टपकते है ।
इस पर खाला ने पंचायत बुलाने की बात कही तो जुम्मन शेख प्रसन्न हो गए क्योंकि उन्हें मालूम था उनसे कोई बुराई नहीं लेगा । जब पंचायत बैठी तो अलगू चौधरी को उसका पंच बनाया गया । उसने कहा मैं यह काम कैसे औकरूंगा क्योंकि जुम्मन शेख मेरा मित्र है तो खाला ने उक्त बात बोली । फिर पंचायत और पंचायत का निर्णय भी ऐसा ही हुआ जब अलगू चौधरी ने निर्णय दिया खाला की संपत्ति से इतना मुनाफा तो होती है कि उस से खाला को मासिक खर्च दिया जा सकता है। जुम्मन शेख देखते रह गए ।
३ पंच के मुंह से परमेश्वर बोलते हैं ।
(" पंच की जुबान से खुदा बोलता है।")
पुराने निर्णय से उपरोक्त दोनों दोस्तों दोस्तों के बीच अंतरंगता समाप्त हो गई और जुम्मन शेख ऐसा मौका तलाशते रहे कि अलगू चौधरी को अपमान का अवसर मिले और ऐसा मौका मिल भी गया । हुआ यह अलगू चौधरी बड़े सुंदर बैल खरीदे जिनको देखने के लिए अड़ोस पड़ोस के गांव से भी लोग आते थे परंतु दुर्भाग्य से एक बैल मर गया तो उन्होंने एक बैल "समझूं साहू " को किश्तों पर बेच दिया जिससे वह अपना बार बार भारी सामान शहर ले जाने लगे चारा खिलाया नहीं सो वह बैल कमजोर हो के मर गया । उन्होंने बैल से भरपूर काम तो लिया परंतु पौष्टिक खाने की व्यवस्था नहीं की । साहू ने बैल का पूरा मूल्य नहीं देकर किस्तों में देते थे । परंतु बैल मरने के बाद किस्ते देने की जगह समझू साहू झगड़ा ही करने लगे कि बैल बीमार था।एक बार पुनः पंचायत बैठी जिसमें पंच जुम्मन शेख को बनाया गया । कहां जुम्मन शेख के मन में अलगू चौधरी को अपमान करने की प्रबल इच्छा थी परंतु यहां क्या उन्हें अलगू चौधरी का पक्ष लेना पड़ा! उन्होंने कहा अरे यदि बैल खरीदते समय साहू पूरा मूल्य दे देते तो आज यह स्थिति ना बनती। बैल कैसा था यह तो उन्होंने देखभाल के ही खरीदा । इसलिए उन्हें अलगू चौधरी के पैसे लेना चाहिए । जुम्मन शेख के निर्णय लेने के बाद अलगू् चौधरी ने यह बात कही-पंच के मुंह से परमेश्वर बोलते हैं ।
पंच परमेश्वर प्रेमचंद की एक लोकप्रिय कहानी है । क्योंकि यह सु संगठित कहानी है जिसमें घटनाएं एक परस्पर भली प्रकार से संबंद्ध है ।
कहानी आम बोलचाल की भाषा में लिखी गई है , पर इसमें उर्दू शब्दों का पर्याप्त प्रयोग किया गया है। क्योंकि उनके काल में और आज भी व्यवहार में काफी कुछ उर्दू शब्द चलते हैं। चलिए हम एक दो उदाहरण देखते है ।
तहयात ,(जीवन भर)हिब्बानामा (रजिस्ट्री)
कहानी में रोजमर्रा में काम में आने वाली भाषा का प्रयोग किया गया है ।
"तुम मौत से लड़ कर आई हो ।"
जब खाला घर-घर घूम कर पंचायत में आने की विनायक कर रही थी तो उसकी हंसी उडाने वाले भी थे और लोगों की जुम्मन शेख से बड़े संबंध थे तो उस संबंध में खाला के लिए कहां गया एक उक्ति देखें -
" आज मरे कल दूसरा दिन , पर हवस नहीं मानती "
" देहात का रास्ता बच्चे की आंख की तरह शाम होते ही बंद हो जाता है ।"
प्रेमचंद की कहानियां सदैव सोउद्देश्य होती हैं इस कहानी के भी उद्देश्य हैं-
१ जनमानस में पंचायत का महत्व प्रतिपादित करना है और लोगों को कोर्ट कचहरी के झनझप से बचाना और ग्रामीण परिवेश में शांति का वातावरण रखना है ।
२ नारी शक्ति की पहचान (किस प्रकार खाला बुढ़ापे में भी अपनी बात रख सकती है।)
३ मारने पीटने से विद्या नहीं आती यह भी स्थापित हुआ।
कथानक और पाठ्य परिचय
कहानी मात्र दो घटनाओं पर आधारित है।
१ जुम्मन शेख द्वारा अपनी खाला को समझा-बुझाकर उनकी संपत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम करवाना और फिर उन्हें खाने-पीने के उचित ढंग से ना देना ।
२ अलगू चौधरी द्वारा अलगू चौधरी द्वारा समझू साहू को बेल बेचना और बैल मर जाने पर समझू साहू द्वारा बैल का मूल्य ना देने का कार्य।
इन्हीं दोनों घटनाओं पर पंचायत में बैठती है और पंचायतें न्याय संगत निर्णय देती है ।
कहानी बहुत थोड़े पात्रों के साथ लिखी गई है जिसमें जुम्मन शेख अलगू चौधरी जुम्मन शेख की खाला और जुम्मन शेख की पत्नी करीमन और समझू साहू झगडू साहू रामधन मिश्र ।७ पात्र ।
आनन्द मोहन सक्सेना