munshi premchand biography in Hindi Biography by Anand Tripathi books and stories PDF | मुंशी प्रेमचंद जीवनी

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मुंशी प्रेमचंद जीवनी

हिन्दी कहानी व उपन्यास के क्षेत्र को ‘प्रेमचंद युग’ दिखाने वाले मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस में हुआ था। मुंशी प्रेमचंद की कहानी न सिर्फ हिंदी में पढ़ सकते हैं, बल्कि उर्दू में भी इनके साहित्य पढ़े जा सकते हैं। प्रेमचंद की कहानियों में अपनापन, सामाजिक दशा का वर्णन, जात-पात के भेदभाव से लेकर गरीबी और अमीरी के बीच झलकते दर्द को साफ महसूस किया जा सकता है। यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद की कहानी पढ़ते हुए बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक सभी रम जाते हैं। प्रेमचंद की कहानियों में सेवासदन, गबन, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, गोदान, रंगभूमि व निर्मला जैसे कई उपन्यास लोकप्रिय हैं। इसके अलावा कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की कथा और बूढ़ी काकी जैसी 300 से अधिक कहानियां भी चर्चित हैं।प्रेमचंद जी की प्रारम्भिक शिक्षा, सात साल की उम्र से, अपने ही गाँव लमही के, एक छोटे से मदरसा से शुरू हुई थी . मदरसा मे रह कर, उन्होंने हिन्दी के साथ उर्दू व थोडा बहुत अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया .

ऐसे करते हुए धीरे-धीरे स्वयं के, बल-बूते पर उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढाया, और आगे स्नातक की पढ़ाई के लिये , बनारस के एक कालेज मे दाखिला लिया . पैसो की तंगी के चलते अपनी पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी . बड़ी कठिनाईयों से जैसे-तैसे मैट्रिक पास की थी . परन्तु उन्होंने जीवन के किसी पढ़ाव पर हार नही मानी, और 1919 मे फिर से अध्ययन कर बी.ए की डिग्री प्राप्त करी .प्रेमचंद जी बचपन से, किस्मत की लड़ाई से लड़ रहे थे . कभी परिवार का लाड-प्यार और सुख ठीक से प्राप्त नही हुआ . पुराने रिवाजो के चलते, पिताजी के दबाव मे आकर , बहुत ही कम उम्र मे पन्द्रह वर्ष की उम्र मे उनका विवाह हो गया . प्रेमचंद जी का यह विवाह उनकी मर्जी के बिना , उनसे बिना पूछे एक ऐसी कन्या से हुआ जोकि, स्वभाव मे बहुत ही झगड़ालू प्रवति की और, बदसूरत सी थी . पिताजी ने सिर्फ अमीर परिवार की कन्या को देख कर, विवाह कर दिया .थोड़े समय मे, पिताजी की भी मृत्यु हो गयी, पूरा भार प्रेमचंद जी पर आ गया . एक समय ऐसा आया कि, उनको नौकरी के बाद भी जरुरत के समय अपनी बहुमूल्य वास्तुओ को बेच कर, घर चलाना पड़ा . बहुत कम उम्र मे ग्रहस्थी का पूरा बोझ अकेले पर आ गया . उसके चलते प्रेमचंद की प्रथम पत्नी से, उनकी बिल्कुल नही जमती थी जिसके चलते उन्होंने उसे तलाक दे दिया. और कुछ समय गुजर जाने के बाद, अपनी पसंद से दूसरा विवाह , लगभग पच्चीस साल की उम्र मे एक विधवा स्त्री से किया . प्रेमचंद जी का दूसरा विवाह बहुत ही संपन्न रहा उन्हें इसके बाद, दिनों दिन तरक्की मिलती गई .लमही गाँव छोड़ देने के बाद, कम से कम चार साल वह कानपुर मे रहे, और वही रह कर एक पत्रिका के संपादक से मुलाकात करी, और कई लेख और कहानियों को प्रकाशित कराया . इस बीच स्वतंत्रता आदोलन के लिये भी कई कविताएँ लिखी .उन्नीस सौ इक्कीस मे अपनी पत्नी से, सलाह करने के बाद उन्होंने, बनारस आकर सरकारी नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया . और अपनी रूचि के अनुसार लेखन पर ध्यान दिया . एक समय के बाद अपनी लेखन रूचि मे, नया बदलाव लाने के लिये उन्होंने सिनेमा जगत मे, अपनी किस्मत अजमाने पर जोर दिया, और वह मुंबई पहुच गये और, कुछ फिल्मो की स्क्रिप्ट भी लिखी परन्तु , किस्मत ने साथ नही दिया और, वह फ़िल्म पूरी नही बन पाई . जिससे प्रेमचंद जी को नुकसानी उठानी पड़ी और, आख़िरकार उन्होंने मुंबई छोड़ने का निर्णय लिया और, पुनः बनारस आगये . इस तरह जीवन मे, हर एक प्रयास और मेहनत कर उन्होंने आखरी सास तक प्रयत्न किये।