प्यारेलाल सीधा-साधा सच्चा ईमानदार सज्जन पुरुष था। अपने गांव और आस-पास के गांव में प्यारेलाल का बहुत मान सम्मान था। उसके हर एक फैसले का उसके गांव वाले और आसपास के पांच गांव के लोग बहुत सम्मान करते थे। एक दिन राज्य में चुनाव आने से पहले अनाज मंडी का ठेकेदार श्याम लाल प्यारेलाल के घर आता है। और प्यारेलाल से कहता है कि "मैं इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा होना चाहता हूं। अगर मैं चुनाव जीतकर विधायक बन गया तो जनता की खूब सेवा करूंगा है, और अपने पूरे क्षेत्र में सिंचाई बिजली शिक्षा स्वास्थ्य की समस्याएं के साथ आदि सब समस्या खत्म कर दूंगा। प्यारेलाल अनाज मंडी के ठेकेदार को बहुत सालों से जानता था, उसे पता था कि वह कंजूस तो है, परंतु दान पुण्य करने में उसका पूरे क्षेत्र में नाम है। इसलिए प्यारेलाल पांच गांव की महापंचायत बुलाकर निर्दलीय उम्मीदवार श्याम लाल को वोट देने के लिए पांचो गांव की जनता को तैयार कर लेता है। और पांचो गांव के मतदाता प्यारेलाल के कहने से श्याम लाल को अपना वोट दे देते हैं। और श्याम लाल की चुनाव में ऐतिहासिक जीत हो जाती है। बड़ी बड़ी राजनीतिक पार्टी श्याम लाल का सम्मान करने लगती है। बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां उसे अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिश करने लगती हैं। श्याम लाल विधायक प्यारेलाल और पांच गांव के प्रमुख लोगों के साथ मिलकर राज्य सरकार पर दबाव डालकर क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार से बजट पास करने के लिए तैयार कर लेता है। प्यारेलाल का भी पूरे क्षेत्र में मान सम्मान और बढ़ जाता है। लेकिन श्याम लाल क्षेत्र के विकास कार्यों का ठेका अपने रिश्तेदारों को दे देता है, और उनके साथ मिलकर विकास कार्य का सारा पैसा खा जाता है। विकास के नाम पर थोड़ा थोड़ा काम शुरू कर के बीच में ही छोड़ देता है। श्याम लाल के झूठे वायदे सुनते सुनते जनता के सामने दोबारा चुनाव आ जाते हैं। श्याम लाल दोबारा बेशर्म होकर प्यारेलाल के घर आकर प्यारेलाल से कहता है कि "अगर क्षेत्र की जनता मुझे इस बार और वोट देकर जिता दें, तो मैं क्षेत्र के विकास के सारे अधूरे कार्य पूरे कर दूंगा।" प्यारेलाल सज्जन सीधा-साधा पुरुष होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी था, उसे समझ आ गया था, कि श्याम लाल बेईमान और लालची मनुष्य है। इसलिए प्यारेलाल चोर के घर चोरी करने का फैसला लेता है। इसलिए श्याम लाल को प्यारेलाल दो सप्ताह के बाद अपने घर आने के लिए कहता है। और दो सप्ताह के अंदर घर घर जाकर प्यारे लाल श्याम लाल के खिलाफ अपनी रणनीति सब को समझा देता है। फिर दो सप्ताह के बाद महापंचायत बुलाकर श्याम लाल को बुलाता है। महापंचायत में प्यारेलाल ने सबको जो पहले समझाय था, वही बात श्याम लाल से पांचू गांव के लोग कहता है। उन सब की तरफ से प्यारेलाल श्याम लाल से कहता है कि "इस बार पांचो गांव की जनता की एक शर्त है। अगर आप इस शर्त को मान लेते हैं, तो इस बार भी सब आप को वोट देंगे।"श्याम लाल कहता है अगर पहले की तरह मुझे बाहरी बहुमत से विजई बनाओगे तो मुझे कैसी भी शर्त हो मंजूर है।" प्यारेलाल कहता है कि "शर्त यह है कि आपको चुनाव से पहले पांचो गांव के एक एक घर में पूरे पांच साल का अनाज भरना पड़ेगा। श्याम लाल ने अपने मन में पहले ही ठान रखा था कि चुनाव जीतने के बाद पहले से ज्यादा राज्य में लूटपाट करनी है। इसलिए वह पाचो गांव की यह शर्त मान लेता है। परंतु इस बार प्यारेलाल के कहने से उसे एक भी मतदाता मत नहीं देता है। और इस चुनाव में श्याम लाल की इतनी बुरी तरह हार होती है कि उसकी जमानत भी जप्त हो जाती है। बुरी तरह चुनाव हारने के बाद श्याम लाल रो-रो कर प्यारेलाल और पांचो गांव की जनता के सामने कहता है कि "चोरों धोखेबाजो मुझे तुमने बर्बाद कर दिया है, मैंने चुनाव जीतकर जितना कमाया नहीं था उससे दुगना तुम्हारे घरों में पांच वर्ष का अनाज भरकर खर्च कर दिया है।" प्यारेलाल गांव की जनता के सामने श्याम लाल से कहता है कि "हम सब ने मिलकर चोर के घर चोरी की है।" फिर गांव वालों से प्यारेलाल करता है "मैं साधारण मनुष्य हूं, कोई भगवान नहीं जो हमेशा सही होगा, इसलिए आज से एक बात गांठ बांध लो, लोकतंत्र में वोट जनता की सबसे बड़ी ताकत होती है, इसलिए हमेशा अपनी बुद्धि से मतदान करना चाहिए ना की किसी साधारण मनुष्य के कहने से।"