कहानी - चट मंगनी पट ब्याह
Last Part 3 - वर्षों बाद जब नटराजन अपना पुराना घर देखने गया था वहां के परिवार के बेटे से अचानक उसकी बेटी की शादी की बात होने लगी ….
थोड़ी देर बाद शिखा कॉफ़ी और स्नैक ले कर आयी तब उसने नटराजन से कहा “ मेरा बेटा अमेरिका में प्रोफेसर है . हम भी उसके लिए अमेरिका में पढ़ी लिखी खोज रहे हैं . “
“ बहुत अच्छी बात है , भगवान् आपकी इच्छा जल्द ही पूरी करे . “
“ हां , लगता है , बल्कि लग रहा है जल्द ही पूरी होने जा रही है . “
“ वैरी गुड न्यूज़ , कॉंग्रट्स “
“ पर बिना आपके यह काम पूरा नहीं हो सकता है . “ दयाल ने कहा
“ मैं समझा नहीं , वह कैसे ? “
“ हमलोग आपकी बेटी को बहू बनाना चाहते हैं .मेरे बेटे को विजया जैसी लड़की की जरूरत है . हमलोग जातपात या प्रान्त आदि का भेद नहीं मानते हैं . पर हम ब्राह्मण नहीं है . “
“ हमें भी इन सब से कोई मतलब नहीं है . पर एक बार अपने बेटे से पूछ लें . एक और बात हम साउथ इंडियन हैं , मुझे आप देख ही रहे हैं . मेरी बेटी भी मेरी तरह सांवली है . “
“ वह सब हम जानते हैं , तभी तो आपसे बात कर रहे हैं . अमर भी बहुत ओपन माइंडेड फ्लेक्सिबल और अडजस्टेबल लड़का है . मेरी बेटी ने विजया को भाभी के रूप में हां कह दिया है . बस कुछ घंटों में पौ फटते ही बेटे से आमने सामने बात हो जाएगी . आप भी तब तक बैठें और डिनर कर के जायेंगे . “
“इफ यू डोंट माइंड , मैं भी अपनी वाइफ से बात कर लूं ? “ नटराजन ने कहा और वह उठ कर बालकनी में जा कर अपनी पत्नी से बात करने लगा .
उधर पत्नी ने कहा “ वैसे तो हमें भी लड़का ठीक लगता है पर एक बार विजया और अमर को आमने सामने बैठ कर आपस में से बात कर लेने दीजिये . “
फिर ड्राइंग रूम में आ कर उसने पत्नी से सब का परिचय कराया .
शिखा ने कहा “ बहनजी , भगवान् ने चाहा तो चंद घंटों में हम रिश्तेदार बन जायेंगे . हम मियां बीबी दोनों की तरफ से तो हाँ है . बाकी लड़का लड़की दोनों मिल कर तय कर लें , हमें कोई एतराज नहीं है . . “
करीब तीन घंटे बाद डिनर समाप्त होने के बाद शिखा ने अपनी बेटी को कॉल कर कहा “ तुमने भैया से बात किया है ? “
“ बात नहीं किया है पर मेसेज दिया है और भैया ने जवाब में ओके लिखा है . “
“ तुमने शादी के बारे में और खास कर विजया के बारे में लिखा था ? “
“ हाँ , मैंने उसका पूरा रिज्यूमे भी लिखा था , जितना मैं जानती हूँ . “
“ तुम भैया को भी विडिओ पर जोड़ो और विजया को भी . विजया का विचार जान लेना जरूरी है न . “
“ मम्मी , मैं भैया का रूटीन जानती हूँ , एक घंटे बाद उसे कॉल कर सभी को कांफ्रेंस कॉल के लिए इनवाइट करती हूँ . “
“ जरा जल्दी करना , नटराजन अंकल को लौटना भी है . “
इस बीच लगभग एक घंटे तक नटराजन उनकी पत्नी , दयाल और शिखा बातें करते रहे , ड्राइवर नीचे जा कर गाड़ी में बैठ गया . नटराजन ने हँसते हुए कहा “ मैं तो सिर्फ ये घर देखने आया था . मुझे तो बैठे बिठाये बेटी के लिए अच्छा घर , वर सब मिल रहा है , भगवान् और आप लोगों की कृपा से . मेरे लिए इस से अच्छी बात और क्या होगी ? “
तभी अंजू का फोन आया “ मम्मी , मैंने ज़ूम लिंक सभी को भेजा है , भैया और विजया पहले से ही लिंक पर मौजूद हैं और बात कर रहे हैं . नटराजन आंटी को विजया ने लिंक भेजा है . हम सभी एक साथ कनेक्ट हो रहे हैं . जो भी बातें करनी हों या डाउट हो क्लियर कर लें . “ ////////////////////////////
अमर और अंजू दोनों कांफ्रेंस कॉल बंद कर अपनी माँ से बात करने लगे . दयाल और शिखा दोनों दूसरे कमरे में जा कर अपने बच्चों से बात करने लगे .
दयाल और शिखा ने अपने बेटे से कहा “ तुम्हें तो पता ही है तुम्हारे लिए हमने एक लड़की देखी है . उसके बारे में तुम्हारी क्या राय है ? “
अमर ने माँ से कहा “ हाँ , मैंने भी विजया से बात किया है . पर सिर्फ फोन पर बात करने से मैं कुछ तय नहीं कर सकता हूँ . “
“ क्यों ? लड़की में तुम्हें कुछ कमी दिख रही है क्या ? “ शिखा ने कहा
“ नहीं मम्मी , मैंने ऐसा कब कहा है ? मुझे भी बातचीत से विजया बहुत अच्छी लगी है . पर उसने शादी के बारे में खुल कर कुछ नहीं कहा है . एक बार उस से बात कर उसकी मर्जी जान लेना भी जरूरी है न ? “
“ तब , जल्दी से बात कर फैसला करो .”
“ जी मम्मी , मैं विजया से नेक्स्ट वीकेंड मिलने जा रहा हूँ . उस से मिल कर बताता हूँ .”
फिर दयाल पत्नी के साथ वापस ड्राइंग रूम में आ कर बोला “ अमर कह रहा है .लड़का लड़की एक बार आमने सामने मिल कर फ्रीली बात कर लें वही अच्छा है सब के लिए .क्यों भाईसाहब ? मेरी समझ में आप लोगों की भी यही राय है . “ नटराजन की तरफ देख कर दयाल ने कहा
“ हाँ बिल्कुल सही है . वैसे दोनों तरफ के माता पिता सहमत हैं . जहाँ तक मैं अपनी बेटी को जानता हूँ अमर से मिलकर वह संतुष्ट होगी . बस चार पांच दिनों की बात है फिर उम्मीद है रिश्ता पक्का हो जायेगा . बस यूं समझ लें मात्र फोर्मल्टी रह गयी है . अब मैं चलता हूँ , इजाजत दीजिये . “
नटराजन ने उठ कर दयाल और शिखा दोनों को नमस्कार किया और वह सीढ़ियों से उतर रहा था . दयाल उसे छोड़ने गाड़ी तक गया . इधर दोनों परिवारों में अमर और विजया के फोन का बेसब्री से इंतजार था .
अगले वीकेंड में शिखा ने बेटे से फोन कर पूछा “ क्या हुआ ? तुम विजया से मिले या नहीं ? “
“ मम्मी , बस कुछ ही देर पहले बात कर के लौटा हूँ . “
“ तब क्या बात हुई ? “
“ मम्मी आप सारी बातें जान कर क्या करेंगी ? “
“ ठीक है बाबा , मुझे तुम दोनों का फैसला जानना है , बस और कुछ नहीं . “
“ मेरी तरफ से पहले से हाँ था . आज विजया का भी हाँ ही समझो . “
“ हाँ ही समझो , मतलब ? “ शिखा ने घबरा कर पूछा
“ मम्मी , कहा न हाँ ही समझो . कल लंच पर मैं , विजया और अंजू तीनों मिल रहे हैं . फिर हम बात करते हैं . “
शिखा और दयाल दोनों को अब कुछ घंटे और इन्तजार करना पड़ा .
देर रात तक दयाल और शिखा बेटे के फोन का इन्तजार कर रहे थे . कुछ देर में फोन बजा . अमेरिका से अंजू का फोन था . शिखा ने जल्दी से फोन रिसीव कर कहा “ बोल बेटी , क्या फैसला किया भैया और विजया ने ? “
“ दोनों खुश हैं एक दूसरे से अब तुम भी खुश हो जाओ . यही चाहती थी न ? “
“ हाँ , जरा भैया को देना . “
“ तब अमर बेटे खुश है न विजया से मिल कर . राउरकेला से नटराजन अंकल का भी फोन आया था . “
“ मैं सभी को कनेक्ट करती हूँ . “ अंजू ने कहा
“ अंजू तो अभी से उसे भाभी भाभी कहने लगी है . “ अमर बोला
“ और तुम ? “
“ तो क्या मैं भी होने वाली पत्नी को भाभी कहूँ ? “
“ लो हो गया रिश्ता पक्का . “ दयाल ने जोर से हँसते हुए कहा
इस बात पर सभी ठहाका लगाकर हँसने लगे . सभी एक दूसरे को नए रिश्ते के लिए बधाई भी देने लगे . फिर शिखा ने अपने बेटे और बेटी से एक साथ कहा “ हम लोग जल्दी से शादी कर अपना दायित्व निभाना चाहते हैं . मैंने पंचांग भी देख लिया है , जुलाई के पहले सप्ताह में अच्छा लगन है . उसी दिन शादी होगी . “
“ मम्मी , अगर इस से भी जल्दी करनी है तो अमेरिका में ऑनलाइन शादी भी लीगल है . कल ही करा दूँ भैया की ऑनलाइन शादी ? चट मंगनी पट ब्याह समझो . “
“ चुप कर , भैया के माँ बाप अभी जिन्दा है . तुम सबकी नानी बनने की कोशिश नहीं करो . चुपचाप जुलाई के शुरू में तुम लोग यहाँ आओ , शादी यहीं से पूरे रस्म ओ रिवाज से होगी . “ शिखा ने कहा
फिर दयाल ने नटराजन और उनकी पत्नी से कहा “ क्यों , समधी और समधन जी . मंजूर है न . “
नटराजन और उसकी पत्नी ने एक साथ कहा “ नेकी और पूछ पूछ . “
कुछ दिनों के बाद जुलाई के आरंभ में अमर , विजया और अंजू तीनों इंडिया की फ्लाइट में एक साथ बैठे थे .
समाप्त
नोट - कहानी काल्पनिक है