Chat Mngani Pat Byah - 1 in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | चट मंगनी पट ब्याह - 1

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चट मंगनी पट ब्याह - 1

                                           कहानी - चट मंगनी पट ब्याह     


Part 1 - वर्षों बाद जब नटराजन अपने पुराने शहर में गया जहाँ उसका बचपन गुजरा था , उसे अपना पुराना घर देखने की इच्छा हुई   …. 


एक सरकारी प्लांट में करीब 35 वर्ष काम करने के बाद कुछ दिन पहले दयाल रिटायर हुआ था  . कुछ वर्ष पूर्व उसकी कंपनी की आर्थिक स्थिति बहुत ही ख़राब थी  . उन दिनों कम्पनी ने अपने कर्मचारियों को कंपनी द्वारा दिए गए आवास को सशर्त लीज पर  खरीदने का ऑफर दिया  . किसी अन्य शहर की तुलना में फ्लैट  का मूल्य  बहुत ही कम था  .  इस तरह कंपनी को भी रुपये मिले और कर्मचारियों को एक वेल प्लांड कॉलोनी में घर खरीदने का मौका मिला , वह भी वही घर जहाँ वे रह रहे थे  . यहाँ कॉलोनी के साफ़ सुथरे वातावरण के साथ अबाधित बिजली पानी की व्यवस्था थी  . दयाल ने भी इस मौके का लाभ उठा कर एक टू BHK फ्लैट खरीद लिया जिसमें एक ड्राइंग  रूम , किचन , बाथरूम के साथ एक डाइनिंग स्पेस भी था  . 


दयाल को दो बच्चे थे , एक बेटा अमर और उस से छोटी एक बेटी अंजू   . दोनों बच्चे पढ़ लिख कर  अमेरिका में सेटल्ड  थे  . दयाल  अंजू की शादी कर चुका था जबकि बेटा अभी शादी के लिए तैयार नहीं था  .दयाल अमेरिका की यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था  . उसे पढ़ी लिखी अमेरिका में सेटल्ड लड़की चाहिए थी  .उसने कह रखा था उसे जातपात से कोई मतलब नहीं है  .   दयाल पत्नी के साथ बीच बीच में अमेरिका जा कर बच्चों से मिल लेता था  . कुल मिला कर उसके दिन बड़ी ख़ुशी से कट रहे थे , बस बेटे की शादी करा कर और निश्चिन्त हो जाना चाहता था  .  

दयाल के अपार्टमेंट में चार फ्लैट थे दो पहली मंजिल पर और दो ग्राउंड फ्लोर पर  . दयाल का फ्लैट पहली मंज़िल पर था और उसके सामने भी वैसा ही एक फ्लैट था जिस में एक युवा दंपत्ति अपने बेटे के साथ रहते थे . वे लोग गर्मी की छुट्टी में बच्चे को ले कर गाँव गए थे  . भीषण गर्मी और लू के चलते दिन के नौ बजते बजते वहां सन्नाटा छा जाता था  . सुरक्षा की दृष्टि से दयाल नौ बजते बजते नीचे जा कर स्टेयर केस का दरवाजा अंदर से बंद कर देता था , तब तक उसके यहाँ काम करने वाली महरी भी अपना काम खत्म कर के चली जाती  थी  . दरवाजे के बाहर कॉल बेल लगा था , कभी कोई आता तो बेल बजा देता या फोन कर देता तब दयाल नीचे जा कर दरवाजा खोल दिया करता  .  


 जून का महीना चल रहा था और भीषण  गर्मी पड़ रही थी  . दयाल  नीचे सीढ़ियों का दरवाजा बंद कर चुका था और इस दोपहर में किसी के आने की उम्मीद भी नहीं थी  . वह भोजनोपरांत ड्राइंग रूम में एयर कंडीशनर चला  कर सोफे पर बैठा था   . उसकी पत्नी शिखा भी पास में बैठी थी  . वह रिमोट हाथ में लिए टी वी चैनल बदल बदल कर अपना पसंदीदा सीरियल या मूवी तलाश रही थी  . कुछ देर में शिखा की तलाश पूरी हुई और उसने अपना मनपसंद मूवी ऑन कर के दयाल से पूछा “ आप भी देखिये ,आपको भी अच्छी लगेगी  . आपके फेवरिट हीरो देव आनंद की पुरानी मूवी है  . “ 


“ ठीक है , तुम देखो  . मैं भी देख रहा हूँ और साथ में आज का पेपर भी पढ़ रहा हूँ  . “ 


अभी दस मिनट ही हुए थे कि कॉल बेल बज उठी  . उन दोनों को आश्चर्य हुआ क्योंकि इस समय दोपहर में इतनी गर्मी और  लू में किसी के आने की उम्मीद नहीं थी और न ही किसी ने आने की पूर्व सूचना दी थी  . दयाल को बेल बजते ही दरवाजा खोलने की बुरी आदत थी जो उसकी पत्नी को यह आदत कतई पसंद नहीं थी  . वह सोफे से उठा ही था कि  शिखा ने चेतावनी देते हुए कहा “ सुनिए , आप दरवाजा खोलने के लिए इतने उतावले मत हों  . आपको आदत है बिना सोचे समझे किसी के बेल बजने पर दरवाजा खोलने की  . आपकी आदत के चलते कहीं हम लोगों की जान पर न बन आये  . पहले खिड़की खोल कर झाँक लें कि नीचे कौन है  . कोई चोर उचक्का घुस ही गया तो हम दोनों बूढ़े प्राणी उसका क्या बिगाड़ लेंगे  . पड़ोसी भी नहीं है कि आवाज देने पर कोई मदद करने आएगा  .  “ 


“ अच्छा बस करो , इतना बड़ा लेक्चर दे डाला  . पहले खिड़की से देख लेता हूँ  . कमबख्त खिड़की में भी फ्रॉस्टेड ग्लास लगा  है  . सिर्फ झाँकने से कुछ नहीं दिखेगा , खोलना ही पड़ेगा  . “ 


दयाल ने जैसे ही खिड़की खोली कि गर्म हवा का एक झोंका कमरे में घुस आया  .  दयाल ने देखा नीचे कोई पुलिस वाला खड़ा है और रोड पर पुलिस की मारुती जिप्सी लगी थी  . पुलिस को देखते ही वह बहुत डर गया , उसने तुरंत खिड़की बंद कर पत्नी से कहा “ नीचे कोई पुलिस वाला आया है , क्या करें  . पुलिस भला हमारे घर क्यों आएगी  ?  कहीं पुलिस गलत पते पर तो नहीं आयी है ?‘“


इतने में कॉल बेल पुनः बजी   . अभी दोनों मियां बीबी सोच ही रहे थे कि क्या किया जाए कि तीसरी बार बेल बजी   . इस बार हिम्मत कर दयाल और शिखा दोनों ने खिड़की खोल कर पूछा “ क्या बात है , आप किसे खोज रहे हैं ? “ 


“ देखिये हम किसी को नहीं खोज रहे हैं  . हमारे साहब गाड़ी में बैठे हैं , वे आपसे मिलना चाहते हैं  . “  रोड पर खड़ी जिप्सी की तरफ इशारा करते हुए वर्दी वाले ने कहा 


“ पर क्यों मिलना चाहते हैं ? हमने क्या किया है ? “  शिखा ने कहा 


गाड़ी में बैठा अफसर  सब सुन रहा था , उसने गाड़ी से उतर कर कहा “ सर , बस आपसे दो मिनट के लिए बात करना चाहता हूँ , अगर आप सहमत हों तब  . मैं किसी केस के सिलसिले में नहीं आया हूँ , सर  . डर या चिंता की कोई बात नहीं है  . अगर आपको मंजूर है तो दरवाजा खोल सकते हैं  . कोई जबरदस्ती नहीं है वरना हम खुद चले जायेंगे  . पर बड़ी दूर से आये हैं , आपसे मिल कर ख़ुशी होती और हमारा आना सार्थक होता  . आगे मर्जी आपकी , सर  . “ 


एक पुलिस वाले को इतनी विनम्रता  के साथ सर सर कर बात करते हुए देख दोनों मियां बीवी को बहुत  ताज्जुब हुआ  . दयाल ने पत्नी से पूछा “ तब क्या बोलती हो , दरवाजा खोल दूँ ? “ 


शिखा ने कहा “ हाँ ,  बातचीत से तो बड़ा सज्जन लगता है  . नीचे जा कर बात कीजिए  . हो सकता है वहीँ खड़े खड़े बात कर के वह चला जाये  . “


दयाल ने सीढ़ियों से नीचे जा कर दरवाजा खोला  . वह अफसर निकट आ कर बोला “ नमस्ते सर   . मैं नटराजन हूँ और मैं केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (  CISF ) में कमांडेंट हूँ  . “ 


एक आई पी एस के मुंह से अपने लिए’  सर ‘ सुन कर दयाल को हैरानी हुई  . उसने कहा “ क्या बात है ? कहिये , किस से मिलना है आपको ? . “ 


“ सर देखिये  , बात कुछ भी नहीं है  . बस आपसे मिल कर अपना पुराना घर एक बार देखना चाहता हूँ  . मेरा जन्म  इसी घर में हुआ और मैंने इसी शहर में स्कूलिंग किया है  . बस एक बार घर देखना चाहता था , अगर आप इजाजत दें  . तो “ 


दयाल ने कहा “ आइये , अंदर चलें  . “ 


नटराजन अंदर आया और दयाल के साथ सीढियाँ चढ़ने लगा पर उसका ड्राइवर बाहर धूप  में ही खड़ा रहा   . दयाल ने कहा “ ड्राइवर को भी बुला लें  . वह बेचारा क्यों लू में बाहर खड़ा रहेगा  . “  फिर उसने 

ड्राइवर से  कहा “ तुम भी अंदर आ जाओ भाई  . “ 


“ ठीक है मैं गाड़ी लॉक कर आ रहा हूँ  . “ 


“ आने समय सीढ़ी  का दरवाजा बंद कर देना  . “  दयाल ने कहा   


“ घबराएं नहीं , हमारी गाड़ी देख कर कोई आदमी अंदर आने की हिम्मत नहीं करेगा “  अफसर बोला 


“ पर कुत्ता और गाय छाया की तलाश करते करते अंदर आ कर मल मूत्र त्याग जाते हैं  . फिर बहुत खुशामद करने पर और एक्स्ट्रा पैसे देने पर महरी साफ़ करने को तैयार होती है  . “    


इस बात पर तीनों एक साथ हँस पड़े  . घर के अंदर आते ही नटराजन ने शिखा से कहा “ नमस्ते बहनजी . “ 


क्रमशः