एक गांव में रहने वाला एक गरीब लड़का था जिसका नाम रामू था। रामू की परिस्थितियां बहुत मुश्किल थीं और उसे हर दिन भूख से लड़ना पड़ता था। वह एक बेहद समर्थ व्यक्ति था, लेकिन संयम, निरंतर परिश्रम और संकोच बाधा बने रहते थे।
एक दिन, रामू के सामने एक आदमी आया, जिसके पास एक ज़रूरतमंद गांव के विद्यार्थी के लिए एक छोटी सी छात्रवृत्ति थी। यह देखकर रामू में संकोच हुआ, लेकिन आदमी ने उसे प्रेरित किया कि वह छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें। रामू ने सोचा कि इससे उसे अधिक पढ़ाई का मौका मिलेगा, और उसने साहस संग आवेदन दिया।
धीरे-धीरे, रामू की मेहनत और समर्पण ने उसे अधिक पढ़ाई के लिए अवसर दिया। उसने अच्छे अंक प्राप्त किए और उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की।
रामू ने अपने सपनों के पीछे पड़कर कठिनाइयों का सामना किया और निरंतर मेहनत करके एक अच्छे करियर की बढ़ती हुई उड़ान भरी। उसकी मेहनत और समर्पण से वह एक उच्च पद के अधिकारी बन गया।
धीरे-धीरे, रामू धनी और समृद्ध हो गया और उसे अपने गांव के लिए भी काम करने का अवसर मिला। वह गरीबों की मदद करने लगा और समाज को समृद्धि की और आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उसके सफलता का सफर उसके और उसके गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना।
भूत की कहानी।।
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एक रात, एक दिलचस्प जंगल में एक छोटा सा गांव था। गांव के पास एक पुरानी हवेली थी जिसे सभी लोगों ने भूतों से भरा हुआ कहानियों से घेरा हुआ था। इसलिए वहां कई लोग रात को उस हवेली के पास से गुजरना भी नहीं चाहते थे
एक बार, एक नासमझ और साहसी लड़का था जिसका नाम विक्रम था। उसे भूतों के बारे में डर नहीं था और वह उस हवेली को खोजने का मन बना बैठा। उसके दोस्त उसे रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन विक्रम किसी भी बाधा को नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ता गया।
रात के अंधेरे में विक्रम ने हवेली की खिड़की से देखा और एक विचित्र प्रतीति देखी - एक वृद्ध व्यक्ति एक कुर्सी पर बैठा था, जो दिखता था जैसे वह सब कुछ खो चुका हो। विक्रम को भयंकर दर्द हुआ, और उसने भागते हुए हवेली से बाहर निकल आया।
दिन के साथ, उसने अपने दोस्तों को उसे वहां देखने की कहानी सुनाई, लेकिन कोई भी उसे विश्वास नहीं करता था। विक्रम ने दिन भर कोशिश की लोगों को मनाने की, लेकिन सभी उसे मजाक समझकर हंसते रहे।
जब रात का समय आया, तो विक्रम के दोस्त ने भी उसे साथ देने का निर्णय किया। एक साथ मिलकर वे उस हवेली की दिशा में चल पड़े। जब वे हवेली पहुंचे, तो वे सभी अचंभित हो गए।
वह वृद्ध व्यक्ति, जिसे विक्रम ने पहली बार देखा था, अब वही विक्रम था, स्वस्थ और हंसता हुआ। विक्रम को एहसास हुआ कि वह भूत नहीं था, बल्कि वह एक वृद्ध व्यक्ति था जो वहां अकेले में समय बिताने आया था।
उस रात के बाद, गांव में सभी लोग विक्रम को धैर्यपूर्वक सुनते हुए उसके साथ वहां जाने लगे और हवेली के भयंकर खासमे समझो भाग गए। यह कहानी सबको याद रही और विक्रम की साहसिकता और सच्चाई को सराहा गया।