Sang Vigyan Ka - Rang Adhyatm Ka - Part 4 in Hindi Human Science by Jitendra Patwari books and stories PDF | संग विज्ञान का - रंग अध्यात्म का - 4

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संग विज्ञान का - रंग अध्यात्म का - 4

चक्र: जीवन यात्रा के सप्त सूर

 

ऑरा, कुंडलिनी और नाड़ी के बारे में चर्चा हुई. अब चलते हैं चक्र यात्रा पर l

 

चक्रों के बारे में चर्चा शुरू करने से पहले एक बात समझ लेते हैं l जीवन के तीन पहलू हैं; तन, मन और आत्मा. ये तीनो पहलू सात चक्रो से ही संबंधित हैं. संपूर्ण स्वास्थ्य, दूसरे शब्दों में बताये तो कोई भी रोग, हर प्रकार की भावनाएं और अध्यात्म - सब कुछ कोई न कोई चक्र से जुड़ा है l इस लिए चक्रों के बारे में माहिती होना, उन्हें संतुलित रखना अति आवश्यक है l गुजराती में प्रसिद्द हो चुकी है और हिंदी में बहुत जल्द प्रसिद्द हो रही है, जिसका प्रि- बुकिंग भी शुरू हो गया है ऐसी मेरी पुस्तक 'चक्रसंहिता' में से से प्रत्येक चक्र के बारे में, उनके संतुलन की पद्धतिओ के बारे में अनुभवसिद्ध विस्तृत माहिती प्राप्त हो पायेगीl यहाँ हम इस पुस्तक के कुछ अंश लेखमाला के रूप में पढेंगें l

जाने या अनजाने में हो रही किसी भी प्रकार की साधना आखिर में चक्रयात्रा ही है। रेलवे में, जब एक स्टेशन पर कई ट्रेन लाइनें मिलती हैं, तो इसे जंक्शन कहा जाता है। इस प्रकार चक्रों की तुलना नाड़ियों के जंक्शन से की जा सकती है। जैसा कि लेखांक3 में समझें हैं, शरीर में तीन प्रमुख और कई छोटी नाड़ियों के माध्यम से ऊर्जा प्रवाहित होती है। ये नाड़ियाँ कई जगहों पर आपस में मिलती हैं और एक-दूसरे को काटती हैं। जहाँ इस तरह से काटती है, वे बिंदु ऊर्जा केंद्र हैं जो संपूर्ण ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं, इसे शरीर के विभिन्न हिस्सों में प्रसारित करते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) पूर्णतया इन पर निर्भर है। इन बिंदुओं को चक्र कहते हैं l

ये चक्र रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से से शुरू होकर सिर के ऊपर के हिस्से तक अलग-अलग जगह पर स्थित हैं। सबसे नीचे मूलाधार चक्र है, उसके बाद स्वाधिष्ठानचक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और शीर्ष पर सहस्त्रार चक्र है। 

मुख्य चक्र सात हैं, गौण चक्र अनेक हैं। सभी एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर बिंदु भी गौण चक्र हैं। आधुनिक चिकित्साविज्ञान की दृष्टि से इन सभी चक्रों को शरीर की विभिन्न ग्रंथियों से जोड़े जा सकते हैं। अलग-अलग चक्रों का अलग-अलग ग्रन्थियों से संबंध आगे देखेंगे जब हम प्रत्येक चक्र पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

चक्रों और नाड़ियों की बनावट व कार्य सरलता से समझतें है; नाड़ियाँ ऊर्जा परिवहन का माध्यम हैं, जबकि चक्र ऊर्जा स्टेशन हैं। चक्र ऐसे ट्रांसफॉर्मर हैं जो ब्रह्मांड से प्राप्त उच्च आवृत्ति(frequency) की ऊर्जा पर विशेष प्रक्रिया करते हैं और शरीर में रासायनिक(chemical), रसग्रंथिय(hormonal) और कौशिकीय (Cellular) परिवर्तन लाते हैं।

 

चक्रों का कार्य


ब्रह्मांड से ऊर्जा प्राप्त करना और प्रतिदिन अनेक कारणों से (विशेष रूप से विचारों के माध्यम से) शरीर में पैदा होने वाली हानिकारक ऊर्जा को बाहर निकालने का कार्य चक्र करते हैं। जिस प्रकार किसी भी प्रकार की स्मृति का स्वतः ही न्यूरॉन में कॉडिंग हो जाता है, उसी प्रकार विचार की ऊर्जा का कॉडिंग अपनेआप चक्रों में हो जाता है। प्रत्येक विचार का चक्रों पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक विचार में एक ऊर्जा होती है। इससे यह समझ पाएंगे कि जब भय, क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, उदासी, निराशा, ग्लानि (अपराधबोध) या ऐसे नकारात्मक विचारों का आक्रमण होता है, तो बिना किसी शारीरिक परिश्रम के भी व्यक्ति अत्यधिक थकान क्यों महसूस करता है? 'चिंता, चिता समान' जैसी कहावत और हमारे खुद के अनुभव इस बात की पुष्टि करेंगे।

चक्र शरीर के चारों ओर ढाल के रूप में कार्य करते हैं, सभी प्रहारों से संरक्षण   प्रदान करतें हैं। चक्रों के कमजोर होने से ही बीमारियाँ शरीर पर आक्रमण करती हैं। चक्र कब कमजोर हो जाते हैं? जैसे कचरा रसोई के नाली(sink) को भर देता है और पानी के प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है, वैसे किसी चक्र पर जब वैचारिक कचरा जमा हो जाता है, तो उनका कार्य (नई ऊर्जा को ग्रहण करना और दूषित ऊर्जा को बाहर निकालना) अवरुद्ध हो जाता है, तब चक्र कमजोर हो जाते हैं l

बच्चे सामान्यतः विचार नहीं करते। फिर भी कभी-कभी बच्चों के चक्र भी दूषित हो सकते हैं। इस का कारण यह है कि गर्भावस्था के दौरान और बाद में माता जो विचार करती रहती हैं, उस का प्रभाव बच्चे पर होता है। गर्भावस्था के दौरान अच्छा साहित्य पढ़ने और सकारात्मक विचार रखने पर विशेष जोर देने के पीछे का कारण आप समझ सकते हैं।

 

पृथ्वी के चक्र


जैसे शरीर के सात चक्र होते हैं, वैसे ही घर के, किसी भी स्थान के और पृथ्वी के भी सात चक्र होते हैं। अक्षांश और देशान्तर की तरह, ऊर्जा आधारित 'ले लाइन्स' (Ley Lines) थियरी हैं। जहाँ ये ले लाइन्स अधिक मात्रा में होकर गुजरती है, ऊर्जा उच्च स्तर पर होती है। ऐसी उच्च ऊर्जा वाले कुछ स्थलों को पृथ्वी के सात चक्र माने जाते हैं। पहले दो चक्र अमेरिका में, तीसरा ऑस्ट्रेलिया में, चौथा इंग्लैंड में, पाँचवाँ ईजिप्त में, छठा इंग्लैंड में माना जाता है (छठे चक्र का स्थान बदलता रहता है, इसलिए इसके वर्तमान स्थान के बारे में मतमतान्तर है) और उच्चतम चक्र कैलास पर्वत पर माना जाता है। प्रत्येक चक्र के बारे में विस्तृत चर्चा के दौरान हम इन स्थानों के बारे में अधिक जानेंगे।

 

हथेली के चक्र


जैसे शरीर के विभिन्न भागों में 7 प्रमुख चक्र होते हैं, वैसे ही हथेली में भी सात चक्र होते हैं । स्पर्श के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला अंग हथेली है। इसलिए इन चक्रों के दूषित होने की संभावना अधिक होती है। हथेली तो किसी भी जगह से ऊर्जा ग्रहण कर लेती है। कभी-कभी वह ऊर्जा परेशानी उत्पन्न करे ऐसी भी हो सकती है। कोरोना संक्रमण के लिहाज से हथेली के महत्त्व से सब अवगत हो चुके हैं, लेकिन चक्रों के संदर्भ में समझना और भी महत्त्वपूर्ण है। कोरोना अब वैश्विक महामारी नहीं रही, कल शायद उसका अस्तित्व ही ना रहे लेकिन चक्र तो मरते दम तक साथ रहने वाले है।

चक्र संतुलन पर अगले अध्यायों में विस्तृत चर्चा होगी। इस बीच, हाथ के चक्रों को शुद्ध करने की कुछ सरल तकनीकों को समझते हैं

1) दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ने से ऊर्जा का प्रवाह तुरंत बदल जाएगा।

2) शुद्ध पानी में, संभव हो तो समुद्री नमकमिश्रित पानी में कुछ देर हाथों को रखने से लाभ होगा।

3) जब शरीर में कम ऊर्जा महसूस हो, दोनों हथेलियों से काल्पनिक रूप से पानी के छींटे मारें, हथेली को यूँ झटकें।

4) हम हमेशा सुनते हैं कि खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि के अलावा, ऊर्जा विज्ञान के अंतर्गत भी इसके महत्त्व को समझते हुए, इस मुद्दे को ध्यान में रखें।

5) विभिन्न हस्तमुद्राएँ इन चक्रों को संतुलित करने में सहायक सिद्ध होगी।  

 

चक्र संतुलन/शुद्धि


असंतुलित/दूषित चक्रों को संतुलित/शुद्ध करने के लिए विभिन्न उपाय है। इसके लिए ध्यान सर्वोत्तम तरीका है। ध्यान के और भी अनगिनत फायदे हैं। संतुलन के लिए और भी कई तरीके हैं। क्रोमोथेरेपी (रंग चिकित्सा), विशेष आहार, योगासन, मुद्राएँ, विभिन्न प्रकार की ध्वनि चिकित्सा, मंत्र, अरोमाथेरेपी, क्रिस्टल, हिप्नोसिस, विज्युअलाइज़ेशन, एफर्मेशन, भावनात्मक उपचार, तंत्र, आदि के माध्यम से विभिन्न चक्रों को संतुलित किया जा सकता है। कईं ऊर्जा उपचार विधियाँ भी हैं जैसे रैकी, प्राणिक हीलिंग, ची गोंग, ताई ची, EFT आदि। हम विभिन्न चक्रों के संतुलन पर चर्चा करते समय अनेक उपायों को विस्तार से देखेंगे।

 

आज यहाँ विराम लेते हैं ल आगामी हप्तों में एक के बाद एक प्रत्येक चक्र पर विस्तृत चर्चा करेंगे l

 

(ક્રમશ:)

✍🏾 જિતેન્દ્ર પટવારી ✍🏾

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