प्यार मर्द और औरत के बीच होता है।प्यार की लो या प्यार कि आग दोनो तरफ लगती है।लेकिन कभी प्यार एक तरफा भी होता है।मतलब औरत को आदमी से प्यार हो जाये और आदमी उसे प्यार न करता हो।ऐसा ही आदमी के साथ होता है।आदमी को औरत से प्यार हो जाये लेकिन औरत उसे घास ही न डाले।ऐसा ही कुछ राघव के साथ था
राघव तो माया को चाहने लगा और प्यार करने लगा।उसका प्यार एक तरफा था।
एक दिन राघव घर पर टी वी पर जोश फ़िल्म देख रहा था।फ़िल्म एक प्रेम कहानी थी।हेरोइन का भाई मवाली है और हीरो उसकी बहन को चाहने लगता है।बहन हीरो को घास डालना तो दूर उसे तंग करती है।और इसी नोक झोंक में आखिर उसे हीरो से प्यार हो जाता है।
फ़िल्म देखकर राघव बिस्तर में लेट गया और फ़िल्म के बारे में सोचता सोचता माया के ख्यालों में खो गया।फ़िल्म की हेरोइन की जगह उसे माया नजर आने लगती है और वह अपने को हीरो समझने लगता है।वह माया से प्यार करता है और माया लेकिन एक दिन वह उसे चाहने लगती है।
और राघव कई दिनों तक सोचने के बाद मन मे निर्णय लेता है कि वह प्रपोज करे।
यह भी जनता था कि माया उसके प्रपोजल को स्वीकार नही करेगी।उसके प्रस्ताव को ठुकरा देगी।फिर भी
एक इतवार को
सन्डे को माया अपने फ्लैट में ही रहती थी।उसने एक खूबसूरत गुलदस्ता तैयार करवाया और एक दिन वह माया के पास जा पहुंचा।फ्लेट का दरवाजा बंद था।उसने डोरबेल बजायी।माया ने दरवाजा खोला।राघव को देखते ही बोली,"क्या है?"
राघव गुलदस्ता आगे करते हुए बोला,"फूल"
"फूल किसने दिए है।"
"मैं,"राघव बोला,"मैं आपको प्रपोज करना चाहता हूँ।"
और राघव की बात सुनते ही वह उखड़ गयी थी,"अपनी औकात देखी है।मुझे प्रपोज करोगे।"
और माया ने फूल उसके मुह पर दे मारे और उसे बेज्जत किया था।
अगले दिन सोसायटी के सेकेट्री नारंग ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया था।
"तुम माया के फ्लैट पर गए थे।"
"जी।"
"क्यो?"
"मुझे अच्छी लगती है।प्रपोज करने के लिए गया था।"राघव ने नारंग को सब कुछ साफ बता दिया था।
"देखो यह फ़िल्म नही है।असल जिंदगी है।फिल्मों में हीरो कैसा भी हो या हीरोइन कैसी भी हो उनके बीच नोक झोंक और लड़ाई के बाद प्यार हो जाता है।लेकिन असल जिंदगी में ऐसा नही होता।असल जिंदगी में रिश्ते बराबरी वालो में ही होते है
नारंग,राघव को समझाते हुए बोला,"माया ने लिखित में शिकायत नहीं कि है।इसलिए में कोई एक्शन नही ले रहा हूँ
ऐसा नही है राघव न जानता हो।वह भी जानता था ऐसा कुछ भी हो सकता है।
और राघव ने आगे से ऐसी कोई हरकत नही की लेकिन उसके दिल मे प्यार कम नही हुआ। उसकी आंखें माया की एक झलक के लिए तरसती रहती।और एक दिन अचानक एम्बुलेंस आकर कम्पाउंड में आकर रुकी।माया को स्ट्रेचर पर लाया गया।
राघव भी एम्बुलेंस के पास पहुंच गया।माया को उसके फ्लेट में ले गए।उसके पैर में प्लास्टर बंधा था।
जब स्ट्रेचर लेकर वार्ड बॉय नीचे आये तो राघव ने पूछा था,"क्या हुआ?"
ऑफिस की लिफ्ट खराब हो गयी थी।सीढ़ी से उतरते समय पैर स्लीप हो गया।पैर में फ्रेक्चर है।प्लास्टर चढ़ा है।
और माया ने एक औरत रख ली जो सुबह आती और रात तक रहती।