Saat fere Hum tere - 108 - Last part in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 108 (अंतिम भाग)

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सात फेरे हम तेरे - भाग 108 (अंतिम भाग)

फिर विक्की के कई बार समझाने पर भी नैना नहीं मानी और फिर वो आश्रम चली गई ‌।
आश्रम पहुंची और फिर वहां पर एक गुरु जी के पास ले जाया गया।
गुरु जी ने कहा बिटिया तीन दिन तक तेरा शुद्धिकरण होगा और फिर तुझे तेरा सब कार्य समझा दिया जाएगा अगर कोई भूल हुई तो फिर उसकी सजा सुनाई जाएगी।
नैना ने कहा गुरूजी जो आप जो कहेंगे।
फिर दो महिलाएं नैना को एक कमरे में ले गई और फिर उसे कपड़े उतार लेने को कहा और फिर एक सफेद साड़ी पहना दिया गया ।
फिर नैना को सरसों का तेल की शीशी लेकर पुरा सिर पर डाल दिया और नैना ने अपनी आंखें बंद कर दिया।
उसके बाद उसे नारियल पानी और जैतून तेल से नहला दिया और फिर एक और वस्त्र धारण करने को कहा।
नैना इस सब के लिए शायद तैयार नहीं थीं और फिर वो रोने लगी।
क्योंकि परदेस में उसे ऐसा स्वागत किया जो उसने कभी सोचा नहीं था।
नैना रोने लगी तो वो महिला ने कहा देखो ऐसा रो मत चलो अब।
फिर नैना को लेकर एक कमरे में जाकर बैठ जाने को कहा और फिर उसे फल मिठाई खाने को दिया।
नैना भी बेमन से थोड़ा सा खा लिया और फिर बोली अरे वाह क्या जिंदगी मिलीं।
उधर विक्की बहुत परेशान हो गए थे और फिर उसे दादी मां का जो जो काम किया वो बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।
विक्की ने भी खाना पीना सब छोड़ दिया था।
दादी मां भी बहुत परेशान हो गई थी।
अनिक ने कहा मेरा इस बार आना बेकार हो गया।
जब बुई को ये बात पता चल गया तो उसने विक्की को फोन करके बहुत कुछ सुना दिया।
विक्की ने कुछ भी नहीं कहा।
आश्रम में नैना का दूसरा शुद्धिकरण भी पुरा हो गया।
इस तरह से तीन दिन का शुद्धिकरण होने के बाद नैना को हर काम समझा दिया गया।
गुरु जी ने कहा सुबह चार बजे तक उठ कर स्नान करने के बाद नये कपड़ों में सबसे पहले फुलों का माला बनाकर रोजाना भगवान शिव को समर्पित करना होगा और फिर गाय को चारा देना होगा उसके बाद मेडीटेशन के लिए एक घंटे तक बैठना पड़ेगा।
फिर अपने लिए लड़कियां लाकर मिट्टी का चुल्हा बना कर अपने लिए खिचड़ी बनाकर ख़ाना होगा।
उसके बाद दोपहर को मिट्टी का बरतन बना कर उसे सुन्दर सा सजाना होगा।
शाम को पौधों को पानी देना होगा और फिर अपने अतीत को याद करते हुए ध्यान लगाना होगा।
अगर नाकारात्मक विचार आता है तो फिर से शुद्धीकरण किया जाएगा।


सुबह चार बजे नैना उठ कर सबसे पहले स्नान करने चली गई। फिर वस्त्र धारण करने के बाद बगीचे में जाकर फुल लेने लगी और फिर उन फुलों से माला तैयार किया और फिर उसे शिव जी को समर्पित कर दिया।
उसके बाद गौशाला में जाकर दो गौ माता को प्रणाम किया और फिर सबको चारा दिया।।
इतना करते हुए नैना एक दम थक गई थी और फिर वहां से मेडिटेशन करने एक रूम में गई और वहां बैठ कर मेडीटेशन करने लगी।
एक घंटे का ध्यान करने के बाद नैना वहां से निकल आईं ।
फिर वहां से आगे जंगल का रास्ता जाता है वहां से लकड़ी लेकर आना होगा।
नैना भी जंगल में जाकर खाली पैरों पर खड़ी हो कर कुछ लकड़ियां लेकर वापस आश्रम आ गई।
नैना के पैरों पर चोट लग गई और खून निकलने लगा।
उसके बाद मिट्टी से किसी तरह चुल्हा बना कर उसमे मिट्टी का बरतन चढ़ा कर खिचड़ी बनाकर नैना खाना खाने बैठ गई।
फिर खाना खाने के बाद नैना वहां पर गई और देखा कि और भी बहुत सारी औरतें वहां पर हस्त कला का प्रदर्शन कर रही थी।
नैना भी निलेश को याद करते हुए उसी की सारी कला को उन मिट्टी के बर्तन में उतार दिया।
फिर शाम को पौधों को सिंचाई करने लगी और फिर पानी डालने लगी।



फिर एक बार ध्यान लगाने बैठ गई और फिर नैना को डर लगा कि कहीं उसे अतीत से जुड़े कोई बात अगर याद आया तो नाकारात्मक विचार आ सकता है और फिर।।
उसके बाद सभी एक रूम में उपस्थित हो गए। जहां पर भगवान को याद करते हुए शुभ रात्रि ।


इतनी शक्ति हमें देना दाता।

शक्ति महादेव दे न दाता इतनी मनका विश्वस्त हो ना हम्ख़ी झूठा भी झूठा हो सकता है... हर तरफ़ ज़ुल्म बेबसी है सहमा-सहमा-सा हर इंसान है पाप का बच्चा जाने कैसे ये मज़मी है बच्चों के लिए मौज-मस्ती तेरी सृष्टि ये अंत:... हम समाचार...


अवज्ञा के अन्धेरे तीम ज्ञान की रौशनी दे हर से बचके हम आदर्श भी दे, भली दे बर हो ना किसी और से मनोभाव में हो ना... हम समाचार...


हम न दावा करते हैं हम यश फुलियों की बातें सभी को सबका जीवन करुणा को दूर करें करदे पावन हर इक मन का कोना... हम समाचार...

हम अन्धेरे में हैं रौशनी दे, खो ना दे खुद को दुश्मन से, हम की पहचान की गई, मृत्यु भी हो तो सह ले खुशी से, कल जो गुज़रा फिर से नादे, आनेवाला निर्णय हो ना... हम नेक आवेदन, भुलकर भी कोई झूठा हो ना...

गाना खत्म होते ही नैना रोने लगी और फिर सब महिलाओं ने मिलकर नैना को एक रूम में लेकर गई।
और फिर बोली नैना अब सो जाओ वो चटाई बिछाकर उस पर सो जाओ।
नैना ने कहा हां ठीक है।
वो एक बुढ़ी महिला ने कहा देखो नैना तुम्हें चार बजे खुद ही उठना होगा।
नैना ने कहा हां ठीक है।
उधर विक्की हैरान परेशान हो गए थे और सब कुछ छोड़ कर पागल सा हो गया था।
दादी मां ने नैना के सारे सपने तोड़ दिया।
दादी मां ने कहा हां ठीक है अगर ऐसा हुआ है तो ठीक है नैना फिर कभी इस घर की बहू नहीं बन पाती।
विक्की ने कहा मैं तो हैरान रह गया आज मैंने गलती कर दी नैना को यहां परदेस में ला कर।
उसके सारे सपने उसकी पढ़ाई सब रूक गया आज की इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में अकेले ही रह गई नैना आज मैं चाह कर भी उसके साथ नहीं रह सकता।
दादी मां ने कहा अरे छ महीने ऐसे ही निकल जाएंगे।
विक्की ने कहा दादी मां मुझे खाना नहीं खाना है।
दादी मां ने कहा आज तक कभी ऐसा नहीं किया तूने।
विक्की ने कहा मुझे अकेला छोड़ दिजिए।

इस तरह एक हफ्ते और फिर एक महीने निकल गए।
नैना अब आश्रम में सब कुछ सीख चुकी थी अब सब कुछ आसान लगने लगा था।
नैना का शिल्प कला बहुत ही जल्दी हर जगह फैलता गया।

नैना अब अपने चित्रों को प्रदर्शनियों में भी भेजा करती थी और फिर उसके सारेकाम की प्रशंसा भी होने लगी थी और सारी कलाएं विदेश में फैलता गया।सब उसकी कला की प्रशंसा करने लगे थे।अब तो सारी चीज़ें जल्दी ही बिकने भी लगा था।





उसके लिए यह सब कुछ नया था पर फिर भी वो अपने हाथों के बने हुए इस कला से खुश थी। क्यों कि दादी मां ने अग्नि परीक्षा के लिए नैना को वनवास भेज दिया। क्या नैना इन सब से उबर पाएंगी।या फिर हमेशा के लिए यहां रहने का फैसला कर लिया था।

उधर विक्की कुछ रोक तो नहीं पाया और इसे नियति समझ लिया और खुद को इन सबसे दूर करने के लिए उनसे एक बहुत बड़ा फैसला किया कि अब सब कुछ छोड़ कर ऐसी जगह चला जाए जहां उसे याद ना रहे।।

बस फिर क्या था विक्रम सिंह शेखावत एक जिन्दा दिल इंसान खुद को एक जिन्दा लाश बनाने के लिए निकल पड़ा।


किसी को बिना बताए एक वनवास के लिए।।।




दोस्तों मैं आप सभी से तेहदिल से शुक्रिया अदा करना चाहती थी सात फेरे हम तेरे को इतना अधिक प्यार दिया और सराहना मिली।। मैं अब फिर से आने वाली हुं सात फेरे हम तेरे सेकेंड सीजन के साथ बहुत जल्द।।

सात फेरे हम तेरे सेकेंड शीजन के साथ एक बार फिर विक्रम सिंह शेखावत और नैना की प्रेम कहानी को एक मिसाल देने के लिए।

(सात फेरे हम तेरे सेकेंड सीजन)

कुछ दिनों का इन्तजार।।

आज मैं यही तक । धन्यवाद आपका।

समाप्त















आज मैं यही तक ।

समाप्त