Vedas- Puranas-Upanishads Chamatkaar ya Bhram - 15 in Hindi Spiritual Stories by Arun Singla books and stories PDF | वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 15

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 15

 

शिष्य आगे चल कर प्रश्न करता है : ज्ञान की प्राप्ति का रास्ता क्या है, और यह इतना कठिन क्यों है, जिस गुरु ने ज्ञान प्राप्त कर लिया है, वह अपने शिष्यों को इसे सीधे ही क्यों नहीं दे देता.

ऋषी दुविधा का समाधान करता है:  “जीवन का ज्ञान दिया नहीं जा सकता यह सिर्फ जिया जा सकता है”, गुरु भी नहीं दे सकता, वह गुरु भी नहीं दे सकता, जिसने इसको जान लिया है, जो जागृत हो गया है. क्योंकि यह ज्ञान जीने में है, साधना की राहों पर, चलते चलते कब यह घटित हो जाये, यह शिक्षक को भी नहीं मालुम, और ना ही वह बता सकता है, कि उसके किस प्रयत्न से यह मिला है.

ऋषी आगे कहता है, परन्तु में तुम्हारे साथ एक बार फिर से उन्हीं राहों पर चल सकता हूँ, जिन राहों  पर चल कर उसे ज्ञान प्राप्त हुआ था, फिर शायद यह घटना घट जाए. लेकिन यह दिया नहीं जा सकता, कोई निश्चित सूत्र नहीं है. महात्मा बुध भी ग्यारह वर्ष तक इसे पाने के लिए विभिन्न गुरुओं के पास भटकते रहे, जो गुरुओं ने कहा, वह उन्होंने किया, पर बोध नहीं घटा, परन्तु वे लगे रहे, तो अचानक एक दिन बौद्ध प्रकट हुआ, अन्धकार मिट गया, अब यह क्या करने या ना करने से मिला वह खुद भी ना जानते थे. आनंद, महात्मा बुध का भाई और शिष्य भी था, वह अक्सर बुध से पूछता रहता था, मुझे ज्ञान कब देंगे, बाद में आने वाले कितने ही शिष्य ज्ञान को प्राप्त हो गए, मैं तो आपके साथ शुरू से हूं मुझे कब देंगे,और महात्मा बुध मुस्कुरा कर रह जाते थे, क्योंकि यह दिया ही नहीं जा सकता, बस घटित हो सकता है.

 

संदर्भ लें, जरा यादें ताजा कर लें 

हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने हमारे वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों नहीं किये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों  वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ?

मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम प्रमाणित हैं, बल्कि ये मानवता की शुरुआत व् विकास की कहानी है, जिसकी मैंने जन साधारण और सरल भाषा में आप तक पहुचाने की कौशिश की है.

तो आइये पहले ये तो जान लें की आखिर वेद, पुराण श्रुति, शास्त्र, मन्त्र, उपनिषद हैं क्यां. ये जानकारी आप पहुंचाने के लिए गुरु शिष्य परम्परा का सहारा लिया गया है, जहां शिष्य यानी जिज्ञासु जो अज्ञात को जानना चाहता है,सवाल करता है व् गुरु जिज्ञासा शांत करता है, तो शुरू करते हैं:

वेद क्या है ?

गुरु: वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं, और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं. वेदों में किसी भी मत, पथ या सम्प्रदाय का उल्लेख ना होना यह दर्शाता है कि वेद विश्व में सर्वाधिक प्राचीनतम साहित्य है.  

यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत सूची में शामिल किया है.

वेदों की 28 हजार पांडुलिपियां भारत में पुणे के “भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट” में रखी हुई हैं. इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया है. यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है.

सबसे ज्यादा महतवपूर्ण बात ये है कि, यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है.