EK KAHANI AISI BHI BHAG - 4 in Hindi Horror Stories by Abhishek Joshi books and stories PDF | एक कहानी ऐसी भी - भाग 4

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एक कहानी ऐसी भी - भाग 4

जैसे  की  आपने  देखा  की  अनुज  के  माता - पिता  अंदर  से  टूट  चुके  थे  |

ठीक  उसी  तरह  जिस  तरह  सालों  पहले  सुनैना  के  माता - पिता  की  हालत  थी  |

समय  आज  वही  पे  आके  खड़ा  था  |

मात्र  व्यक्ति  का  परिवर्तन  हुआ  है  |

 

सब  लोगों ने  पूरी  रात  यही  चिंता  मे  बितादी  की  |

सुबह  क्या  होगा  |

 

सुबह  होते  ही  राकेश  जि  अस्पताल  को  निकल  गए  |

वहा  जाके  प्रेम  से  सब  कुछ  पूछताछ  की  |

पूछताछ  करने  पर  पता  चला  की  |

पूरी  रात  अनुज  सोया  ही  हुआ  था  |

उसने  अपना  एक  अंग  भी  नहीं  फेरा  |

 

ओर  थोड़ी  देर  मे   वहा  पे  डॉक्टर  आए  |

उसने  सब  रिपोर्ट  किए  पर  ये  क्या  सारे  रिपोर्ट  नॉर्मल  आए |

खून  भी  अब  काला  नहीं  पर  लाल  हो  चुका था  |

 

थोड़ी  देर  मे  अनुज  उठा   सब  से  बात  की  ओर  |

ओर  डॉक्टर  ने  उसे  घर  जाने के  लिए  रजामंदी  भी  दे  दी  |

 

सब  घर  पहुचे  सब  खुस  थे  |

सबको  लग  रहा  था  की  सब कुछ  ठीक  है  |

परी  ओर  प्रिया  भी  वापस  आ  गए  |

पर  किसी ने  उसे  कुछ  बताया  नहीं |

फिर  अनुज से  रहा  नहीं  गया  ओर  उसने  ही  प्रिया  को  सबकुछ बता  दिया |

 

सारा  दिन  बीत  गया  था  |

सब  खुश  थे  क्योंकि  सब  अछे  से  बीत  गया  |

 

अब  रात  के  १२  बजने  वाले  थे  |

बाहर  तेज  बारिस  ओर  बिजली  कडक  रही  थी  |

जैसे  ही  बारा  बजे  अनुज  फिर  से  चिलाया  |

मुजे  मत  मारो  , मुजे  जाने  दो  |

मुजे  मत  मारो , मुजे  जाने  दो |

मैंने  तुम्हारा  क्या  बिगाड़ा  है  |

 

ये  सब  आवाजे  सुनकर  प्रिया  की  नींद  उड़  गई  |

ओर  जब  उसने  देखा  तो  अनुज  दीवाल  पे  सिर  पटक  रहा  था  |

प्रिया  जब  उसे  रोकने  गई  तो  अनुज  ने  उसे  गले  पकड़कर  हवा  मे  टाँग  दी |

ओर  फिर  बोला  तू  इसे  छुड़ाएगी  मुजसे  | तू  |

सात  दिन  सिर्फ  सात   है  तेरे  पास  बचाना  चाहती  है  तो  बचा  ले  |

 

सात  दिन  तेरे  आठवा  मेरा  |

ये  कहेकर  उसने  प्रिया  को  छोड़  दिया  |

ओर  अनुज  को  कांच  की  टेबल  पर  पटका  |

 

वो  पूरा  लहू -लुहान  हो गया  था  |

उसके  पेट  से  लेकर  गले  तक  कांच  घुस  चुके  थे  |

प्रिया  ने  आवाज  लगाई  -

प्रेम भाई  , सोनल  भाभी  , पापा  , मम्मी  । 

सब  दोड़कर  ऊपर  चले  गए  |

 

सब  जाकर  देखा  तो  सब के  मुंह  फटे  रहे  गए  |

प्रेम  ने  गाड़ी  निकाली  |

राकेश  जि  ने  अस्पताल  मे  फोन  किया  |

ओर  फिर  से  डॉक्टर  रुस्तम  ने  ही  फोन  उठाया  |

ओर  इमर्जनसी  के  लिए  आए  |

 

आखिर  ऐसा  क्यू  हर बार  रात  मे  ही  क्यू  कुछ  होता  है  |

क्या  दिन  मे  उसकी  शक्तिया  कम  होती  है  |

 

सब  एक  भयानक  मंजर  से  गुजर  रहे  थे  |

क्या  आखिर   सरुआत  ऐसी  है  तो  अंत  कैसा  होगा  |

ओर  ये  परिवार  ऐसे  ही  एक  एक  कर  मर  जाएगा  या |

फिर  इन्हे  बचाने  कोई  आएगा  |

 

काले  जादू  ने  तो  अपनी  पकड़  बनाली  इन्हे  अब  कोन  बचाएगा  |

 

है  एक  ऐसा  सख्स  जो  इस  काल  के  चक्र  को  पलटेगा  |

जिससे  मौत  भी  थर - थर  कांपती  है  |

ये  इंसान  आपके  लिए  सप्राइस  है  |

जिसकी  बात  मे  अगले  भाग  मे  करूगा  |

तो  जानने  के  लिए  पढे  -

एक  कहानी  ऐसी  भी  भाग- ५