Pyar ka Bukhar - 7 in Hindi Love Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | प्यार का बुख़ार - 7

Featured Books
Categories
Share

प्यार का बुख़ार - 7

ज़िंदगी की नई यात्रा शुरू होने का यह चरण उत्साह भरा होता है। नए शहर के अजनबी मोहल्लों की गलियों में खोजते हुए, मुकुल एक दिन शहर के एक प्राकृतिक पार्क में खड़े हो जाते हैं। वहां के सुंदर वातावरण में गुमनाम होकर वह आत्म-विचार में खो जाते हैं। वहां बैठी एक लड़की जिसका नाम विद्या है, कलम से कुछ लिख रही होती है। मुकुल उसकी कलम के चंगुल में आ जाते हैं और विद्या की लेखनी से मिलते हैं।

"क्या आपको यहां बिलकुल भी अकेलापन महसूस नहीं होता?" विद्या ने पूछा।
"हाँ, कभी-कभी," मुकुल ने ऊपर देखते हुए कहा, "लेकिन शायद यह अकेलापन नहीं, अभिव्यक्ति की इच्छा हो सकती है।"
"आपका मतलब?"
"कुछ लोग सोचने और लिखने के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान चुनते हैं, जिससे उन्हें अपने भावों को साझा करने का एक मंच मिलता है। मुझे लगता है, आप भी ऐसे ही होंगी।"
"हाँ, आप सही कह रहे हैं।" विद्या ने मुस्कुरा कर कहा। "कई बार शब्द ओरो के ज़मीर के साथ-साथ मेरा ज़मीर भी जगाते हैं।"
"अच्छा, तो आप एक लेखिका हैं?" मुकुल ने जिज्ञासा से पूछा।
"हाँ, वैसे तो एक साधारण सी लेखिका हूँ, लेकिन अपने अंतर्निहित भावों को साझा करने के लिए यहां आकर मेरा मन शांत हो जाता है।" विद्या ने उत्साह से बताया।

मुकुल के मन में एक अनोखा सवाल उठता है। क्या इस अनोखी और अलौकिक मोमेंट की वजह से उनके जीवन में कुछ ख़ास हो रहा है? क्या वह इस अजनबी लड़की के साथ कुछ ख़ास महसूस कर रहे हैं?

विद्या ने उदास मुख से कुछ कहा, "मेरे लिए प्यार कभी आया ही नहीं। मेरा अनुभव कहता है कि इस सब में विश्वास करना गलत है।"

मुकुल की आंखें उजागर हो जाती हैं। "क्या आप वाकई इस बारे में ऐसा सोचती हैं?"
"हाँ," विद्या ने अपने अंदर के दरारों को छिपाते हुए कहा। "मेरे पास बहुत दर्दभरे अनुभव हैं, और मैंने सोचा है कि प्यार सभी को धोखा देता है।"

मुकुल विद्या की बातों से प्रभावित हो रहे थे। इस अनोखे संवाद के दौरान दोनों में एक अजीब सी बात थी, जैसे कि वे दूसरे के अंदर की भावनाएं पढ़ रहे हों। इस बात से मुकुल को अनोखा खिचाव महसूस होता है।

"आपके अनुभवों की वजह से, क्या आप लोगों पर विश्वास करना छोड़ देंगी?" मुकुल ने धीरे से पूछा।
"मुझे नहीं पता। शायद हाँ, शायद नहीं।" विद्या ने अनिश्चितता से कहा। "पर विश्वास करना भी तो इतना आसान नहीं है।"

यह संवाद दोनों के बीच एक अजीब सी तार का नायाब रिश्ता बनाता जा रहा था। इसमें आत्मविश्वास, विश्वास और उम्मीदों का संगम था। ये दोनों अपने अंदर के विराम से लबरेज़ भावों को एक दूसरे के सामने खोल रहे थे।

धीरे-धीरे, मुकुल और विद्या के बीच दिलचस्पियों भरी बातचीत जारी होती गई। उन्होंने एक-दूसरे के बारे में और अपने सपनों, आशाओं और चुनौतियों के बारे में खुलकर बातें की। उनकी बातों में एक दूसरे को समझने की क्षमता और आपसी समर्थन व्यक्त हो रही थी।

वक्त के साथ, वे एक-दूसरे के करीब आने लगे। प्यार के इस नए आगमन ने उन्हें जीवन के सारे पहलूओं को देखने की क्षमता दी। वे अपने आप में खो गए और दुनिया से अलग हो गए।

कुछ दिनों बाद, एक रंगीन सांझ, चिड़ियों की चहचहाहट और वनवासी जानवरों की आवाज़ में, मुकुल और विद्या एक दूसरे के साथ घूमने निकल जाते हैं। उनकी आँखों में एक-दूसरे के प्रति प्यार और विश्वास की चमक दिख रही थी।

उनके प्रेम की कहानी शुरुआत हो रही थी, पर क्या इस प्रेम का आगमन हो गया था, या यह सिर्फ एक साधारण दिन बिताने का मौका था, यह दोनों अपने आप में अज्ञात थे। लेकिन जैसे ही सूरज धीरे-धीरे अपनी किरणों से भूमि को आलिंगन करता था, वैसे ही मुकुल और विद्या के बीच भी एक नए प्यार का आगमन हो रहा था। यह उन्हें दोनों के जीवन को एक नए सफलता और संतोष की ऊँचाइयों तक ले जाने की संभावना देता था।

इस प्यार भरे आगमन के साथ, वे अपने जीवन के नए पन्नों की शुरुआत कर रहे थे। क्या आगे चलकर प्यार उन्हें ख़ुशियों की नई दुनिया में ले जाएगा, या उन्हें दिल के सबसे गहरे सवालों का सामना करना पड़ेगा, यह वक्त ही बताएगा। अब तक के सभी संघर्षों के बावजूद, वे यहां हैं, एक-दूसरे के साथ, आगे की यात्रा पर तैयार।