अगले भागमे हमने देखा की |
एक खुस- खुशाल अनुज का परिवार किसी अनजानी शक्ति की चपेट मे आ जाता है |
आए दिन उसके घर पे जघड़े होते रहते है |
पर हद तो तब होती है |
जब वो कहता है की वो मुजे मार डालेगी |
सब के समजाने पर सब ठीक हो जाता है |
अब आगे |
इन सबकी नजर से दूर कोई मंगल मेंसन पे अपनी नजर टिकाए खड़ा है |
आखिर है कोन वो ओरत या मर्द |
ये थी सुनैना |
अनुज की जिसके साथ सादी होने वाली थी |
ओर अनुज को कोई ओर लड़की पसंद थी |
पर वो अपने परिवार के खिलाफ जा नहीं सकता था |
इसलिए उसने सादी के लिए हा कहेदी |
पर वो सादी के दिन आया ही नहीं |
सब ने बहोत फोन किए |
पर कोई प्रत्युतर सामने से नहीं मिला |
समयानुसार अनुज की मम्मी को सबको सब कुछ बता देना मुतासीर समजा |
ओर उन्होंने सब बात सुनैना ओर उसके माता - पिता को बता दी |
ये सब सुनकर वो तीनों अंदर से टूट चुके थे |
अब मेरी बेटी से कोन सादी करेगा इसी खयाल ने सुनैना के माता - पिता को अंदर से जिनजोड़ के रख दिया था |
अनुज के माता - पिता ने सब से माफी मांगी ओर सब महेमान अपने - अपने घर चले गए |
अनुज के परिवार ने भी उन तीनों से तहे दिल से माफी मांगी |
ओर उनका परिवार भी अपने घर चला गया |
इस अपमान ओर बदनामी के डर से सुनैना के माता - पिता ने |
उसी जगह आत्महत्या कर ली उसी मंडप के नीचे |
उसी जगह उसी हवन कुंड मे |
अपने मा - बाप को अपनी आँखों के सामने मरता देख |
सुनैना ने वचन लिया की वो अनुज से बदला लेगी |
वो उसे बर्बाद कर देगी |
अगले दिन जब अनुज के परिवार को पता चला की सुनैना के माता - पिता ने आत्मा - हत्या कर ली |
तो उन्होंने सहर छोड़ने का फैसला लिया ओर मंगल मेंसन मे शिफ्ट हो गए |
ये तो थी अब तक की कहानी |
अब आगे |
साम को जब अनुज घर वापस लॉट रहा था तो काली बिल्ली ने रास्ता काट दिया |
वो कुछ आगे ही गया होगा की उसकी बाइक का पंचर हो गया |
पता नहीं क्यू पर आज सब संजोग होने वाली कुछ अनहोनी की तरफ इसारा करती थी |
थोड़े आगे जाके उसने थोड़ी चैन की सास ली क्योंकि सामने ही गेराज था |
पर जब उसने नीचे की ओर देखा तो उसे ज्ञात हुआ की वो किसे बड़े से गोल कुंडाले के बीचों बीच खड़ा था |
मानो जिसने भी इस चक्रव्यूह को रचा था उसने अनुज भेद दिया |
अब वो पूरी तरह से काले जादू की गिरफ़त मे था |
उसने देखा सामने गेराज है |
वो वहा गया ओर उसने पंचर बनवाया |
ओर घर की ओर चल पड़ा |
घर पहुचते ही वो नॉर्मल सा बिहेव करने लगा ओर सबको लगा की सब ठीक हो गया |
पर जैसे ही अनुज डिनर करके उठा |
वो धम से नीचे गिरा |
वो थोड़ा खडा हुआ पर ये क्या उसे उलटी हुई ओर वो भी खून की |
खून भी तो कैसा काला जैसा नाम वैसा काम काला |
उसे रातों रात अस्पताल ले जाना पड़ा |
ऐसा तो कैसा जादू किया की पूरा खून ही काला हो गया |
जानने के लिए पढे - एक कहानी ऐसी भी - भाग - ३