Second Chance in Hindi Moral Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | दूसरा मौका

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दूसरा मौका

शादी के सात साल तक विनय और दीपा जब मां-बाप नहीं बनते हैं, तो विनय अपनी पंसारी की दुकान की जगह खिलौने की दुकान खोल लेता है, ताकि रोज मासूम बच्चों से उसकी मुलाकात होती रहे। यह तरीका विनय को उसकी पत्नी दीपा ने बताया था।

दीपा भी रोज घर का काम खत्म करके पति की खिलौने की दुकान पर बच्चों से मिलने और बातें करने आ जाती थी।

विनय अलग अलग किस्म के बढ़िया आधुनिक खिलौने बच्चों को उचित दामों में बेचा करता था। और जब भी किसी बच्चे के पास कम पैसे होते थे या पैसे नहीं होते थे, तो विनय उस बच्चे को खिलौना बिना पैसे भी दे देता था।

कुछ दिनों से दीपा देख रही थी, कि एक छ साल का मोटा गोरा लड़का उनकी खिलौने की दुकान के पास खड़े होकर खिलौने बहुत लालसा से देखता था, किंतु खिलौने खरीदता नहीं है।

और जब भी बच्चे उसकी दुकान पर खिलौने लेने आते थे, तो उसे कभी मोटा कभी आटे की बोरी कहकर छेड़ते थे।

एक दिन दीपा उस लड़के से उसका नाम पूछ कर उसे एक छोटा सा खिलौना खेलने के लिए देती है। लेकिन वह लड़का अपना नाम बिट्टू बता कर खिलाना लेने से मना कर देता है। और दीपा से कहता है "खिलौना देखकर मां बहुत मारेगी।"

दीपा को उस लड़के के आस-पड़ोस के लोगों से पता चलता है कि उसकी सौतेली मां उसे बहुत तंग करती है।

इसलिए दीपा एक दिन का समय निकाल कर बिट्टू के घर उसकी सौतेली मां से मिल कर यह कहने जाती है कि वह मासूम बिट्टू को तंग ना करें। तो दीपा की बिट्टू के प्रति हमदर्दी देखकर बिट्टू की सौतेली मां दीपा से बोलती है कि "अगर इस मोटे से इतना ही प्यार है, तो इसे गोद क्यों नहीं ले लेती है।"

दीपा बिट्टू की सौतेली मां की यह बात सुनने के बाद तुरंत विनय के पास आकर विनय को सारी बात बताती है। और विनय दीपा कानूनी कार्रवाई से बिट्टू की सौतेली मां और पिता से बिट्टू को गोद ले लेते हैं।

बिट्टू के घर में आने के बाद विनय और दीपा के जीवन में नई ताजगी आ जाती है। विनय सबसे पहले बिट्टू का स्कूल में दाखिला करवाता है। और दीपा बिट्टू की परवरिश में कोई भी कमी नहीं होने देना चाहती थी इसलिए वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिट्टू को देने लगती है।

विनय भी जब दुकान से घर आता था तो बिट्टू के लिए चॉकलेट बिस्कुट नमकीन आदि खाने की चीजें जरूर लेकर आता था। बिट्टू भी विनय को देखकर घर के अंदर से भागकर घर की चौखट पर ही विनय की टांगों से लिपट जाता था।

बिट्टू उनके लिए भाग्यशाली भी साबित होता है। बिट्टू के उनके घर में आने के एक डेढ़ बरस बाद ही विनय और दीपा एक सुंदर बेटे के माता-पिता बन जाते हैं।

परंतु मां बनने के बाद दीपा का प्यार धीरे-धीरे बिट्टू से कम होने लगता है। और वह बिट्टू से ज्यादा अपने बेटे का ध्यान रखने लगती है।

एक दिन दीपा के पड़ोस की एक महिला दीपा से कहती है कि "तेरे बेटे से ज्यादा बिट्टू सुंदर और गोरा है।" तो यह बात सुनकर दीपा बिट्टू से चिढ़कर उस दिन के बाद से बिट्टू को छोटी छोटी गलती पर बड़ी बड़ी सजा देने लगती है।

अब बिट्टू जब स्कूल से घर आकर दीपा से खाना मांगता था, तो दीपा उससे कहती थी कि "पहले अपने छोटे भाई के झूले की रस्सी पकड़ कर उसका झूला हिला हिला कर उसे सुला दे या कभी खाना देने से पहले बिट्टू को घर का कुछ और काम बता देती थी।"
एक दिन बिट्टू का दीपा के बेटे यानी कि अपने छोटे भाई के झूले की रस्सी पकड़ कर झूला हिलाते हिलाते हाथ थक जाता है, तो वह अपने पैर के अंगूठे से झूले की रस्सी को पकड़ कर झूला धीरे-धीरे हिलाने लगता है, तो दीपा गुस्से में बिट्टू के पैर में मोटा डंडा मार देती है।

डंडा लगने से बिट्टू के पैर में बहुत सूजन आ जाती है, लेकिन दीपा उल्टा विनय से बिट्टू की ही शिकायत करती है। दीपा से बार-बार बिट्टू की शिकायत सुनने के बाद विनय अपने मन में सोचने लगता है कि शायद बिट्टू बड़ा होने के साथ-साथ बिगड़ने लगा है।

एक दिन विनय को अपनी दुकान जाने से पहले बुखार सा महसूस होता है, तो वह बुखार की गोली खाकर दुकान पर चला जाता है। और शाम को दुकान से डॉक्टर के पास जाकर बुखार की दवाई लेकर अपने घर आता है, तो थके हारे बीमार विनय को घर में घुसने से पहले ही दीपा बिट्टू की दिनभर की शिकायत बताने लगती है।

तो विनय को बिट्टू की रोज-रोज की दीपा से शिकायत सुनकर उस दिन बिट्टू पर बहुत गुस्सा आ जाता है और उस दिन विनय बिट्टू को चमड़े की बेल्ट से पीटता है और बिट्टू को पीट-पीटकर एक अंधेरे कमरे में बंद कर देता है।

कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर से कुंडी लगाकर विनय दीपा से कहता है कि "आज रात इसे खाना नहीं देना इसको इसी अंधेरे कमरे में भूखा मरने दो तब इसकी अक्ल ठिकाने आएगी।"

जब आधी रात को विनय की सोते-सोते आंख खुलती है, तो वह दीपा से पूछता है कि? "तुमने बिट्टू को कमरे से निकाल कर खाना खिला दिया है, ना।"

तो दीपा नींद से उठने से बचने के लिए वियन से झूठ बोल देती है कि "हां मैंने बिट्टू को खाना खिला दिया है। और उसे उसके कमरे में सुला दिया है।"

सुबह जब विनय की तबीयत बिल्कुल ठीक हो जाती है। और वह जब अपनी खिलौनों की दुकान जाने लगता है, तो उसका मन बिट्टू को बहुत प्यार करने का करता है।

वह बिट्टू को बहुत प्यार करके बिट्टू और दीपा से कहता है कि "आज बिट्टू तुम स्कूल नहीं जाना मैं दुकान से थोड़ी देर में ही घर आकर तुम सब को बाहर घुमाने ले जाऊंगा।"

विनय के खिलौने की दुकान पर जाने के बाद रात भर का भूखा बिट्टू दीपा से कहता है "मां मुझे बहुत तेज भूख लग रही है, मुझे खाना दे दो‌।"

दीपा झल्लाहट में बिट्टू से कहती है कि "पहले खाना तो बनाने दे मोटे।"

और फिर बिट्टू को अपने बेटे के झूले की रस्सी पकड़ा कर हिला हिला कर सुलाने की कहकर खाना बनाने की जगह घर के दूसरे कामों में व्यस्त हो जाती है।

फिर दीपा अपने बेटे का दूध पकाने के लिए गैस पर रखकर पलंग पर आ कर लेट जाती है। और बार-बार बिट्टू को झूला हिलाने की कहते-कहते उसे नींद आ जाती है।

जब बिट्टू से भूख बर्दाश्त नहीं होती है, तो वह रसोई में कुछ खाने के लिए ढूंढने जाता है, तो गैस पर पकता हुआ दूध देखकर वह दूध जैसे ही पीने के लिए गैस के जलते हुए चूल्हे से उतारता है, तो हड़बड़ाहट में उबलता खोलता हुआ सारा गर्म दूध उसके ऊपर उलट जाता है।

जलने की जलन की वज़ह से बिट्टू तेज तेज चिल्लाता है कि "मम्मी बचाओ मम्मी बचाओ।" और रसोई से बाहर आने की जगह बिट्टू का हाथ जलते हुए गैस चूल्हे पर टिक जाता है। और उसकी टेरीकॉट की कमीज तुरंत आग पकड़ लेती है।

जब तक दीपा नींद से जाकर रसोई में भागकर जाती है तब तक बिट्टू की टेरीकॉट की कमीज जलकर उसके शरीर से चिपक जाती है।

दीपा पड़ोसियों की मदद से बिट्टू को अस्पताल पहुंचाती है। अस्पताल में जब डॉक्टर विनय से कहते हैं कि "बिट्टू की हालत जायदा नाजुक है, बिट्टू को तुरंत शहर के दूसरे बड़े अस्पताल में भेजना पड़ेगा।" तो विनय सिसक सिसक कर रोने लगता है।

और उसी समय दीपा अपनी गलती को समझ कर ईश्वर से सच्चे दिल से प्रार्थना करती है कि "बस मुझे अपने बिट्टू बेटे को दिलो जान से प्यार करने का एक मौका दे दे।"

और उसी समय से रात दिन बिट्टू कि तंदुरुस्ती के लिए प्रार्थना करने लगती है।

बीस दिन बाद जब डॉक्टर कहते हैं कि "बिट्टू अब खतरे से बाहर हैं।"

तो दीपा को पक्का यकीन हो जाता है कि ईश्वर ने ही बिट्टू बेटे को दुलार करने का मुझे दूसरा मौका दिया है।