The Haunted House - 1 in Hindi Spiritual Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | द हॉन्टेड हाउस - पार्ट 1

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द हॉन्टेड हाउस - पार्ट 1

"साहब !....वो घर तो बहुत दिनों से खाली पड़ा है ..और उस घर में कोई भी रहना नहीं चाहता । सुना जाता है कि एक औरत ने उस घर में फाँसी लगा ली थी और उस घर में उसी की आत्मा का वास है। "

"तुम ये फिजूल की बातें करना बंद करो । आत्मा-वात्मा कुछ नहीं होती है " - राघव ने टैक्सी ड्राइवर को डपटते हुए कहा ।

राघव का पिछले हफ्ते ही माला गाँव में तबादला हुआ था । पूरे हफ्ते नया घर तलाशने के बाद एक ही घर उसे मिला था जो कि बिकाऊ था तो उसने जल्द ही वह घर खरीद लिया । वह अपनी बीबी और दो बच्चों के साथ उसी घर में शिफ्ट होने जा रहा था ।

राघव का नौ साल का बेटा साहिल और आठ साल की बेटी डॉली पीछे की सीट पर बैठे ड्राइवर की बातों को ध्यान से सुन रहे थे ।

थोड़ी देर बाद डॉली ने सुनीता से पूछा -" मम्मी! क्या सच में भूत होता है ?"

राघव की बीबी सुनीता भी उन्हीं बच्चों के साथ पीछे की सीट पर बैठी थी ।

सुनीता ने दोनों बच्चों को समझाते हुए कहा -" नहीं बच्चों भूत-बूत नहीं होता है। अंकल तो कहानी सुना रहे थे। "

राघव ने एक बार फिर ड्राइवर से कहा- "ये सब कहानियाँ बनाना बंद करो ! बच्चे डर जाते हैं !" -

"साहब मैंने जो बातें सुनीं थीं वह आपको बता दीं। अब आगे आपकी मर्जी।" ड्राइवर ने राघव से कहा

शाम का समय हो गया था । सूरज ढलने को था लेकिन अभी भी हल्की सी धूप खिली थी । राघव व ने ड्राइवर से पूछा -" अभी और कितना समय लगेगा ?"

"बस पहुँच ही गए साहब " ड्राइवर ने जवाब दिया ।

थोड़ा और आगे जाने के बाद एकाएक ड्राइवर ने टैक्सी रोक दी

और कहा -" लो साहब ! आपकी मंजिल आ गयी ।"

राघव ने टैक्सी से नीचे उतर कर देखा तो ड्राइवर ने टैक्सी लगभग सौ मीटर पहले ही रोक दी थी । राघव ने ड्राइवर से पूछा -" तुमने टैक्सी पहले क्यों रोक दी अभी थोड़ा और आगे चलो !"

"साहब ! अब मैं और आगे नहीं जाऊँगा । भले ही आप मेरे पैसे

काट लीजिये । शाम के समय कोई भी यहां नहीं आता ।" ड्राइवर ने रहा राघव कहा ।

राघव ने उससे ज्यादा बहस नहीं की और उसका किराया दे

दिया । ड्राइवर ने उनके दोनों बैग छत से उतार दिए और टैक्सी मोड़ कर फिर से वापस चला गया ।

सड़क बिलकुल सुनसान हो गयी। दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था । सूरज भी डूब चूका था ।

राघव और सुनीतादोनों ने एक-एक बैग उठा लिया। फिर दोनों

अपने नए घर की ओर बढ़ने लगे । थोड़ी ही देर में वे मेन गेट पर पहुँच गए । गेट पर जंग खाया हुआ पुराना ताला लटक रहा था । तभी न जाने कहाँ से उनके पास एक बूढ़ी औरत आ गयी । हाथ में लाठी लिये थी । उसके बाल उलझे से थे। चेहरे पर काफी झुर्रिया पड़ी हुई थीं । लगभगनब्बे साल की तो होगी ही ।

उस बूढ़ी औरत ने उनसे पूछा -"तुम लोग कहाँ जा रहे हो ?"

राघव ने उसे बताया - " हम लोग तो इस घर में रहने के लिए आये है । "

उस बूढ़ी औरत ने जैसे ही यह बात सुनी वह जोर-जोर से

कहने लगी - " लौट जाओ यहाँ से ! लौट जाओ ! वह किसी को नहीं छोड़ेगी । यहां जो कोई भी आता है वह जिन्दा वापस लौटकर नहीं जाता । तुम सब मरोगे । लौट जाओ यहां से । लौट जाओ । अभी भी समय है वापस चले जाओ । "

तभी उस घर का चैकीदार रामसिंह वहाँ आ गया और उसने उस बूढ़ी औरत को वहां से भगाते हुए कहा -" चल बुढ़िया निकल यहाँ से ,भाग ! कुछ भी बकती रहती है ! पागल कहीं की !"

"साहब आप इसकी बातों पर ध्यान मत दीजिये ये तो पागल बुढ़िया है , कुछ भी बकती रहती है । आप घर में चलिए "

रामसिंह ने जंग लगी सरियों से बने गेट पर लटक रहे ताले को खोलते हुए कहा ।

दरअसल रामसिंह ही उस घर की देखभाल रखता था और वह माली का भी काम करता था ।

रामसिंह ने गेट खोला । घर काफी पुराना लग रहा था । धूल और पत्तो से सारा घर ढका हुआ था । उस घर के आस-पास कोई दूसरा घर भी नहीं था । दूर-दूर तक केवल जंगल ही जंगल था।

राम सिंह ने दोनों बैग अपने हाथ में उठा लिए और अंदर जाकर घर का दरबाजा खोल दिया । रामसिंह घर में चला गया । पीछे-पीछे वे चारो लोग भी अंदर चले गए । घर के अंदर उनकी आबाज़ गूँज रही थी । सारे घर को मकड़ियों ने अपना घर बना रखा था । राम सिंह ने फिर उनको उनका कमरा दिखाया जोकि ऊपर वाले फ्लोर पर था ।

उसने जैसे ही गेट खोला वैसे ही फर्र से दो कबूतर कमरे से बाहर उड़ गए । सारा सामन बिखरा पड़ा था पूरे कमरे में धूल की चादर बिछी थी । रामसिंह ने बैग उनके कमरे में रख दिए और उनसे कहा -" साहब आप लोग अपना सामान व्यवस्थित तरीके से रख लीजिये तब तक मैं खाने का कुछ इंतजाम करता हूँ ।

राम सिंह चला गया । उन्हें पूरे घर को साफ़ करना था इसलिए उन्होंने कमरे से शुरुआत की और वे लोग तुरंत ही काम पर लग गए । तोड़ी ही देर में उनहोंने अपने कमरे को साफ़ कर लिया और सारा सामान व्यवस्थित तरीके से रख लिया ।

रामसिंह ने खान खाना लगा दिया था इसलिए उसने आबाज लगाई -" मालिक नीचे आइये खाना लगा दिया है ।"

सभी लोग नीचे गए । रामसिंह ने सभी को खाना परोसा । खाना बहुत ही स्वादिष्ट बी बना था। सभी लोग खाना लगे । खाते-खाते राघव ने राम सिंह से उन अफवाहों के बारे में पूछा तो रामसिंह

ने कहा- "क्या साहब आप भी इन लोगों की बातों में आ गए।

जब वे खाना खा चुके तो रामसिंह उन्हें कमरे तक छोड़ने गया । राघव ने देखा कि उसके कमरे के पास एक और भी कमरा था जिस पर बहुत बड़ा सा ताला लटक रहा था । राघव ने पूछा - इस कमरे में ताला क्यों लगा है ?" ?रामसिंह ने उसे कमरे के बारे में कुछ नहीं बताया और हँसकर बात टाल दी ।

रामसिंह ने राघव से कहा - " साहब आप इस कमरे के बारे में मुझे कुछ नहीं पता बस आप इस कमरे के अंदर मत जाना और ना ही इसे खोलन की कोशिश करना जितना हो सके इस कमरे से दूर ही रहना । रामसिंह ऐसा कहकर वहाँ से चला गया।

फिर वे सभी लोग कमरे में आ गए । सुनीता ने राघव से पूछा डॉली कहाँ है । राघव ने देखा कि डॉली उनके बीच नहीं थी ..