प्रश्न : ऋग वेद क्या है ?
गुरु : ऋग वेद विश्व की, सभी भाषाओं में, सबसे प्राचीनतम लिखित पुस्तक है, इसलिए इसका महत्व सबसे ज्यादा है. ऋग वेद का मूल विषय ज्ञान है, इसी के आधार पर बाद में धर्म शास्त्र की रचना की गई थी. ऋग वेद ने उस समय के समाज का विस्तार से वर्णन किया है, इसमें लिखे या प्रचलित शब्दों से तत्कालीन उन्नत व् समृद्ध समाज का पता चलता है.
परन्तु ऐसा भी नहीं है, तब सब कुछ अच्छा ही अच्छा था, समाज में कोई बुराई नाम की चीज नहीं थी. तब भी प्रकाश के साथ अन्धकार, अच्छाई के साथ बुराई मोजूद थी, सज्जन थे तो दुर्जन भी थे. और यह सब इसमें लिखे या प्रचलित शब्दों से पता चलता है : जेसे जुआ खेलना, व्य्भाचारिणी स्त्री का गभपात कराना, कामुक नारी, कारावास, हथकड़ी-बेड़ी इत्यादि.
परन्तु कवच, लोहे का द्वार, सोने अथवा लोहे की नकदी, सुसजत सेना, ढाल-तलवार आकाश में उड़ने वाला बिना घोड़े का रथ, सौ पतवार वाली नाव, जेसे शब्दों का प्रचलन वैदिक आर्यों को सभी प्रकार से विकसित सिद्ध करता हैं. अनाज भी पैदा किया जाता था, और सिचाई के लिए सतलुज एवं व्यास नाम की नदियाँ का वर्णन भी मिलता है.
समाज में कपड़ा बुनने वाला जुलाहा, घड़ा बनाने वाला कुहार, रथकार, सुनार, किसान, सभी तरह के लोग रहते थे, परन्तु कहीं भी दीपक या प्रकाश का उल्लेख नहीं है.
ऋग वेद सर्वप्रथम अग्नि ऋषि ने सूना व् बाद में इनकी वाणी को बहुत से ऋषियों ने रचा और विस्तार दिया. ऋग्वेद को पद्य में लिखा गया था. जिसमें मन्त्रों की संख्या10627 है.
शिष्य : पध्य क्या है ?
गुरु : पद्य (verse) क्या है, थोड़ा सा इस बारे में भी : पद्य में लिखने का अर्थ है, ऐसी सीधी सादी बोली या भाषा में लिखना जिसमें किसी प्रकार की बनावट न हो, परन्तु अक्षर, मात्रा, वर्ण की संख्या के अनुसार, लय से संबंधित विशिष्ट नियमों, का पालन करके लिखी गई रचना से है.
आगे कल ......भाग 4
reference
हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने हमारे वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों नहीं किये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ?
मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम प्रमाणित हैं, बल्कि ये मानवता की शुरुआत व् विकास की कहानी है, जिसकी मैंने जन साधारण और सरल भाषा में आप तक पहुचाने की कौशिश की है.
तो आइये पहले ये तो जान लें की आखिर वेद, पुराण श्रुति, शास्त्र, मन्त्र, उपनिषद हैं क्यां. ये जानकारी आप पहुंचाने के लिए गुरु शिष्य परम्परा का सहारा लिया गया है, जहां शिष्य यानी जिज्ञासु जो अज्ञात को जानना चाहता है,सवाल करता है व् गुरु जिज्ञासा शांत करता है, तो शुरू करते हैं: