Banzaran - 14 in Hindi Thriller by Ritesh Kushwaha books and stories PDF | बंजारन - 14

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बंजारन - 14

कमली की बात सुन रितिक और उसके दोस्त तुरंत स्कूल से बाहर निकल आते है। स्कूल से बाहर आते ही रोमियो रितिक पर बरस पड़ता है। रोमियो गुस्से के साथ रितिक से कहता है–" क्या कहा था तूने कमली से? मेरे अंदर दिमाग नही है, मुझे लड़कियों से बात करने की तमीज नही है, तुम लोग ना दोस्ती के लायक ही नहीं हो। मेरी बात कराने के बजाए उल्टा मेरी बेज्जती कर रहे थे।"

रितिके रोमियो को समझाते हुए कहता है–" तू परेशान मत हो, कमली के मन में बस एक गलतफहमी है। जिस दिन वो गलतफहमी दूर हो जाएगी वो तुझे पसंद करने लगेगी लेकिन उसके लिए तुझे कमली से माफी मांगनी पड़ेगी। तूने जो हरकत की है उससे कमली थोड़ा नाराज है। उसे प्यार से समझायगा तो वो मान जाएगी।"

रोमियो ना में अपना सर हिलाते हुए कहता है–" नही तो, मैने तो ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे कमली मुझसे नाराज़ है।"

रितिक कहता है–" भूल गया, तूने उसका मटका तोड़ दिया था।"

रोमियो कुछ सोचते हुए कहता है–" हा यार! ये तो मैने सोचा ही नहीं, उस दिन मैंने उसका मटका तोड़ दिया था शायद इसीलिए ही वो मुझसे नाराज़ है और मैं भी कितना बेवकूफ हूं एक बार भी कमली से माफी नहीं मांगी। तू ठीक कह रहा है रितिक मुझे कमली से माफी मांगनी पड़ेगी।"

रितिक मुस्कुराते हुए जवाब देता है–" अच्छी बात है तुझे समझ आ गया। अब कोई गलती ना करना, सीधे जाकर माफी मांग लेना और हा साथ में एक नया मटका भी लेते जाना।"

रितिक की बात सुन रोमियो हा में अपना सर हिलाता है। कुछ ही देर में वे लोग घर पहुंच जाते है। घर पहुंचते ही अमर रितिक से सवाल करता है–" मैंने तुझसे कितनी बार पूछ लिया लेकिन तू मुझे बताता ही नही।"

रितिक हैरानी के साथ अमर से पूछता है–" क्या नही बताता?"

" यही कि उस रात तेरे साथ क्या हुआ था जिस रात मनोज का मर्डर हुआ था, तूने कहा कि तुझे कोई कोठी मिली है, क्या तू गया था उस कोठी के अंदर?"

करन भी अमर का साथ देते हुए कहता है–" हा रितिक! मै देख रहा हूं तू हमसे कुछ छुपा रहा है और कुछ परेशान भी है। देख हम लोग दोस्त है और दोस्तो से कोई भी बात नही छुपाते। इसीलिए परेशान मत हो और साफ साफ बता आखिर बात क्या है?"

उन दोनो की बात सुन रितिक हस्ते हुए जवाब देता है–" तुम लोग जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ नही है। मै कुछ छुपा नहीं रहा। बस सही समय नही मिला था तुम्हे वो सब बताने का।"

अमर रितिक से कहता है–" अब तो सही समय है ना, अब बता क्या बात है?"

रितिक एक लंबी आह भरते हुए जवाब देता है–" तुम्हे पता है जिस रात मनोज का मर्डर हुआ था उस रात अमावस की रात थी।"

करन जवाब देते हुए कहता है–" हा..."

रितिक आगे कहता है–" मनोज का मर्डर हम लोगो के जाने के बाद हुआ था लेकिन मनोज के मर्डर से पहले भी बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो नही होना था।"

अमर कंफ्यूज होते हुए रितिक से पूछता है–" ऐसा क्या हुआ था वहा? कब्र के पास तो हम लोग थे। वहा तो कुछ भी गलत नहीं हुआ। ना ही गांव में कुछ भी अजीब हुआ है, फिर ऐसा क्या हो गया उस रात?"

अमर की बात सुन रोमियो को कुछ याद आता है और वो तुरंत रितिक से कहता है–" तू ये तो नही कहना चाहता कि उस रात बंजारन आजाद हुई थी?"

रितिक हा में सर हिलाते हुए जवाब देता है–" हा! तूने सही कहा। उस रात मेरी मनोज से लड़ाई हुई थी जिसमे मनोज बेहोश हो गया था। मैने चांदनी और शालिनी को वापस भेज दिया था और कुछ देर बाद मैं भी वापस आ रहा था। लेकिन पता नही कहा से मुझे पायल बजने की आवाज सुनाई देने लगी। मुझे लगा शायद शालिनी और चांदनी अभी भी जंगल में है इसीलिए मैं उन दोनो को ढूढने जंगल में वापस चला गया। मुझे डर था कि कही मनोज के अलावा भी कोई और ना हो। पायल की आवाज का पीछा करते करते मैं एक कोठी के सामने पहुंच गया। बताते बताते रितिक उन्ही पलो में पहुंच जाता है जब वो उस कोठी के सामने खड़ा था। रितिक बड़े गौर से उस कोठी के हर एक कोने को देख रहा था। उस कोठी के ऊपर आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे । रितिक अपने कदम उस कोठी की ओर बड़ा देता है। उसने अभी अपना एक ही कदम बढ़ाया था कि तभी अचानक से वहा का मौसम बदलने कहता है। हवाएं तेज हो जाती है। आसमान में बिजलियां कड़कने लगती हैं। कुछ ही देर में वहा भयंकर तूफान आ जाता है। तभी आसमान से एक तेज बिजली उस कुएं वाले पेड़ के ऊपर गिरती है और चारो ओर दिन जैसा उजाला हो जाता है। वो लाइट इतनी तेज थी कि रितिक की आंखे चौंध्या गई थीं। उसने जल्दी से अपनी आंखो पर हाथ रख लिया। कुछ देर बाद रितिक आपकी आंखे खोलता है और उस ओर देखने लगता है जहा बिजली गिरी थी। जैसे ही वो उस ओर देखता है उसके होश उड़ जाते है। जिस पेड़ पर अभी अभी बिजली गिरी थी वो पेड़ पहले के भाती अपनी जगह पर खड़ा था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उस पेड़ पर अभी अभी बिजली गिरी है। खैर रितिक जल्दी जल्दी अपने कदम दरवाजे की ओर बड़ाता है और उस दरवाजे के पास पहुंच जाता है। दरवाजे के पास पहुंचते ही वहा का मौसम शांत होने लगता है और कुछ ही देर में वहा पहले जैसी शांति छा जाती है। रितिक कंफ्यूज हो जाती है और मन ही मन कहता है–" अभी तो ऐसा लग रहा था जैसे आज बाड़ ही आ जाएगी और अब ऐसा लग रहा है जैसे कुछ हुआ ही ना हो। सच ही कहा है किसीने, जो गरजते है वो बरसते नही है। नही, ये डायलॉग कुछ नही पुराना हो गया। हम्म्म, हाथी के दात खाने के कुछ और होते है और दिखाने के कुछ और।"

इतना कहकर वो उस दरवाजे को निहारते लग जाता है। दरवाजा सात फुट लंबा था और किसी पुराने जमाने का लग रहा था। उस पर एक मोटा सा ताला लगा हुआ और उस ताले पर कई सारे लाल धागे बंधे हुए थे। रितिक तुरंत उस ताले से सारे धागे खोल देता है।

" ये ताला तो काफी पुराना लग रहा है, ये तो दशकों पहले बनना बंद हो गए थे। एक काम करता हूं, इस ताले को तोड़कर अपने साथ ले जाता हूं, क्या पता कोई एंटीक पीस हो और मार्केट में इसकी अच्छी कीमत मिल जाए। जब इस कोठी का ताला ही इतनी एंटीक है तो पता नही इसके अंदर रखी चीज़े कितनी कीमती होंगी। अगर यहां कोई खजाना मिल गया तो फिर तो मैं ये दुनिया... आई मीन इंडिया छोड़कर ही भाग जाऊंगा।"

लालच भरी निगाहों से उस ताले को देखते हुए रितिक मन ही मन कहता है। उसके बाद वो अपने आस पास कोई पत्थर ढूढने लगता है। तभी उसे एक मुट्ठी के साइज का पत्थर मिल जाता है। रितिक तुरंत उस पत्थर को उठाता है और उस ताले पर दे मारता है। ताला पुराना था इसीलिए तुरंत ही टूट जाता है। रितिक उस ताले को वही जमीन पर रख देता है और उस दरवाजे को खोलने लगता है। दरवाजा काफी दिनों से बंद था इसीलिए थोड़ा जाम हो गया था। रितिक थोड़ा जोर लगाता है और दरवाजा चर्रे की आवाज के साथ खुल जाता है। दरवाजा खुलते ही उसमे से कई सारे चमकादर बाहर निकल जाते हैं। चमकादरो से बचने के लिए रितिक तुरंत नीचे झुक जाता है और सारे चमकादर उसके ऊपर से निकल जाते है। उसके बाद रितिक धीमे कदमों के साथ कोठी के अंदर घुस जाता है। कोठी में लाइट नहीं थी। कुछ भी दिखाई नही दे रहा था। रितिक तुरंत अपने फोन की फ्लैश ऑन करता है और आस पास देखने लगता है। रितिक नोटिस करता है कि वो एक हॉल में खड़ा है और उसी हॉल के बराबर से सीढ़िया बनी थी। हॉल में चारो ओर धूल मिट्टी लगी हुई थी और मकड़ी ने ढेर सारे जाले बनाकर रखे थे। हॉल के बीच में ही तीन सोफे पड़े हुए थे जिन पर धूल जमी हुई थी। दिवालो पर कई सारी पेंटिंग और पुरानी कलाकृतियां बनी हुई थी। जगह जगह घोड़े हाथी जैसे पुरानी नक्काशियां मौजूद थी। ये सब देख तो रितिक की आंखो में चमक ही आ गई। रितिक अभी खुश हो ही रहा था कि तभी उसे फिर से किसी के पायल बजने की आवाजे आने लगती है। आवाज को सुन रितिक की हसी तुरंत गायब हो जाती है और वो हक्का बक्का रह जाता है। पायल बजने की आवाज ऊपर से आ रही थी।

रितिक मन ही मन कहता है–" दरवाजा तो बाहर से बंद था, फिर कोठी के अंदर कौन है? और ये आवाज तो जंगलों में भी आ रही थी। अरे हां! मै तो भूल ही गया, इसी आवाज का पीछा करते करते ही तो मैं यहां तक आया हूं और फिर ये आवाज अचानक से गायब हो गई। लेकिन मैं तो दरवाजे से अंदर आया हूं। मैने किसी और को तो अंदर आते नही देखा। कही इस कोठी में कोई दूसरा दरवाजा तो नही है। हा शायद हो सकता है खैर उससे पहले इस पायल वाली भूतनी का पता करू आखिर है कौन?"

इतना कहकर रितिक गौर से उस आवाज को सुनने लगता है। " ये आवाज तो ऊपर से आ रही है?" रितिक खुद में ही बड़बड़ाता है। उसके बाद वो सिडियो से होते हुए ऊपर की ओर जाने लगता है। ऊपर पहुंचकर रितिक एक कमरे के सामने पहुंच जाता है। रितिक की नजर कमरे के दरवाजे पर पड़ती है और उसकी आईब्रो सिकुड़ जाती है। दरवाजे पर ताला लगा हुआ था और उस पर भी एक लाल कपड़ा और लाल धागे बंधे हुए थे। दरवाजे कर एक स्वास्तिक का चिन्ह भी बना हुआ था।

" ये सभी तालों पर धागा क्यूं बंधा है? कोई है क्या अंदर.... मै भी ना कितना पागल हूं। दरवाजे पर तो ताला लगा है अंदर कौन होगा?"

रितिक ने इतना कहा ही था कि तभी उसे कमरे के अंदर से पायल बजने की आवाजे आने लगती है। आवाज को सुन रितिक सतर्क हो जाता है।

" कौन है अंदर?" रितिक आवाज लगाता है और जवाब का इंतजार करने लगता है। कुछ देर इंतजार करने के बाद भी जब कोई जवाब नही आता तो रितिक को घबराहट होने लगती हैं।

वो फिर से आवाज लगाता है–" कोई है क्या यहां? घबराओ मत, तुम जो भी हो मेरे सामने आ सकती हो।"

फिर से कोई जवाब नही आता है। रितिक इरिटेट हो जाता है और खुद में ही बड़बड़ाता है–" पता नही कौन है?"

रितिक इतना कह ही रहा था कि तभी उसे किसी लड़की की धीमी और दर्दभारी आवाज सुनाई देती है " बचाओ... कोई है? "

उस आवाज को सुन रितिक हैरान हो जाता है और खुद में ही बड़बड़ाता है–" ये तो कोई लड़की है, कही शालिनी या चांदनी... नही, ये वो दोनो नही हो सकती, इसकी आवाज कुछ अलग है, शायद उसे चोट लगी है मुझे उसे बचाना चाहिए।"

आवाज कमरे के अंदर से आ रही थी। आवाज को सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की घायल है।

" बचाओ.. प्लीज हेल्प..."

एक बार फिर वो आवाज आती है और इस बार ये आवाज और भी धीमी थी। रितिक उस कमरे की ओर बढ़ते हुए कहता है–" घबराओ मत! मैं आ रहा हूं।"

इतना कहकर वो उस ताले पर लगे धागों और लाल कपड़ो को खोलने लगता है। उस धागे को हाथ लगाते ही एक बार फिर बाहर का मौसम बदलने लगत है और भयंकर तूफान आ जाता है। खैर रितिक को उस तूफान से क्या लेना देना? कुछ ही देर में वो उन लाल धागों को खोल देता है।

ताला तोड़ने के लिए वो अपने आस पास देखने लगता है तभी उसकी नजर एक स्टैंड पर रखे फूलदान पर पड़ती है। वो तुरंत उस फूलदान को उठाता है और उस ताले पर मारने लगता है। ताला टक्क की आवाज के साथ चरमराते हुए खुल जाता है और अंदर से जो आवाजे आ रही थी वो आना बंद हो जाती है।