Ishq - 11 in Hindi Short Stories by om prakash Jain books and stories PDF | इश्क. - 11

Featured Books
  • You Are My Choice - 35

    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि...

  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

Categories
Share

इश्क. - 11

मुझे मातृभारती में पाठकों का बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है ।
सिम्मी ,अपने प्रेमी को ले कर बहुत ब्याकुल हैं।उनके पिता जी सिम्मी की शादी चपरासी से करना तय हो ही रहा है ।सिम्मी अपने मन की बात मां ,बाप को बताती है।सिम्मी के बात को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं ।।
वेदांत ,सिम्मी को ले कर सीरियस है।औ
र काका को भी कहा दिया है ।सिम्मी इस घर की बहू बनेगी।आज काका बहुत खुश है।वेदांत के बंग्ले में खुशी,हर्ष,उल्लाश औऱ उमंग की लहरें हल -चल होने लगी है।काका नाचने लगे है।और विवाह गीत गा रहा है ।छत्तीसगढ़ी ददरिया गा रहा है।
मुझे वेदांत काफीहाउस में मिला बहुत खुश मिजाज के लग रहे थे।किसी दोस्त के साथ मे मोनिका भी थीं ।मुझे समझ नहीं आया कि वह मोनिका वेदांत के साथ क्यों है।और ये आदमी कौन है ?बाद में पता चला ये आदमी मोनिका के मंगेतर ही हैं ।इंडियन काफ़ी हाउस सिविल लाइन में रायपुर सहर में बहुत फेमस हैं ।चिकन,बिरयानी,और शाकाहारी सभी प्रकार के भोजन ,ब्यनजन हैं ।
वेदांत को चिकन करी और रोस्ट बहुत पसंद है ।मोनिका सुप पी रही थी ।उनका मंगेतर बंगाली है ये तो मच्छी ,भात झड़क रहा था।मैं तो काफी पीने गया था।मोनिका मुझे देख कर झेंप गई।बाद में सरमाने लगती है ।मेरे दोस्त ने मुझे इशारा किया आगे चलने को।मैं जल्दी बिल पे किये।एक लंबी सान लिया और हम बहार निकल कर टेम्पों से सदर बाजार के लिए रवाना हुए।
डॉली की ख्वाब दिनों दिन बढ़ते हुए दिखाई देता है ।डॉली को ईशा फ़िल्म में साइड हेरोइन के लिए ऑफर आता है ।डॉली का तेवर बढ़ जात है ।उसे रायपुर में कोसा सिल्क साड़ी ,सलवार सूट का प्रचार प्रसार के लिए मॉडल सलेक्ट हो जाती है।अब डॉली मनोज से तीख़ी सब्दों कहती है-मजोज सर ,मोनिका को मेरे रास्ते से कब हटा रहे है ।वेदांत सर के प्रोजेक्ट में काम का अलग प्रभाव बनता है।एक बार किसी भी हालत में वेदांत सर के मूवी में काम मिल जाये फिर छत्तीशगढ़ के सभी प्रोड्यूसर मेरे सामने नाक रगड़ेंगे।।
अमेरिका वली सहेली का हाल- चाल जानने सिम्मी की मम्मी पूछती है ।सिम्मी ,मां से -ठीक है ।अगले माह मेरी सहेली की शादी है।शेखर भैया कल मुझे अपने बहन के लिए जेवर ,गहने और साड़ी लेने मुझे कलकत्ता जाने के लिए जिद कर रही है ।
मां -सिम्मी से तेरा दिमाग खराब हो गया है ।तेरा जाना क्या जरूरी है।गरीबों को अमीरों से यैसे रिश्ते बनाना नहीं चाहिए ।हम गरीबों को अपमान ही मिलता है ।शेखर जाए तुम्हे नहीं जाना है तेरा बाबु चपरासी से रिश्ता जोड़ रहें है ।सगाई की बात कर रहा था ।तुम्हे अब घर से निकलना नहीं चाहिए ।समाज मे हमारी इज्जत की सवाल है।तू कहीं घर से भग गई तो हम मां -बाप का क्या हसप्रद हो होगा। हम हसी के पात्र बनेंगे।
मां आप का दिमाग मे जंग लग गई है।उसे मिट्टीतेल डाल कर जंग साफ करना होगा ।आप लोग बहुत पुरानी सोच रखने से हम आगे उन्नति नहीं कर पाएँगे ।समाज ,के पीछे जाने से भूखे आदमी को समाज के ठेकेदारो के द्वारा भोजन कराते मैंने नहीं देखी है ना सुनी है।समाज किसी घर की समस्या को बनाने नहीं आता है।और बिगाड़ कर दंडित कर पैसे लेने मोटी रकम पेन कॉपी और रसीद बुक ले कर पहुँच जाते हैं।
ये सब सिम्मी अपने माँ को समझा रही है।
पिता जी का आवाज आता है सिम्मी ,सिम्मी,सिम्मी ।हां पिता जी ।देख बेटी तेरा भलाई के लिए ही मैं बहुत अच्छा वर ढूंढ कर लाया हूँ ।लड़का काला हुआ तो क्या हुआ दिलवाला है।उसका बाप चपरासी बेटा चपरासी ।कलेक्टर के ऑफीस में नौकरी है।इससे अच्छा रिश्ता इस दुनिया में इस गरीब को कहा मिल सकता है।भाग्य है बेटी तेरा भाग्य है।
सिम्मी सर पकड़ के ब्याकुल हो जाती है और दुखी हो जाती है।बाबूजी मैं अमेरिकी वाली सहेली की शादी की खरीददारी में शेखर भैया के साथ जा रहा हूँ ।
ठीक जा तेरी मर्जी ,गरीबो का कोई इज्जत नहीं ।रहीस लोग स्वार्थी होते है।गिरगिट के तरह रंग रूप बदलते रहते है।शेखर को आ जाने दो उसे डाटूंगा ,और गरीब के देहरी में आने सख्त मना कर देता हूँ।सिम्मी तेरी अमेरिका वाली सहेली को कभी देखी नहीं ।शेखर ही आता है।बाबूजी मैं कल मिलवाने बुलाऊंगी ।पर हमारे घर में कुर्सी भी नहीं है।चारपाई भी नहीं।बाबूजी क्या हुआ चटाई तो है।हमारा दिल बहुत बड़ा है।हाँ बाबू गरीबों का दिल को भगवान ने बड़ा बनाया है ।समझदार है ओ।
सिम्मी ,वेदांत से मिलने उनके बंगले में जाती है
वेदांत राज सर से बात कर रहा है ।उन्हें बॉम्बे आने का ऑफर और सिम्मी भाभी को ले कर।सब सिम्मी सुन लेती है ।और वेदान्त के सम्मुख रोने लग जाती है ।काका आ जाते है।शेखर आ जाता है।वेदान्त की धुनाई सुरु हो जाता है।अरे मुझे मत मारो।वेदांत चिल्ला रहा है ।कौंन सुनेगा वेदान्त की बात ।
सिम्मी अपने घर की बात रामु काका को बताता है ।वेदांत की धुनाई बंद होता है ।