कुछ बाते है,,,आज भी जो देखती हूँ कहने का मन कह रहा है,,,,
पुरुषवादी सोच,,,,
अधिकतर पुरुष..... हा तो मैं मर्द तो कुछ भी कर सकता हूँ,,, हर किसी को दबा कर रख सकता है,,,, हूँ स्त्रियो को अपनी पैर समझता हूँ,, उन पर हाथ उठा सकता,, भरी महफ़िल में उनको अपमानित कर सकते है,,, स्त्रियो का बेमतलब पीछा करना,, गन्दे गन्दे टिप्पणी करना उनको looks चाल को लेकर बेहद अपमान जनक बाते करना,,,,,,,,,,, और हाँ उनका प्यार ना मिले तो तेजाब फ़ेकना, उनको ब्लैकमेल करना, जोर जबरदस्ती करना,, गलिया देना इत्यादि ........
एक कहावत मुझे ना अक्सर सुनने को मिल जाती है पुरुष तो भँवरा है,,, हुन्ह भँवरा
चलो मान लिया भँवरा है तो क्या हर किसी पर मन्डरायेगे,,,,,,,
स्त्रियो पर जब हाथ उठाते हो गाली गलौच करते हो,,, तो तुम्हें क्या लगता क्या वो पलट कर जवाब नहीं दे सकती,,, या तुम पर हाथ नहीं उठा सकती,,,,तुम्हें लगता है वो चुडिया पहनने वाली स्त्री कमजोर लगती,,,,, और वैसे भी पता नहीं क्यों चुड़ियाँ को कमजोरी कह देते हैं जबकी वो तो श्रृंगार ला प्रतीक है !!
भरी महफ़िल में भी तुम्हें अपमानित कर सकती है,,, वो चुप हो जाती अपने सन्सकारो के लिये,,,, समझे का,,,,
तो आगे से गाली देना या हाथ उठाना तो सोच समझ कर उठाना कही ऐसा ना स्त्रियो ने हाथ उठा दिया तुम पर जो तुम्हारी so called इज्जत है ना वो धरी की धरी रह जावेगी समझ ला,,,,,
एक स्त्री अपनी परवाह छोडकर सबकी परवाह करती है फिर भी ताने सुनने को मिल हि जावे,,,
ओ सुनो पुरुष .........
घर कि स्त्री ना छोटा google होवे जो तुम्हारे मान से लेकर सम्मान कि परवाह करती है,,,,,,
हा पुरुषों की भी गलती नहीं है करेगे वही ना जो सिखाया जाता,, जो वो देखती पुरुष वादी सोच कैसे करते है,,,, उन्हे पुरुष वादी सोच दी जाती है या सादियो जो चला आ रहा है ना,,,,, तुम तुम मर्द हो तुम रो नहीं सकते हो,, तुम अपने जज्बातो को बया नहीं कर सकते है कुछ धाम वाम क्यों नहीं कर सकते नहीं कर सकते हो तो स्त्रियो कि तरह चुड़ियाँ पहन लो घर पर बैठो,,,,,
तुम तो मर्द हो वो प्यार से ना मानी तुम जोर जबरदस्ती कर सकते हो,, गाली दे सकते हो,, थप्पड़ मार सकते हो,,,, इन सबके विपरीत कोई पुरुष इन पुरुषों जैसा नहीं बना तो उस्को मानसिक प्रताड़ना देते है तुम तो मर्द हो ऐसा कर सकते हो वैसा कर सकते हो और किसी के सामने रो देगे तो उसकी फ़जिहत हि उडा देगे ................
और हा सुनो पुरुष...
जो पुरुष स्त्रियो को पैर कि जूती समझते है ना वो खुद को पाव है का समझे
मेरा मानना पुरुष हो या स्त्री उनकी परवरिश ना पुरुष समझकर करनी चाहिए ना स्त्री समझकर उन्हे इन्सान समझकर करनी चाहिए उनके जज्बातो मान देना स्त्रियो का मान सम्मान करना सिखाना चाहिए
ऐसा नहीं होना चाहिए तुम पुरुष हो ऐसा करो या तुम स्त्री हो तो ऐसा,,,
जब तक हम अपने घरों से इसकी शुरुआत नहीं करेगे तो कुछ नहीं बदलने वाला
कुछ नहीं !
पढ लिख गये हम सब पर आज कुछ पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली है!! शादी एक पवित्र बन्धन है लेकिन उसी कि इतनी धज्जियां उडती है क्या हि कहे !!
ईश्वर सतबुध्दी दे पुरुष और स्त्री दोनों को सही और गलत का फ़र्क समझ सके सही के लिये अपनी आवाज उठा सके!
जय सियाराम 🙏