string of love in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | प्यार की डोर

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प्यार की डोर

"हां....यही प्यार है....!!

लीजिए आपका नींबू पानी... मुस्कुराते हुए सुधा ने रोज की तरह मार्निंग वाक से लौटे अपने पति मोहन से कहा थैंक्स यार...

कहते हुए मोहन ने भी मुस्कुराते हुए नींबू पानी लिया और घट घट करते हुए पी गया

अरे बैठो कहा चली मोहन ने सुधा से कहां तो वह बोली नाश्ता बनाने जा रही हूं...

नाश्ता... अच्छा सुनो आज नाश्ते में बेसन का हलवा बना लो... जैसे ही मोहन ने यह कहा तो सुधा चौंक कर पीछे की और मुड़ी उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ

क्या.... क्या कहा आप ने बेसन का हलवा... जनाब यहां तक मुझे पता है आपको बेसन का हलवा कभी भी पसंद नहीं था तो फिर... आप कब से बेसन का हलवा खाने लगे...

हां सच में पसंद तो नहीं था लेकिन जब से प्रीति भाभी के यहां बेसन का हलवा खाया तब से मुझे अच्छा भी अच्छा लगने लगा...

अच्छा जी... चलिए देर आएं दुरुस्त आएं...
कहकर मुस्कुरा कर सुधा रसोईघर की और बढ़ गई अब कढ़ाई में बेसन भुने और खूशबू ना उड़े ऐसा हो ही नहीं सकता ऊपर से गुड़ की चाशनी...

अभी सुधा ने हलवा तैयार किया ही था कि पड़ोस में रहने वाली प्रीति भाभी वहां आ पहुंची मानो उन्हें खूशबू खींच लाई हो...

दरवाजे पर प्रीति भाभी को देखकर सुधा उनका स्वागत करते हुए बोली... अरे भाभी आप... आइए... आइए ना

बहुत सही समय पर आई है आप... देखिए मैंने भी आज बेसन का हलवा बनाया है लीजिए चखकर बताइए कि आपके बनाए हलवे जैसा स्वादिष्ट बना है या नही...

क्या... मेरे जैसे बनाएं... सुबह - सुबह मैं ही मिली तुम्हें मजाक उड़ाने के लिए... मैंने तो अपनी जिंदगी में कभी बेसन का हलवा बनाया तक नही...

मुझे आता ही नहीं
क्या... मगर ये तो... सुधा अपनी बात पूरी करती तब तक मोहन नहाकर कपड़े बदलकर कमरे से बाहर निकल कर आया और सामने प्रीति भाभी को देखकर बोला...

अरे भाभीजी आप... नमस्ते कहकर उनके पैरों को छूकर आशीर्वाद लेने लगा...

आशीर्वाद लेने के बाद जैसे ही उसकी नजर सुधा के हाथों पर गयी तो वह चौंक गया क्योंकि उसके हाथों में बेसन के हलवे की कटोरी थी जो वो स्वाद चखाने के लिए प्रीति भाभी को दे रही थी

सुधा ने आंख झपकाते हुए मोहन को यूं देखा जैसे पूछ रही हो कि यह क्या चक्कर है आपने मुझसे झूठ क्यों बोला... की आप ने प्रीति भाभी के यहां बेसन का हलवा खाया था जो बहुत स्वादिष्ट बना था

मोहन सारी स्थिति को भांपते हुए सुधा के पास पहुंचा और उसके कंधों पर हाथ रखकर बोला... अब ऐसे गुस्से से मत देखो यार...

मै ऐसा नहीं कहता तो क्या तुम अपना मनपसंद बेसन का हलवा बनाती... मुझे मम्मी पापा ने बताया कि तुम्हे बेसन का हलवा बहुत पसंद है लेकिन ये जानकर की मुझे बेसन का हलवा पसंद नहीं है हमेशा अपनी इच्छा को मारकर यही कहती रही कि अकेले के लिए कौन बनाएं...

मैंने दो तीन बार बोला भी कि तुम अपने लिए बनाकर खा लिया करो लेकिन तुमने कभी नही बनाया इसलिए मैंने यह तरीका अपनाया... और देखो जैसे ही मैंने कहा मुझे बेसन का हलवा बड़ा स्वादिष्ट लगा तो तुमने तुरंत ही बना दिया आज मैं तुम्हारे साथ हलवा खाऊंगा...

कहकर मोहन ने कटोरी में से चम्मच भरकर सुधा के मुंह में डाल दिया और फिर स्वयं के मुंह में चम्मच भरकर... और स्वाद लेते हुए कहा... यार सचमुच बहुत स्वादिष्ट बना है... ओह सौरी...

भाभीजी आप भी खाकर देखिए ना सुधा भाभी के लिए
खाऊंगी जरुर खाऊंगी... मगर फिलहाल तो मेरा दिल खुशियों से भर दिया तुम दोनों ने...

हमेशा यूंही खुश रहो और सुधा याद से मेरे लिए घर में लेकर जरुर आना कहकर मुस्कुराते हुए प्रीति भाभी वहां से चली गई

उनके जाने के बाद सुधा भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए मोहन का हाथ पकड़ कर बोली आपको बेसन का हलवा पसंद नहीं है तो आप मत खाइए मैं वादा करती हूं अपने लिए बना लिया करूंगी मेरे लिए अपना मन मारने की कोई जरूरत नहीं आपको...

मोहन ने सुधा को चूमते हुए कहा... जानती हो सुधा जब मम्मी जी यहां आई थी तो बातों बातों में उन्होंने अचानक उसदिन जब मैं अपनी मनपसंद कटहल की सब्जी खाने के लिए पूरा कटहल ले आया था तब उन्होंने बताया था कि तुम्हे कभी भी कटहल खाना अच्छा लगता ही नहीं था

बल्कि जिस दिन तुम्हारे घर कटहल बनता था तो तुम्हारे लिए कुछ अलग बनाया जाता था मगर यहां आकर जब तुम्हें पता चला मुझे कटहल बेहद पसंद हैं तो तुमने भी ऐसे जताते हुए खाया जैसे तुम्हें भी कटहल की सब्जी बहुत स्वादिष्ट लगती है...

सुधा शादी के बाद एक लड़की अपनी सभी पसंद अपने पति और उसके परिवार से जोड़ कर बना लेती है तो क्या एक लड़का अपनी पत्नी के लिए खुद को थोड़ा बहुत नहीं बदल सकता

अब तो मैंने सोच लिया है अबसे तुम्हारी तमाम पसंदीदा चीजें मेरी भी पसंद बनी रहेगी और मैं अपनी सोच से पीछे नहीं हट सकता और मैडम...

केवल एक चम्मच से पेट नहीं भरता जल्दी से थाली भरकर लाओ बहुत भूख लग रही है...

कहकर मोहन मुस्कुरा दिया तो सुधा भी आंखे पोछंते हुए बोली... सचमुच आज तो मैं भी भरपेट खाऊंगी मुझे भी बहुत भूख लगी है थोड़ी देर में दोनों एक दूसरे को प्यार से देखते हुए स्वादिष्ट बेसन के हलवे का मजा ले रहे थे...