Muhabbat ki Anokhi Daastan - 2 in Hindi Fiction Stories by Ritu raj satya premi books and stories PDF | मुहब्बत की अनोखी दास्तान - भाग 2

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मुहब्बत की अनोखी दास्तान - भाग 2

मुहब्बत की अनोखी दास्तान (A day of love)

Episode 2

( इश्क इबादत [ Tales of the Heart] )

अब आगे ➡ ➡ ➡ ➡ ➡

गृह प्रवेश हो चुका था सभी लोग अंदर आए तो सिद्धि ने निधि को कहा कि वह काशी को रूद्र के रूम में लेकर जाए .
निधि काशी को लेकर रुद्र के रूम में चली गई । काशी रूम में पहुंची तो उसने देखा कि उस रूम को बेहद अच्छे तरीके से सजाया गया है । रूम में तीन बड़ी-बड़ी फोटो है लगाई गई है ।
एक फोटो मैं रूद्र अकेले पोज दिए हुए खड़ा है और दूसरी फोटो में रुद्र के साथ दो और बच्चे भी एक फनी सी फौज में खड़े हुए हैं , और तीसरी फोटो उन सब की फैमिली पिक्चर थी ।
काशी अभी तक उस फोटो को निहार रही थी तो उसे यूं तस्वीरों को निहारता देख निधि समझ गई कि काशी के मन में क्या चल रहा है ।
निधि बोली------- यह दोनों मेरे बच्चे हैं .अनाया और अंश . ये दोनों अपने नानाजी के साथ स्टडी के लिए बाहर गए हुए हैं एक-दो हफ्ते में आ जाएंगे । तब तुम उनसे मिल लेना । अभी तुम फ्रेश हो जाओ मैं तुम्हारे लिए कपड़े लेकर आती हूं ।
इतना कहकर निधि काशी को उस रूम में छोड़कर दूसरे रूम की तरफ बड़ गई । सिद्ध निधि को काशी के कपड़े देने के लिए ऊपर की तरफ आ ही रही थी कि रास्ते में उसे निधि मिल गई । सिद्धि ने निधि को कपड़े दिए और वापस से नीचे हॉल में चली गई ।
निधि कमरे में आई तो उसने देखा काशी अपने आप को शीशे में निहार आ रही है और एक बुत की तरह वहीं पर खड़ी हुई है।
निधि ने काशी के सर पर हाथ फेरा और उसे बेड पर बैठाते हुए बोली ।
निधि------- बेटा समझ सकती हूँ तुम पर अभी क्या बीत रही होगी , लेकिन रुद्र बहुत अच्छा लड़का है । उसने अगर तुम्हारी जिम्मेदारी ली है तो हम अपने इस रिश्ते को बहुत अच्छे से निभाएगा । बेटा तुम भी अपने अतीत को भूल कर अपने वर्तमान में आगे बढ़ो । इस रिश्ते को धीरे-धीरे अपनाओ। यह परिवार तुम्हें हमेशा बहुत प्यार देगा और सिद्धि भाभी , उनके लिए तो तुमने एक बेटी की कमी पूरी कर दी पता है। वह हमेशा से एक बेटी चाहती थी । वो तो तुम्हें बहुत प्यार करेंगी ।
इतना कहकर निधि ने कपड़े काशी को दिए और उसे फ्रेश होने के लिए बाथरूम में भेज दिया ।

नीचे हॉल में--------

सभी लोग रुद्र को इस तरीके से देख रहे थे कि मानो उससे पूछ रहे हो कि यह सब अचानक उसने क्यों किया। तभी उस शांति को चीरते हुए शिव की आवाज हॉल में गूंज उठी ।
शिव बोला------- रुद्र यह क्या तरीका है . और यह किस तरीके से आपने एक लड़की की मांग भर दी ?
रूद्र बोला------- सॉरी पापा ने कि मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था . अगर मैं यह नहीं करता तो उस लड़की की जिंदगी हमेशा के लिए खराब हो जाती है । शायद ये महादेव का इशारा था जो उन्होंने मुझे मंदिर के पीछे उन लोगों के बीच में आपस में जो बातें हो रही थी यह सारी बातें मुझे सुनाई पड़ गई । मैंने सुन लिया था कि उस आदमी ने काशी को खरीद रखा है और उसकी चाची ने भी पैसों के लालच में काशी को बेच दिया है ।
तभी सिद्धि बोली-------- कोई इंसान इतना कैसे गिर सकता है । वो भी पैसों के लिए । बेशक वह औरत काशी की चाची थी लेकिन चाची भी तो मां समान होती है अरे मां का ना सही एक इंसानियत का रिश्ता तो उस निभाती है उस बेटी से । इतना कैसे गिर गए लोग । समझ नहीं आता यह कहकर ।
सिद्धि को अपने दिन याद आ गए थे सिद्धि के साथ भी तो उसके पास्ट में यही सब हुआ था ।
शिव ने देखा कि सिद्कि। की सी खयालों में खो गई है शिव ने सिद्धि के कंधों पर हाथ रखते हुए उसे समझाया ।
शिव बोला------- समझ सकता हूं तुम पर क्या बीत रही होगी अभी । तुम उस लड़की का दर्द बहुत अच्छे से समझ सकती हो ।
सिद्धि बोली-------- हां अपनों से मिले धोखे को इंसान कभी नहीं भूल सकता है . कोई बात नहीं अब वो मेरी बेटी जैसी है मैं उसे इतना प्यार दूंगी कि उसे कभी अपने असली मां-बाप की कमी महसूस नहीं होगी ।
इतना कहकर सिद्धि रूद्र के पास आई और रूद्र से बोली ।
सिद्धि------- तुमसे यही आशा करती हूं कि तुम अपने इस रिश्ते को बहुत अच्छे से और इमानदारी से निभाओगे ।
अब रुम में जाओ और देखो काशी को किसी चीज की जरूरत हो तो उसकी मदद करना ।
इतना कहकर सिद्धि ने रूद्र को उसके रूम में भेज दिया ।

रूद्र रूम में आया तो उसने देखा काशी बाथरूम में जस्ट अभी अभी बाहर निकल रही थी ।उसने एक रेड कलर की अनारकली पहनी हुई थी और बालों पर तौलिया लपेटा हुआ था ।
रुद्र एक पल के लिए काशी को देखते ही रह गया काशी के हाथों में चूड़ियां और गली में केवल मंगलसूत्र था जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थी । काशी ने अभी तक रूद्र को नहीं देखा था काशी सीधे मिरर के सामने आई और अपने बालों को समेटे हुए सुखाने लगी ।
उन बातों से टपकता पानी रूद्र को काशी की तरफ आकर्षित कर रहा था कि अचानक काशी का ध्यान शीशे की ओर गया तो उसने देखा कि रुद्र टकटकी लगाए उसे ही देख रहा है । ऐसे रुद्र के अचानक देखने से काशी झेंप गई और इधर उधर नजर चुराते हुए अपने दुपट्टे को अपने आपको कवर करते हुए बोली ।
काशी------ जी आप कब आए ?
रूद्र ने जब काशी को यूं देखा तो रुद्र अपनी नजरें चुराने लगा ।
रूद्र बोला------- थोड़ी देर पहले . तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना मैं स्टडी रूम में हूं .
इतना कहकर रूद्र वहां से सीधे स्टडी रूम की तरफ चला गया ।
स्टडी रूम रुद्र के कमरे से अटैच था जहां रुद्र अपने ऑफिस वर्क , और अपने क्लाइंट से मीटिंग अटेंड करता था ।
अपने रूम से स्टडी रूम में आने के बाद भी रुद्र का दिल अभी भी बेचैन हो रखा था । वह अपने आप को शांत करते हुए बोला ।
रुद्र----- मैं ऐसे कैसे कर सकता हूं । काशी ना जाने क्या सोच रही होगी मेरे बारे में ।
अगर उसने नोटिस कर लिया होगा कि मैं उसे ही निहार रहा था तो पता नहीं क्या हो जाता है । पता नहीं क्या हो जाता है जब जब मैं काशी को देखता हूं तो ।
वहीं दूसरी तरफ काशी का भी यही हाल था वह भी अभी काफी बेचैन हुई थी ।

नीचे निधि ( सिद्धि और शिव ) से बोली------- भाई अभी उन दोनों को टाइम देना होगा । किस्मत ने उन दोनों को एक साथ जन्मों-जन्मों के लिए जोड़ तो दिया है लेकिन इस रिश्ते को निभाने की पहल दोनों को ही करनी पड़ेगी ।
तभी शिव बोला------ हां यह तो करना ही पड़ेगा ।
वहीं सार्थक सब का मूड फ्रेश करने के लिए किचन में सबके लिए अदरक , इलायची वाली चाय बना रहा था । चाय को वही हॉल में ले आया और सबको एक-एक कब देते हुए बोला ।
सार्थक----- अब जो हुआ सो हो गया । अब आप लोग चाय पीजिए और अपने मूड को फ्रेश कीजिए । इस समय काशी का इस परिवार में घुलना मिलना बहुत जरूरी है उसे यह नहीं लगना चाहिए कि वह यहां अकेले है।
तभी सिद्धि बोली------ हा सार्थक तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो और बताओ तुम्हारे हॉस्पिटल कैसा चल रहा है ? सार्थक बोला------- ऑल गुड ! बस तुम्हारी ननंद है साथ तो घबराने की क्या बात . इतना कहकर वो सबके सब एक साथ हसनें लगे ।
वही निधि सार्थक हो गुस्से से देखने लगी और बोली ।
निधि------ तुम्हें शर्म नहीं आती ना जब देखो मुझे छेड़ते रहते हो .
सार्थक बोला------ हाय मेरी जान तुम्हारी इसी अदा पे तो मैं कुर्बान हूं .
इतना सुनते ही सभी लोग टहाका लगा लगा कर हंसते लगे। तभी सार्थक बोला------ फिलहाल मुझे हॉस्पिटल जाना है 1 हफ्ते से हॉस्पिटल नहीं गया हूँ, निधि तुम चल रही हो ।
निधि ने भी मूड फ्रेश करने के लिए सार्थक के साथ जाना ठीक समझा ।

अब घर में केवल सिद्धि, शिव ,काशी और रूद्र थे।
सिद्धि को अभी इस बात का भय लगा था कि रणविजय जी जब लंदन से वापस आएंगे तो उन्हें हम रुद्र की शादी के बारे में कैसे बताएंगे ।
उसने अपने इस डर को शिव के साथ डिस्कस किया तो ,
शिव बोला------ डोंट वरी पापा को मैं समझा दूंगा . वैसे भी पापा अनाया और अशं के साथ एक हफ्ते बाद वापस आ रहे हैं ।यह सुनते ही सिद्धि के होठों पर मुस्कान छा गई ।

रात हो चुकी थी काशी बेड पर बैठे-बैठे ही सो चुकी थी । वहीं दूसरी तरफ रूद्र अभी भी स्टडी रूम में काम कर रहा था ।
वो अपना काम खत्म करके जब रूम में आया तो उसने देखा कि काशी बैड पर ऐसे ही बैठे बैठे सो गई है । रूद्र ने काशी को यूं देखा तो वह मन ही मन में बोला ।
रुद्र------- अगर यह इसी तरह रात भर लेटी रही तो इनके गर्दन में मोच आ जाएगी इसलिए उसने काशी को धीरे से उठाया और उसे बेड पर अच्छे से लेटा दिया ।
काशी काफी गहरी नींद में थी जिससे उसकी नींद तो खुली नहीं । वही रूद्र को यह डर था कि अचानक काशी की नींद ना खुल जाए ।
जब उसने देखा कि काशी को उसने बहुत अच्छे तरीके से लेटा दिया है तो वह भी उसके ऊपर कंबल डाल के सोफे पर सोने के लिए चला गया । हालांकि सोफा रुद्र की हाइट से छोटा था ।
जिससे रुद्र को बहुत असज हो रही थी , लेकिन रुद्र अभी कुछ नहीं कर सकता था।

सुबह के 5:00 बजे-------

रोज की आदत के अनुसार काशी की नींद खुल गई उसने देखा कि वह बेड पर बहुत अच्छी तरीके से सोई हुई है और उसके ऊपर कंबल डाला हुआ है । एक पल के लिए तो वह डर चुकी थी कि उसके ऊपर यह कंबल डाल कर उसे इतने अच्छे तरीके से किसने लेटाया होगा। तभी उसका ध्यान सोफे पर लेटे रुद्र पर गया तो वह समझ गई कि रात को रुद्र ने ही उसे इस तरीके से सुलाया है और काशी को कंफर्टेबल फील ना हो इसलिए उसने सोफे पर सोना ठीक समझा ।
काशी अपनी आदत के अनुसार उठी और जाकर रुद्र के पास गई । काशी को हिचकिचाहट हो रही थी उसने अपना हाथ धीरे से बढ़ाया और रूद्र को हिलाते हुए बोली ।
काशी------ सुनिए ... सुनिए ।
अचानक काशी के यू बोलने से रुद्र की नींद टूट गई रुद्र की नींद कच्ची नींद थी उसके साथ या उसके आस पास कुछ होता तो रुद्र की नींद अचानक टूट जाती ।
काशी की आवाज सुनकर की नींद ही अचानक टूट गई थी उसे लगा काशी किसी प्रॉब्लम में है तो वह जल्दी सोफे से उठ़ते हुए बोला ।
रुद्र------ क्या बात है तुम ठीक हो ना । कोई दिक्कत तो नहीं है ।
काशी बोली--------- नहीं मैं ठीक हूं। आप बैड पर सो जाइए।
रूद्र बोला-------- नहीं है तुम सो जाओ मैं यहीं पर ठीक हूं ।
काशी बोली------ आपकी कमर में दर्द हो जाएगा । आप सो जाइए । मैं उठ चुकी हूं मैं फ्रेश होने के लिए जा रही हूं ।

इतना कहकर काशी ने अपने कपड़े निकाले और बाथरूम की तरफ चली गई । वहीं रुद्र अभी भी काशी की बातों में खोया हुआ था तब उसने अपना पिलो पकड़ा और सीधे बेड पर जाकर लेट गया । रात भर कमर दर्द से परेशान रूद्र को जब सॉफ्ट सा बिस्तर मिला तो उसको उसी समय नींद आ गई ।

काशी नीचे आए तो उसे देखा घर के सभी लोग सोए हुए हैं काशी ने देखा कि वहां एक काकी किचन में साफ सफाई का काम कर रही है ।
काशी उनके पास गई और उन्हें प्रणाम करते हुए बोली ।
काशी------- प्रणाम काकी .
काकी ने भी मुस्कुराते हुए काशी को आशीर्वाद दिया ।
काशी उनसे बोली------- काकी यहां मंदिर कहां है वह मुझे पूजा करनी है ।
काकी ने भी मुस्कुराते हुए काशी का मंदिर दिखा दिया । काशी ने मंदिर के लिए फूल मंगाए और मंदिर के साज सजावट करने लगी ।
थोड़ी देर बाद मंदिर तो फूलों से सजा हुआ बहुत सुंदर लग रहा था काशी में शिव जी की मूर्ति को बहुत प्यारा सजाया हुआ था । उसके बाद काशी ने दिया जलाया और अक्षत चंदन और टीका भगवान को अर्पण करते हुए आरती गाने लगी ।
काशी--------

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ।

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।। धन्यवाद ।।