Muhabbat ki Anokhi Daastan - 1 in Hindi Fiction Stories by Ritu raj satya premi books and stories PDF | मुहब्बत की अनोखी दास्तान - भाग 1

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मुहब्बत की अनोखी दास्तान - भाग 1

मुहब्बत की अनोखी दास्तान (A day of love)

Episode 1

( इश्क इबादत [ Tales of the Heart] )

मिलते हैं कहानी के नये केरेक्टर से--------
कहानी के नायक से--------

रुद्र प्रताप सिंह--- शिव और सिद्धि का बेटा .

नायिका---------

काशी राणावत ---- शाति राणावत की पोती .

एक सरल और सुलझी हुई लड़की है बहुत खूबसूरत है . कमर तक आते लम्बे काले घने बाल . बडी बड़ी आँखे, गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे होंठ, आकर्षक कद काठी, लंबाई 5 फीट 6 इंच रंग गोरा .
काशी की जिंदगी बहुत ज्यादा दुखभरी रही है। बचपन में एक कार एक्सीडेंट में उनकी डेथ हो चुकी थी और उसके बाद काशी अपने चाचा चाची और दादी के साथ रहती है। चाचा चाची और उनकी बेटी श्रेया काशी को बिलकुल भी पसंद नहीं करती है . उसकी चाचू से दिन भर सुनाती रहती है उसकी चाची ने चाचा जी ने उसे घर में बस उसकी दादी मां के वजह से ही रखा हुआ है क्योंकि अगर वो काशी के साथ कोई बदतमीजी करते या फिर काशी को घर से बाहार निकालने की कोशिश करते तो काशी की दादी शांति राणावत अपनी जायदाद से उनको बेदखल कर देती ।चाचा चाची ने उसे बस इसलिए अपने साथ रखते थे वह शांति राणावत की दौलत को पास सके .

रुद्र प्रताप सिंह को तो आप जानते हैं शिव और सिद्धि का एकलौता बेटा । राजस्थान का होने वाला हुकुम सा और अपने घर का लाडला भी ।

रुद्र की हाइट 6 फीट 2 इंच । बाल काले और सलीके से सेट किये हुए, आंखें गहरी ब्राउन रंग की और एक अच्छी खासी बॉडी के साथ बेहद खूबसूरत ।
रुद्र अपने पिता के जैसे गुस्सेल है जिससे ऑफिस में उससे हर इंसान डरता है । इस समय वो अपने पिता की कंपनी को और आगे बढ़ाने में कड़ी से कड़ी मेहनत कर रहा है । इस समय इंडिया का नंबर वन बिजनेसमैन और मोस्ट एलिजिबल बैचलर है क्योंकि उन्हें अभी तक कोई ऐसी मिली ही नहीं जो रुद्र के दिल को भा सके । उसके आगे पीछे बहुत सी लड़की घूमती है पर मजाल की कोई रुद्र के करीब पहुंच पाए ।

कैसे मिलेंगे दोनो ये जानेंगे कहानी के आगे

सिंह मेंशन--------

मैं सभी लोग डाइनिंग टेबल पर इक्खट्टा हुए हैं और रुद्र का इंतजार कर रहे हैं जैसे ही रुद्र खाना खाने नीचे आता है तो सभी अपना ध्यान हटाते हैं ।
शिव रुद्र की तरह देते हुए उससे बोला------ आओ हम तुम्हारा ही वेट कर रहे थे। सोचा कि तुम आज आओगे तो साथ ही डिनर कर लेंगे ।
रुद्र बोला------ जी पापा । रुद्र अभी खाना खा रहा था कि , तभी ।
शिव बोला------- तुम्हें कुछ दिनों के लिए बनारस जाना पड़ेगा ।
रूद्र शिव की तरफ देखते हुए बोला------ पापा पर ।
अचानक शिव बोला------- हां तुम्हारी मां ने मन्नत मांगी है कि तुम जैसे 24 से हो जाओगे तो तुम्हें बनारस लेके जाएंगी अगले हफ्ते तुम 24 के हो जाओगे इसलिए मैं चाहता हूं कि हम पूरी फैमिली के साथ बनारस जाए ।

शिव कि कही बातें पत्थर की लकीर होती थी रुद्र भी शिव के सामने कुछ नहीं बोल पाता था शिव का ओरा इतना था की उसके सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बंद हो जाए और उसकी बोलती सिर्फ एक औरत के सामने बंद होती थी रुद्र की मां सिद्धि शिव प्रताप सिंह .
शिव अभी रुद्र से से बोल रहा था कि सिद्धि बीच में बोल उठी-------- क्या तुम भी ऐसे गुस्से से बोल के और डरा डरा के बोल रहे सीधे नहीं बोल सकते कि बनारस जाना है .
सिद्धि को यू गुस्से आया देख शिव थोड़ा शांत हो गया और
बड़े ही प्यार से बोला .
शिव------ जानेमन मैं कहां परेशान कर रहा हूं तो प्यार से बोल रहा .
सिद्धि बोली----- दिख रहा है तुम्हारा प्यार से बोलना बताती हूं तुमको .
शिव बोला------- अरे मैंने क्या किया दोनों क्यों नोक झोको वहां पर सभी लोग देख रहे थे .

****** बनारस ******

शिव को अपने परिवार के साथ बनारस आए हफ्ता हो चुका था अस्सी घाट पर शिव जब अपने परिवार के साथ आरती के लिए आया तो उसने देखा कि वहां एक लड़की को मंडप में बैठाया जा रहा है ।
रुद्र ने जब उस लड़की को देखा तो ना जाने क्यों रुद्र का दिल अचानक तेजी से धड़क उठा । रुद्र अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोला ।
रुद्र------ यह क्या हो रहा है मुझे अचानक से क्यों इसकी सुनी आंखों को मैं इतना सीरियस ले रहा हूं । क्यों इसकी यह आंखें मुझे इतनी बेचैन कर रही है । जबकी इसकी तो शादी होने वाली है । इसलिए रुद्र अपना ध्यान भटकाने के लिए रुद्र वहां से उठकर दूसरी तरफ चला जाता है ।

कि तभी उसे 4 लोगों की आपस में बात करते हुए आवाज सुनाई देती है वह चारों लोग आपस में बात कर रहे हैं ।
पहले एक औरत बोली-------- जितनी रकम तुमने मांगी थी उतनी है गिन लो .
तभी वहां औरत नोटों की गड्डी को गिनते हुए बोली----- हां पूरी है हम तो इस लड़की को बस इसलिए अपने घर में रखे हुए थे कि की कहीं बुढ़िया की जो दौलत है उससे बुढ़िया हमें बेदखल ना कर दे । पर कोई बात नहीं । अब से यह आपकी हुई है लड़की । आपको जो करना है आप करिए । तभी उस औरत के साथ मैं खड़ा ।
एक आदमी बोला-------- अरे हमें तो बस पोता चाहिए हमारा बेटा अपनी बीवी से बच्चा पैदा ना कर सकता है इसलिए हमें एक ऐसी औरत चाहिए जो हमें हमारे खानदान का वारिस दे सके , इसलिए तो पूरे 1500000 में तुमसे लड़की को खरीद रहे हैं । तभी
वो औरत बोली------ हां .. हां इस बात की गैरंटी है कि तुमको पोता ही होगा । इस लड़की की कुंडली में लिखा हुआ है कि से लड़का ही पैदा होगा देख लेना तुम।

यह सब बातें रुद्र सुन रहा था इतना सब सुनकर रुद्र को ना जाने क्यों और बेचैनी महसूस हो रही थी वह मंडप में बैठी उस लड़की को देख रहा था जिसे कुछ भी नहीं पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है ।
रुद्र ने कुछ सोचा और वहां से उठकर सीधे मंडप ओर चला गया जहां काशी लाल सुर्ख जोड़ी में बैठी हुई थी उस देकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह वहां पर बेमन से बैठी हो वहां पर बैठकर रस्मों को निभाने लगी हो की तभी अचानक रुद्र मंडप के बीच मैं आता है और थाली में से सिंदूर निकालकर काशी की पूरी मांग भर देता है सामने खड़ा काशी का परिवार और शिव और उसका परिवार उनकी तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है ।
शिव सिद्धि के साथ-साथ किसी को समझ नहीं आ रहा था कि रुद्र ने अचानक यह कदम क्यों उठाया . अचानक से काशी की मांग भरने से वहां पर सभी मैं आक्रोश आ गया कि तभी लड़के का पिता जिसने काशी को पूरे 1500000 में खरीदा था गुस्से में देखते हुए बोला ।
लड़के का पिता------ यह क्या कर दिया तूने । इस लड़की से मेरी बेटी की शादी होने वाली थी ।
रुद्र बोला-------- शादी हुई तो नहीं अब से यह मेरी पत्नी है रुद्र प्रताप सिंह की पत्नी . कोई हाथ लगा के तो दिखाए । अगर जिंदा अपनी घर जाना चाहते हो तो इज्जत से पीछे हट जाओ ।
उसके ऐसे बोलने से लड़के का पिता डर गया ।और वह काशी की चाची से बोला-------- तुमने तो बोला था यह लड़की मेरी होगी . तुम मेरे 15 लाख रुपए अभी के अभी वापस करो । अचानक रुपयों की बात सुनकर वहां पर खड़े सभी लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई और।
काशी की चाची डरते हूए उस आदमी से बोली----- कौन से रुपए यह क्या बात कर रहे हैं आप ।
वह आदमी बोला------ वही रुपए जिसको दे कर मैंने इस लड़की को मैंने खरीदा था अपने बेटे के लिए । अरे मेरी बेटे की तो पहले से लुगाई है । इस लड़की को तो मैं इसलिए खरीद रहा था क्योंकि तुमने ही कहा इसकी कुंडली में लड़का पैदा करने की शक्ति है । निकालो मेरे 15 लाख । जैसे ही शांति राणावत ने ही सुना तो वो काशी की चाची कमला के पास आई और उसे एक थप्पड़ लगाते हुए बोली।
शांति देवी------- तेरी इतनी हिम्मत कि तू मेरी बेटी को बेचना चाह रही थी । जरा भी शर्म नहीं आई तुझे । अगर काशी की जगह में तेरी बेटी होती तो क्या तू उसके साथ भी यही करती ।
काशी वहां पर एक भूत बनी खड़ी थी उसे समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ यह क्या हो रहा है कि तभी लड़के का बाप रुद्र को मारने के लिए अपने आदमियों के साथ जैसे ही आया तो रुद्र प्रताप सिंह के बॉडीगार्ड में उन आदमियों को चारो तरफ सिंह घेर लिया वह खड़े सभी लोगों को सोचने का कोई मौका तक नहीं मिला था कि रुद्र कौन है की तभी सिद्धि की आवाज आई ।
सिद्धि------ इस तरीके से कोई शादी शादी नहीं होती रुद्र और यह संस्कार तो नहीं थे हमारे । शादी होगी पूरे रीति रिवाज से होगी । पंडित जी शादी पूरी विधि विधान से कराइए ।रुद्र अगर रिश्ता जोड़ा है तो रिस्ते निभाने का हौसला रखिए । मानते है तुम इस लड़की की जिंदगी बचाने के लिए इस लड़की की मांग भरी । लेकिन मांग भरना कोई बच्चों का खेल नहीं हे शादी है । जन्म जन्म का रिश्ता जोड़ता है एक शादी से ।
सिद्धि ने आज पहली बार रुद्र को इस तरीके से डांटा होगा उसका यहां रूप देख कर तो शिव भी शांत हो गया था । पंडित जी ने पहले वरमाला कराई और सिंदूरदान हालांकि काशी की मांग तो पहले ही भर चुकी थी लेकिन रीत तो निभाना ही थी मंगलसूत्र की रस्म हो जाने के बाद ।
पंडित जी की आवाज आई कि शादी संपन्न हुई और सब दोनों पति पत्नी जाइए अपने बड़ों का आशीर्वाद लीजिए श्रेया तो जब से रुद्र को देखा था वो देखती रह गई थी । लेकिन अब कोई फायदा नहीं था श्रेया को अपने मां बाप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि कहां रुद्र जैसा हैं स्मार्ट और हैंडसम लड़का उसे मिलना चाहिए था लेकिन कहां रुद्र काशी को मिल गया पर अब वो कुछ नहीं कर सकती थी ।
रुद्र और काशी ने सभी बड़ों का आशीर्वाद दिया ।
तो तभी शांति देवी रुद्र से बोली-------- बेटा लड़की ने बहुत दुख देखे हैं . भगवान के लिए अब इसे कोई दुख मत देना इतना कहकर शांति देवी ने अपने हाथ जोड़ लिए ।
तो रुद्र बोला------- आप चिंता मत करिए , दादी जी मैं इनका अपनी जान से ज्यादा ध्यान रखूंगा इन पर कभी आंच नहीं आने दूंगा यह राजपूत का वादा है आपसे ।

सिंह मेंशन ---------

सभी से मन में ढेरों सवाल थे लेकिन अभी पूछने का कोई समय नहीं था काशी को लेकर वो सभी राजस्थान के लिए निकल गए । शिव अब अपनी फैमिली के साथ राजस्थान रहता था । उसका सारा बिजनेस रुद्र संभाल रहा था गाड़ी सिंह मेंशन के बाहर रुकी और कार में से रुद्र और काशी के साथ-साथ अभी घरवाले बाहर आए । सिद्धि और निधि ने उनको दरवाजे रुकने के लिए कहा और अंदर जाकर नई वधू के गृह प्रवेश की तैयारी करने लग गए ।

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।। धन्यवाद ।।