इस कहानी को समझने के लिए पिछले दोनों भागों को पढ़ें
यह सुनकर मैंने पूछा- कैसे ??
तब चैत्रा ने बोला - 1 महीने पहले मेरी दीदी एक लड़के से प्यार करती थी। लेकिन पापा को यह रिश्ता मंजूर ना था। लेकिन दीदी उस लड़के के प्यार में पागल हो गई थी उन्होंने मंदिर में शादी करने का सोचा।
दीदी ने अपना और उस लड़के का कुंडली मिलान करवाने के लिए उस लड़के से उसका कुंडली मांगा, लेकिन वह लड़का बहाना बनाते हुए बोला- वह..वह.. तो मेरा जन्म कुंडली खो चुका है
दीदी- नहीं जब तक हमारी कुंडली नहीं मिल जाए तब तक हमारी शादी नहीं हो सकती।
कुछ दिन बाद उस लड़के ने एक नकलु कुंडली बनवाकर दीदी को दिया।
दीदी अपना और उस लड़के के कुंडली मिलाने के लिए पुजारी जी के पास पहुंची। जब वे मंदिर पहुंचे तब उस लड़के ने बहाया बनाते हुए दीदी से कहा- तुम जाओ मैं यही तुम्हारा इंतज़ार करता हूं मुझे याहा थोड़ा काम है,,,,
दीदी- ने ठीक तुम यहीं रूको मैं पुजारी जी से मिलकर आती हूं,
दीदी पुजारी जी के पास पहुंची,
पुजारी जी ध्यान में थे दीदी के चलने की आहट से उन्होंने अपनी आंखें खोली(पुजारी जी को बहुत सारी विद्याएं आती थी)
जब दीदी ने उस लड़के का और अपना कुंडली मिलान करवाने के लिए दिया तो पुजारी जी अपने मंत्र शक्ति से जान गए कि ये लडका इंसान नहीं बल्कि एक एक शैतान है। उन्होंने दीदी को आगाह किया - बेटी इससे शादी मत करो यह एक प्रेत है यह भोली भाली लड़कियों को फंसाकर अपना शिकार बनाता है और अमावस्या के दिन उस लड़की की बलि दे देता है।
आब तक उसने 99 लड़कियों की बलि दे चुका है, अगर एक लड़की की पहली और दे देता है तो वह और शक्तिशाली बन जाएगा और कई सारी लड़कियों को अपना शिकार बनाएगा और उसे रोक पाना मुश्किल हो जाएगा।
दीदी भुत प्रेत पर विश्वास नहीं करती थी।वे हंसते हुए कहती है- बाबा, यह २१ वी सदी है याहा भुत वुत कुछ नहीं होता।
यह कहकर दीदी जाने लगी तब पुजारी जी ने उसे सावधान किया- बेटी तुम अभी मेरी बात का विश्वास नहीं करोगी क्योंकि तुम्हें उस शैतान ने अपने प्यार के जाल में फांस लिया है लेकिन मैं तुम्हें एक बाद बता दूं आज अमावस्या है आज वह तुम्हारी बली देने ले जाइगा, तब तुम्हें पता चलेगा, दीदी को एक माला देते हुए- यह रूद्राक्ष की माला है जब वो शैतान तुम्हारी बली देने वाला हो तो तुम यह माला उस प्रेत के गले में डाल देना वह थोड़ी देर के लिए मूर्छित हो जाएगा तब तुम वहां से भाग जाना ।बली ना मिलने से उसका देवता नाराज हो जाएगा और उस प्रेत को खा जाएगा।
बड़ी मुश्किल से दीदी ने उस माला को अपने पास रखा और उस इंसान बने प्रेत के साथ चली गई , उस प्रेत ने पहले दीदी का शिकार किया और उसे बलि देने ले जाने लगा तब दीदी को यकीन हुआ कि ये शैतान है अब मैं क्या करूं तभी दीदी को उस पुजारी जी की बात याद आई, पुजारी जी ने जैसा कहा है वैसा ही दीदी ने करने की ठानी, दीदी ने प्रण किया कि आज इस शैतान को मार के ही वापस जाऊंगी भले ही मेरी जान क्यो न चली जाए मैं इसे और लड़कियों के जिन्दगी को बर्बाद नहीं करने दूंगी
जब उस प्रेत ने दीदी को बली देने वाला था,तब दीदी ने वहां माला उस प्रेत की गले में डाल दिया,
प्रेत मुर्छित हो गया और वहां से भाग गई, बली ना मिलने से उस प्रेत के भगवान नाराज होकर उस प्रेत को ही खा गया।
इधर दीदी उस प्रेत के शिकार हो गई थी तो वह बहुत कमजोर पड़ रही थी, उसने बड़ी मुश्किल से घर पहुंची तब मैं उसे देख कर जल्दी से अंतर ले आई और बेड पर लेटाई,,,
और दीदी से पूछा- दीदी यह सब क्या है आपकी ऐसी हालत कैसी हुई,
तब दीदी ने मुझे सब कुछ बताया और कहा- लगता है अब मैं भी मरने वाली हूं,तुम उस पुजारी जी को बुलाओ अब वो ही कोई उपाय बताएंगे,,,
मैं पुजारी जी को बुलाया और दीदी का इलाज करने के लिए कहा,,
दीदी के हालत को देखकर पुजारी जी बोले- तुम्हारे दीदी की हालत बहुत गंभीर हो चुकी है इसके शरीर में उस प्रेत का गंदा रक्त धीरे धीरे फैल रहा है इनका बचना बहुत मुश्किल है,,,
चैत्रा - लेकिन दीदी को बचाने का कोई ना कोई तो उपाय तो होगा पुजारी जी ???
पुजारी जी- हा एक उपाय है लेकिन उस दवाई को लाना मुश्किल है या यह कहें कि ना मुमकिन है।
चैत्रा - आप बताइए तो ? मैं लेकर आऊंगी उस दवाई को
पुजारी जी- तो सुनो, यहां से दूर एक जंगल में एक 💯 साल से मरे व्यक्ति के कब्र से एक फुल उगता है, अगर वो फुल मिल जाए तो तुम्हारे दीदी की जान बच सकती है। लेकिन उस फुल की रक्षा उस कब्र का शैतान करता है। जो भी उस फुल को तोड़ने की कोशिश करेगा वह शैतान उसे मार डालेगा,,,,
चैत्रा - तो उस फुल को लाने का कोई उपाय नहीं ?
पुजारी जी - है, उस शैतान की शक्ति का समना एक सच्चा प्रेमी ही कर सकता है जब वो उस फुल को तोड़ेगा तो कुछ देर तक उस शैतान की शक्ति का असर तुम लोगों पर नहीं होगा, और उसी मौके का फायदा उठाकर तुम लोग वहां से भाग जाना।
और एक बात वह फुल अमावस्या की रात तक मिल जाना चाहिए वरना तुम्हारी दीदी का बचना असंभव है।
चत्रा- मैं कई दिनों तक कीसी सच्चे प्रेमी की तलाश करती रही की कोई तो मेरी मदद करेगा लेकिन जब किसी ने भी मेरी मदद नहीं किया तो मैं खुद इस काम को करने के लिए आगे बढ़ी और यहां आ गई.....
मैं जा रही हूं उस फुल को तोड़ने,,,
रोहन- तुम नहीं जाओगे मैंने बोला ना,,
चैत्रा- मैं नहीं जाऊंगी तो कौन जाएगा ?
रोहन- मैं जाऊंगा
चैत्रा- तुम, तुम क्यो जाना चाहते हो?
रोहन- क्योकि मैं तुमसे प्यार करता हूं जब से मैंने तुम्हें देखा है तब से मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गया हूं मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं ,तुम यहां रुको मैं उस फूल को तोड़ कर लाता मैं तो तुमसे सच्चा प्यार करता हूं देखते हैं मैं उस फूल को तोड़ कर ला पाता हूं कि नहीं,
मैं उस फुल को तोड़ कर वापस आने लगा वह प्रेत हमारे प्रेम के आगे कुछ नहीं कर पाया,हम जल्दी से महल की ओर भागे,
महल में पहुंचकर हमने दरवाजा बंद कर दिया और मैंने चैत्रा से बोला - हम अभी यहां से वापस जाएंगे, वह भल्लाल देव का कब्र था वह यहां भी आ सकता है हमें जल्दी ही यहां से जाना होगा, तुम यहां रुको मैं अपना बैग लेकर आता हूं, हम इसी वक्त यहां से चले जाएंगे,,
चैत्रा - हा आज अमावस्या है अगर आज हम समय पर ये दवाई दीदी को ना दे सके तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी,,
रोहन- तुम चिंता मत करो हम समय पर पहुच जाएंगे, तुम यहां रूको मैं बैग लेकर आता हूं।
मैं बैग लेने अन्दर चला गया वापस आया तो देखा....
मौत हमारे सर पर मंडरा रही थी, मेरे जाने के बाद चैत्रा ने उस सिंहासन को देखा और उस पर मोहित हो गई और उस सिंहासन पर बैठ गई और उसके शरीर में भल्लाल देव की आत्मा प्रवेश हो गया.......
वह जोर-जोर से हंसने लगा- हा हा हा तुम दोनों ने मेरा फुल चुराया है और मेरे सिंहासन पर बैठ गए हो, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा...............हां हां हां
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Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"
Ᏼᴜɴɴʏ"