Atit ke panne - 36 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | अतीत के पन्ने - भाग 36

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अतीत के पन्ने - भाग 36

आलेख ने कहा मुझे लगता है कि यह एक बुरा सपना है और सपना टूट गया तो सब ठीक हो जाएगा।।
राधा ने कहा जो भी हो अब तुझे आगे बढ़ना होगा।।
आलेख ने कहा हां मैं कोशिश करूंगा मासी,
राधा ने कहा मुझे भी अब वापस जाना होगा।
आलेख ने कहा हां मासी।
फिर दोनों मिलकर खाना खाने बैठे।
फिर से सब कुछ पहले जैसा हो गया।
राधा भी वापस चली गई।
आलेख खुद को काम में उलझा दिया ताकि उसे उसके पापा की याद न सताएं।
हवेली में स्टूडेंट्स की वजह से थोड़ी बहुत रौनक लौट आईं थीं।
कोचिंग क्लास रात के नौ साढ़े नौ बजे तक चलती थी।
आलेख को हर पल छोटी मां और पापा की याद आती रहती थी।
इस तरह से एक साल वाली पहली वरसी आ गई।
आलेख ने पंडित जी को बुलाया और सब दिन तिथि देख कर तय कर लिया।
पंडित जी ने कहा कि ११ ब्राह्मण भोज भी करवाना होगा।
आलेख ने कहा हां,जैसा आप ठीक समझें।।


फिर सब लोगों को आमंत्रित कर दिया।
आलेख को कहीं ना कहीं विश्वास था कि पिया ही उसके जीवन का आधार है और फिर हर रोज पिया मिलने भी आती। पिया पहले जैसी सामान्य तो नहीं हो पाई थी।
पर अब हर रोज आलेख के हवेली आ जा रही थी।
यह तो सिर्फ गीता की वजह से ही हो पा रहा था।
गीता तो अब पिया के साथ कोचिंग क्लास में पढ़ाने लगी थी।
आलेख को पूरा यकिन था कि अब तो पिया ही है जो इस हवेली को पहले जैसा कर पाएगी।।
पर पिया क्या अपने अतीत से वर्तमान में आ पाएंगी?
हैरान होने वाली बात ये है कि आलेख को उसके कालेज के दोस्त ने कहा कि पिया किसी और से प्यार करती है।
आलेख ने कहा हां ठीक है मुझे कुछ नहीं सुनना है।

शाम के समय पिया और उषा जी कोचिंग क्लास लेने आ गए।
आलेख ने कहा पिया मुझे कुछ कहना है।
पिया ने कहा मुझे कुछ नहीं सुनना है।
मेरे लिए ये हवेली मनहूस है मैं कभी नहीं भुला सकती कि तुम्हारे सौतेली मां ने किया मेरे साथ।।
आलेख ने कहा पर वो तो सजा भुगत रही हैं मेरे पापा ने खुद उनसे सब रिश्ता तोड दिया था।
पिया ने कहा मुझे यह सब नहीं सुनना है।
मैं यहां सिर्फ उषा जी के लिए आती हुं।
आलेख ने कहा अच्छा मेरे लिए कोई प्यार नहीं है अब?
क्यों?
पिया ने कहा हां, तुम चाहते तो वो सब होने से रोक सकते थे?
आलेख ने कहा हां, मैंने कोशिश किया था पर।।
पिया ने कहा मैं अब किसी से प्यार करती हूं शादी भी करूंगी।
आलेख ये सुन कर आश्चर्य हुआ और फिर बोला कि खुश रहो।।
आलेख ने अपनी आंसुओं को बहने नहीं दिया।


इस तरह से आलेख ने खुद को बहुत मजबूत बना लिया था।
उसने बहुत सोच समझ कर एक फैसला किया और वो पिया के घर पहुंच गया।
जतिन ने कहा अरे क्या बात है आज यहां?
आलेख ने कहा हां कुछ बातें करना है।
मेरे पापा चाहते थे कि पिया उनके हवेली की बहु बने पर शायद पिया ऐसा नहीं चाहती है।
मु, मुझे पता चला कि वो शादी करने वाली है तो क्या उसकी शादी आप हमारे हवेली पर करवा सकते हैं ये मेरी भी इच्छा है।।
जतिन ने बहुत देर तक सोचता रहा और फिर बोला कि एक बार पिया से बात करता हूं।
आलेख ने कहा अच्छा ठीक है ये कहता हुआ चला गया।
जतिन ने मन में सोचा क्या मैं कुछ ग़लत कर रहा हूं?
कुछ देर बाद ही पिया और उषा शापिंग मॉल से आ गए।
कुछ देर बाद ही जतिन ने पिया को सारी बात बताई।
पिया कुछ देर सोचा और फिर बोली हां यह तो बहुत अच्छा हुआ।
पिया मन में बोली मुझे कुछ मौका मिला आलेख को तकलीफ़ देने का।।
फिर कभी मौका मिले ना मिले तरूण ने तो फैसला कर लिया कि मुम्बई में जाकर रहेगा।।

फिर पिया अपने कमरे में जाकर बैठ गई।


हवेली में जाकर आलेख अपने काम में लग गया।।


दो दिन बाद जतिन हवेली में आकर शादी का कार्ड दिया और फिर बोला कि पिया राजी हो गई। शादी हवेली में होगी।
आलेख ने कहा आपका बहुत बहुत धन्यवाद।।
मैं बहुत खुश हूं।
जतिन ने कहा हां,लग रहा है पर तुम्हारी आंख तो कुछ और कह रही है।
आलेख ने कहा नहीं अंकल,बस पिया खुश रहे ये दुआ करूंगा।।

जतिन वहां से चला गया।
आलेख बहुत ही खुश हो गया और फिर उसने पुरी हवेली की रंगाई पुताई करवाना शुरू कर दिया।
कोचिंग सेंटर में भी सभी को पता चला कि पिया मैम की शादी हवेली से हो रही है।
सब स्टूडेंट्स खुश भी हो गए।
आलेख ने अपने प्यार की कुर्बानी देकर खुशी खुशी शादी की तैयारी करने लगा।।


क्रमशः