आज अमित रोज की तरह बेचैन सा टहल रहा है । उसके मन में विचारों का महायुद्ध चल रहा है । एक तरफ मां की जिम्मेदारी तो दूसरी तरफ पत्नी के प्रति उसका कर्तव्य । दोनों ही तरह से पीसता जा रहा था । एक तरफ मां है जिसे जिसने उसे जन्म दिया। पाल पोसकर बड़ा किया। आज वह उम्र के अंतिम पड़ाव पर है, तो अमित की अधिक जिम्मेदारी बनती है, कि मां का ख्याल रखे। उसकी हर ख्वाहिश पूरी करे वगैरह वगैरह ।
दूसरी तरफ किरण है, किरण अमित की पत्नी वह उसके जीवन संगिनी है। स्वभाव से थोड़ी कड़वी है ,परन्तु कर्त्तव्य में एकदम खरा सोना। किरण का अपनी जुबान पे काबू नहीं रहता। वह मुंहफट की तरह कुछ भी बोलती है। आगे पीछे का विचार नहीं करती। तभी कुछ गिरने की आवाज आती है। उसके बाद किरण की आवाज़ क्या हुआ? क्या गिरा? हे राम ! मां जी आपको कितनी बार कहा है कि आप एक जगह बैठा कीजिये । घर की किसी वस्तु को छुआ मत कीजिये । आप को क्या मुफ्त खाने और रहने को मिल रहा है । बस अपनी हद में रहा किजीए और किरण की बक बक शुरू हो गई । मां ये सब शुन्य सी मुद्रा में सुन रही थी ।
अमित से रहा न गया तो मां से पूछने चला गया। माँ क्या हुआ ? मां ने मुस्कुराते कहा कुछ नहीं! मुझसे गलती हो गई । तभी चींकी वहा आ गई और अमित से लिपटकर रोने लगीं। चिंकी अमित और किरण की इकलौती बेटी। अमित ने पूछा क्या हुआ मेरा बच्चा ! पिंकी ने मासूमियत से कहा पापा फूलदान मेरे कारण टूटा था और मम्मी ने दादी को बेवजह डाटा । तभी अमीत ने मां की तरफ देखा तो मां मुस्कुराने लगी। अमित को समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है । दिमाग को शांत करने व बाहर टहलने निकल गया ।
घर से कुछ दूर फुटपाथ एक बैठा था ।अमित रोज आते जाते उसे देखता था । उसके पास न तन ढकने लायक कपड़े थे न ओढने लायक कंबल । कोई कभी कुछ झूठा दे दे तो खाकर जी रहा था। आते जाते लोग नाक सिकोड़कर उसे देखते और गाली देने लगते। आज भी आते आते लोग भला बुरा करते जा रहे थे। फिर भी वहमुस्कुराते हुए अपने आप में व्यस्त था जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं । अमित को अब रहा न गया और उसने फकीर से पूछा बाबा! इतने लोग आपको भला बुरा कह रहे हैं और आप उनको जवाब न देकर मुस्कुरा रहे हैं। ऐसा कैसे कर लेते है तभी फकीर बोला बेटा मै रास्ते पर बैठा हुं। लोग आते जाते हैं धूल मिट्टी उड़ती है , तो मै कपड़ों को झटक देता हुं और वह कपड़े झटकने लगा ।
अमित और ज्यादा परेशान सा घर की तरफ निकल पड़ा वो सोच में पड़ गया । एक तरफ मां का बर्ताव और दूसरी तरफ फकीर का ऐसा बर्ताव । घर पहुंचकर वह सीधा मां के पास जाकर बोला मां उस फकीर ने जो बात बताई उसका अर्थ मुझे समझाओ । मां अमित को उस फकीर कि बातों का अर्थ बताने लगीं। वह रास्ते पर रहता है यानी व लोगों के बीच रहता है। धूल मिट्टी उड़ती है यानी कुछ लोग अच्छा बोलते हैं कुछ बुरा बोलते है।लोगों के बोले शब्द मै मैल कि तरह कपडे रुपी मन में नही रखता। उनको मैं झटक कर साफ कर देता हूं और अपने आप में खुश रहता हूं ।
इसी तरहा बेटा मैं किरण या तुम्हारी किसी बात से मन में नहीं रखतीं हंसते हंसते अपने अंतिम दिन निकाल रही हुं। मां कि बात सुनकर अमित की आंखों में आंसू आ गये और वह मां से कहता है । मां मै इस अनमोल सीख को हमेशा याद रखुंगा और शब्द रुपी मैल को अपने मन पर चढने नहीं दुंगा।
स्वलीखित
गजेंद्र गोविंदराव कूडमाते