नारंग ने हाथ मे बंधी घड़ी में समय देखा।रात के साढ़े नौ बजे थे।इस स्टेशन से छोटी लाइन की अंतिम ट्रेन कुमायूं एक्सप्रेस जाती थी।इस ट्रेन के छूटने में आधा घण्टा शेष रह गया था। लेकिन किसी यात्री के लगेज बुक कराने आने के आसार नजर नही आ रहे थे।न जाने आज सुबह उठते ही किस मनहूस का मुंह देख लिया था कि वह दो बजे ड्यूटी पर आया तब से अब तक तीन ट्रेनें जा चुकी थी।लेकिन कोई भी यात्री उसके पास माल बुक कराने के लिए नही आया था।
मानाकि आज शहर में हड़ताल थी।हमारे देश मे हड़ताल होना आम बात है।किसी ने किसी बात को लेकर चाहे जब हड़ताल हो जाती है।लेकिन फिर भी पूरी तरह नही होती।आज से पहले ऐसा कभी नही हुआ था कि हड़ताल वाले दिन कोई माल बुक कराने के लिए न आया हो।लेकिन आज क्लॉक रूम में लगेज रखने या लेने वाले ही आ रहे थे।
शाम होते ही उसे शराब की तलब महसूस होने लगी।उसका गला खुश्क हो रहा था।बार बार वह अपनी जीभ को होठो पर फिराता।शराब उसकी आदत में शुमार हो चुकी थी।शराब के बिना वह नही रह सकता था।वह कुर्सी पर बैठा हुआ अपने ही बारे में सोचने लगा।
वह रेलवे की नौकरी में आया तब उसमें कोई बुरी लत नही थी।वह सभी व्यसनों से दूर था।बचा हुआ था।शराब,पान,बीड़ी,सिगरेट आदि सभी से दूर।
वह डॉक्टर,इंजीनयर बनना चाहता था।लेकिन किस्मत ने उसका साथ नही दिया। इसलिए उसे कालेज से बी ए करने के बाद उसे क्लर्क की नौकरी मिली।रेलवे में कॉमर्शियल क्लर्क की नौकरी।इस नौकरी में उसे गुड्स,पार्सल और बुकिंग में काम करना था।वह रेलवे में आया तब से ही पार्सल में काम कर रहा था।
रेलवे में पार्सल,लगेज और माल गोदाम में माल बुक होता है।माल गोदाम में पूरी ट्रेन या वेगं की बुकिंग होती है।पार्सल ऑफिस से नगों की बुकिंग होती है और लगेज ऑफिस में टिकट पर माल की बुकिंग होती है।टिकट पर दो तरह से सामान बुक होता है।हल्का सामान जो यात्री अपने साथ ट्रेन के कोच में ले जा सकता है।भारी और बड़े सामान को ब्रेकवान से ले जाया जाता है।एक टिकट पर यात्री अपने साथ केवल एक सो पांच किलो सामान ले जा सकता है।ब्रेकवान से ले जाने पर कोई लिमिट नही है।
रेलवे से सामान बुक कराने के लिए बहुत सी शर्ते पूरी करनी पड़ती है।जैसे सामान की पैकिंग रेलवे के नियमो के अनुसार होनी चहियर।हर पैकेज पर भेजने वाले और पाने वाले का नाम और पता लिखा हुआ होना चाहिए।फ्रॉम एंड टू स्टेशन का नाम लिखा होना चाहिए।और भी बहुत सी शर्तो का पालन करना होता है।बहुत से व्यापारी रेलवे के नियमो का शत प्रतिशत पालन नही करते।टेक्स की चोरी भी करते है।माल को भी पहले और जल्दी भेजना चाहते है।ऐसे बहुत से कारण है,जिसकी वजह से व्यापारी माल बुक कराते समय बाबू को माल भाड़े के अतिरिक्त पैसा देते है। यह परंपरा या गलत प्रथा अंग्रेजी राज से ही चली आ रही है।
पगार या तनखाह या वेतन के अलावा जो ऊपरी कमाई होती है।वह भरस्टाचार है।इसे रिश्वत भी कह सकते है।रिश्वत यानी गलत तरीके से कमाया गया पैसा बुराई की जड़ हैं।