Wo Nigahen - 16 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 16

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वो निगाहे.....!! - 16

निगाहो से निगाहे मिलाकर
वो पुरसुकून हो गई!!



अनायस हि मायूर कि नजर दरवाजे पर पडी सामने देख कर तेजी से धानी से अलग हुआ l
उसके अलग होते ही धानी भी मायूर कि दिशा में देखा जिस ओर वो देख रहा था आश्चर्य से उसकी आँखें बडी बड़ी हो गई l
झट से अपनी जोरो से आँखें बंद कर लेट गई l उसकी इस हरकत पर मायूर अवाक सा रह गया l
सामने श्री दोनों बाँधे हुये आंखों में आश्चर्य और खुशी भाव से देख रही थी l अपने चेहरे पर आये खुशी भाव को तुरंत छुपा ली l
नाराजगी के भाव से दोनों को देखने लगी l आइब्रो को उठाते हुये दोनों से हि इशारे में पूछी l

धानी तो अपनी आँखें बंद किये हुये लेटी रही उसकी हिम्मत नहीं पड रही थी श्री कि ओर देखने कि भी l मायूर कि हिम्मत जुटाकर दि वो दि हकलाते हुये....आगे शब्द हि नहीं निकले श्री उसे आगे हाथ दिखाकर चुप करा दी l

पेपर सब रेडी हो गये है डिस्चार्ज के थोड़ी देर मे निकलना बाकी बाते बाद में होगी कहकर श्री मन हि मन मुस्कुरा पडी दोनों के चेहरे डर से जो पीले पड गये l श्री उन दोनों को गहरी निगाह से देखते हुये बाहर आ गई खुल कर मुस्कुरा पडी वही जोर जोर खुशी झूमने लगी l
नर्स आकर श्री को टोकी क्या हुआ मैम जो आप यही झूमने लगी घर जाने का भी वेट नहीं कि l
श्री मुस्कुरा कर रह गई नर्स को साइड हग कर ली l कुछ नहीं कुछ खूबसूरत यादे याद आ गई थी बस l

अन्दर श्री के जाते ही धानी पास रखे तकिये को मायूर पर फ़ेक दि l क्या जरूरत थी गले वले लगने कि पता नहीं था कोई भी आ सकता है मुझे देखने l

मायूर उसे घूरते हुये क्या जरूरत थी खुद से पूछ लो पता चल जायेगा समझी l

धानी चुप हो गई l अब श्री ना जाने हमारे में क्या सोचेगी उससे कुछ भी नहीं छिपाते है... उससे छिपा कर गलत किया कि उसके हि भाई से हि प्या.... कहकर अधूरा बात छोड दि l

मायूर उसकी आँखो में झाका क्या पूरी बात कहो l

नहीं वो कुछ नहीं l जरुरी नहीं हर बात कही हि जाये कुछ बाते बिन कह भी जान लेना चाहिए l वैसे भी हम लोगों को कुछ कहने कि जरुरत हि ना पडी... कहकर मुंह छुपा लि अपने हि हाथों से l

वो तो ठीक है पर दि मायूस सा चेहरा लिये बोला l
पता नहीं क्या करेगी कैसे रिअक्ट करेगी अभी तो कुछ बोली नहीं अब घर जाकर हि पता चलेगा उसके मन में क्या चल रहा है l डर लग रहा है मिस्टर वो हमारी बात समझेगी या हम लोगों के रिश्ते को अपनायेगी l धानी घबराहट से बोली l

तुम परेशान मत हो जादे लोड मत लो नहीं तो तबियत बिगड जायेगी अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो l मैं बात करुगा दि से उसके सिर पर प्यार से हाथ फ़ेरने लगा l उसे भी घबराहट हो रही थी फ़िल्हाल धानी को सम्भालना जरुरी था l
प्यार भरे सानिध्य से धानी अपनी आँखें बंद कर ली l
बाहर से श्री दोनों को एक साथ देख चिन्ता मुक्त हो गई दोनों एक दूसरे को सम्भालने के लिये साथ है!!

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धानी का घर.....

धानी डिस्चार्ज होकर आ गई थी अपने कमरे में बेड पर लेटी हुई सुबह जो हुआ था उसके बारे में सोचे जा रही थी कि श्री क्या मेरा साथ देगी ? हमारे रिश्ते को अपनी रजामंदी देगी? ऐसे हि विचार कुलबुलाहट मचा रहे थे l
अपनी सोच में इस तरह मग्न थी उसे अहसास हि ना हुआ कोई उसके पास बैठा है l
धानी बेटे क्या हुआ तुम कुछ परेशान लग रही हो ? जब से आई हो देख रहे हैं तुम्हारे चेहरे पर शिकन क्यों है?
अरे फ़ादर साहब आप कब आय?
जब तुम अपने ख्यालो में गुम थी कहकर उसके सिर सहला दिया l


जारी है.....!!