वाजिद हुसैन की कहानी -प्रेम कथा
यूनिवर्सिटी के वार्षिकोत्सव में ऑडिटोरियम से बाहर निकलते-निकलते केशव ने मुझ से कहा, गज़ल गाते आपको पहली बार सुना, ऐसा लगा गाने वाले की आवाज़ और सुनने वाले के कान के बीच रूह का ताल्लुक है। शरमाते हुए मैने कहा, 'डिबेट में आपको फर्स्ट प्राइज़ मिला है। वास्तव में आपने अपने गुरुजनो के लिए कलात्मक अंदाज़ में जो कुछ बोला वह हक़ीक़त है, कुछ के चेहरे पर तो हवाईयां उड़ने लगी थी।' उसने थैंकं यू कहा, फिर हम इस तरह बात-चीत करने लगे, जैसे बरसों के बाद मिले हो।
एक दिन मेरे आग्रह पर वो मेरे घर आया तो ज़रूर था, किंतु उसे वहां बात- बात में संकोच मालूम हो रहा था। जब मैं उसे लेकर मख़मली सीढ़ियों पर से अपने ड्राइंग रूम में जाने लगी, तब उसने अपने पैरों की ओर देखा। उसे अपने धूल भरे पैरों को रखने में कुछ अटपटा सा लगा।
मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हुं। नोएडा में, जहां शहर के धनी व्यक्तियों के बंगले हैं, वहीं मेरे पापा की एक विशाल कोठी है। ...मेरे पास मोटर है, गाड़ी है, और भी न जाने क्या-क्या। ... मैंने इसी वर्ष बी. ए. में एडमिशन लिया है। वो एम. ए.फाइनल का विद्यार्थी है। उसके माता-पिता बचपन में ही मर चुके हैं और वो स्वयं का आश्रित है। उसका व्यवहार बड़ा ही शिष्ट था। उसकी वाणी और लिबास में सादगी थी, परंतु व्यकित्व गौरवम्य था। उसने हाथ जोड़कर मेरे पापा का अभिवादन किया। औपचारिक बातचीत के बाद पापा ने उससे कहा, 'आप इंटर यूनिवर्सिटी डिबेट में जाकर इलाहाबाद से आपने कॉलेज-के लिए 'शील्ड' जीत लाएं हैं।' उसके बाद निसंकोच कहा, 'हमारे यहां अंग्रेजी बोलने का चलन नहीं है परंतु अच्छा वर पाने के लिए सरिता का अंग्रेजी बोलना बहुत आवश्यक है।' फिर पापा ने उससे मुझे इंग्लिश पढ़ाने के लिए आग्रह किया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया और इस प्रकार धीरे धीरे मेरी और उसकी घनिष्ठता बढ़ने लगी।
उससे मिलने के पहले मैने उसके विषय में जो धारणा बना रखी थी कि गरीब लड़का इंफीरियर्टी काम्प्लेक्स का शिकार होगा, वह गलत थी। अब मुझे उससे पढ़ने की इच्छा बनी रहती, मैं शाम होने का इंतेज़ार करती थी।
एक दिन मां ने बताया कि मेरा विवाह एक धनी व्यापारी से तय कर दिया है। मैं समझ न सकी कि यह सुनकर मेरा चित्त अव्यवस्थित-सा क्यों हो गया। मैंने कभी स्वप्न में भी न सोचा था कि केशव के साथ मेरा भी कोई ऐसा संबंध हो सकता है। मैं उससे दूर-दूर रहने की सोचने लगी, किंतु ज्योंहि शाम होती मैं अपने आप को रोक न पाती, टयूशन पढ़ने को बेताब हो जाती।
मैं तीन माह में अंग्रेजी बोलने लगी थी। उसे मेरी शादी के बारे में पता चल चुका था। आज ट्यूशन के आखिरी दिन केशव समय से कुछ पहले आ गया। मैं घर पर नहीं थी। वह ड्राइंग रूम में बैठकर एक एल्बम के पन्ने उलटने लगा। उसकी दृष्टि एक चित्र पर जाकर एकाएक रुक गई। वो बड़ी देर तक चित्र को ध्यानपूर्वक देखता रहा। उसका सिर चित्र के ऊपर झुक गया और आंसू की दो बड़ी-बड़ी बूंदे गिर पड़ी। वो जैसे सोते से जाग पड़ा। उसने झट से जेब से रूमाल निकाल कर चित्र पर से आंसू की बूंदे पोछ दीं, और उसी समय उसकी नज़र सामने लगे बड़े आईने पर पड़ी। मैं पीछे चुपचाप खड़ी थी, उसकी आखों में आंसू थे।' वो कुछ घबरा-सा गया ...। थोड़ी देर हम दोनों ही चुपचाप रहे, आख़िर मैंने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा, 'केशव जी, 'जो बात आप जुबां पर नहीं ला सके, वह आपके आंसुओं ने कह दी, आप मुझसे प्रेम करते हैं, मैं इस शादी से इंकार करती हूं।'
तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी, उसने दृढ़ता से कहा। ...'क्यों।' ...'रोमांस धनी लोगों का विशेषाधिकार है, न कि बेरोजगारों का व्यवसाय।आपकी काबिलियत से अच्छी है आपकी स्थाई आय। फिर उसने मेरी आँखों में आखें डालकर मुझे कविता की पंक्तियां पढ़ाई, 'हर फेस वाज़ लाइक ए किंग'स कमांड, व्हेन ऑल दी सोर्डस आर ड्रान। (उसका चेहरा सम्राट के आदेश की तरह था- जब तलवारें सभी हाथों में खींची हों)। मुझे ठीक से समझ नहीं आया था कि इन पंक्तियों का अर्थ क्या है। बस यह कि यह किसी रूप में मेरे सौंदर्य की प्रशंसा थी और यह पहली दफा था किसी ने मेरे बारे में कुछ कहा था। इसके बाद मैं जब भी शीशे में अपना मुंह देखती, यह शब्द मुझे याद आ जाते और केशव का मेरी आंखों में आंखें डालकर देखना एक विशेष सिहरन पैदा कर देता। मुझे अपना उभरता नारीत्व परेशान करने लगता। शाम को मुझे एक अकेलेपन ने आ घेरा। मुझे एहसास हुआ कि आज उसकी जिंदगी की शायद यह पहली शाम थी, जब किसी ने उससे कोई बात नहीं की। मैंने मम्मी-पापा से कहा, 'पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे मेरी शादी के बारे में सोचें, जिस पर वे सहमत हो गए।'
मेरे मन में यही उम्मीद थी कि हो सकता है कभी केशव से वह कहीं टकरा जाए। हालांकि मैं जानती थी कि यह मूर्खता की बात है, क्योंकि इतने बड़े शहर में उससे मिलने की संभावना बहुत सही नहीं थी। अगर वह मिल भी जाता, तो वह उससे क्या कहती? बहुत जल्दी मेरी ज़िदगी एक क्रम में बंध गई , ठसाठस भरी बस में खड़े होकर यूनिवर्सिटी जाना, लेक्चर सुनना, कैफेटेरिया में लंच लेना, और बस से घर वापस आना।
एक दिन हमेशा की तरह मैंने बस स्टॉप से बस पकड़ी, जब वह दूसरे सिरे पर अंडर ग्राउंड से बाहर निकली तो देखा, एक कालेज के बाहर बड़ी भीड़ है और यातायात रोक दिया गया है। लोगों को कहते सुना छात्रों ने प्रिंसिपल पर धावा बोल दिया है। तभी कॉलेज गेट से एक एंबुलेंस बाहर आई, पता चला प्रिंसिपल को बचाने में लेक्चरर केशव बुरी तरह घायल हो गए हैं। केशव नाम सुनकर मैं चौक गई, विद्यार्थियों से पूछने लगी। पता चला, प्रोफेसर केशव लेक्चरर के पद पर पर कुछ दिन पहले नियुक्त हुए थे, प्रिंसिपल को बचाने में घायल हो गए। मैंने रुमाल से अपने आंसू पोछे फिर पापा को फोन पर बताया। अस्पताल पहुंच कर पता चला, केशव के सिर में चोट लगी है, डॉक्टर उसे होश में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
अस्पताल में कुछ दिन तक उसकी देखभाल के लिए लेक्चर्रस और स्टूडैन्टस आते थे। धीरे-धीरे वह अकेला होता गया। उसकी तीमारदारी करना मेरा नित्यकर्म बन गया था। मैं बुरी तरह आघात हुई, होश आने पर उसने मुझे नर्स कहकर संबोधित किया। मुझे रोता देखकर डॉक्टर ने कहा, ' इन्हें शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस हो गया है, पिछले साल-दो साल का कुछ याद नहीं।' यह वही समय था, जब मेरी उससे मुलाकात रही थी। मेरा उसके प्रति लगाव देखकर पापा ने उसे घर लाने का निर्णय लिया। कुछ दिनों बाद वह नौकरी पर जाने लगा और पेइंग गेस्ट की तरह हमारे घर में रहने लगा।
रात को खाना खाने के बाद हम सब सब हंसी मजाक करते थे। एक दिन वह अपनी अंग्रेजी ज्ञान की शेख़ी बघार रहा था और मेरी खिल्ली उड़ा रहा था। तिलमिलाकर मैंने उससे कहा, 'बताइये, यह किस पोइम का अर्थ है?' 'सुंदर स्त्री तलवार उठाए हजार सैनिकों की तरह लगती है।' वह बहुत देर तक सोचता रहा। उसके चेहरे पर विचित्र से भाव आए फिर बोला, 'दा लीडर' रिटेन बाइ 'जोसेफ हिलेरी' फिर बोला, 'सरिता यह तो मैंने तुम्हें पढ़ाई थी।' हम समझ गए, उसकी याद्दाश्त वापस आ गई। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, पर डॉक्टर की सलाह अनुसार हम सब लोग अंजान बने रहे। बस मैंने कहा, 'यू आर जीनियस' और अपने कमरे में सोने के लिए चली गई।
सवेरे उसने मुझसे पूछा, 'सरिता तुम्हारी शादी होने वाली थी?' मैंने कहा, 'पढ़ाई पूरी होने के बाद शादी करूंगी, अभी तो मुझे ठीक से इंग्लिश बोलना भी नहीं आई है, किसी अच्छे इंग्लिश ट्यूटर की तलाश में हूं। उसने मुस्कुराते हुए कहा, ' जनाब सुंदर तो हैं ही, मनमोहक बातें भी बनाने लगीं हैं।
एक दिन पापा ने उससे कहा, 'आप क्वालिफाइड इंग्लिश ट्यूटर है,सरिता को फिर से पढ़ाना शुरू कर दीजिए, मुझे अच्छा लगेगा।' ... उसने कहा, 'अंकल, 'जैसी आपकी इच्छा, यह जीवन आपका और सरिता का दिया हुआ है।' ... मैंने पापा से थैंक यू कहा। पापा ने कहा, 'बेटी, मैं तेरे दिल को पढ़ लेता हूं।'
केशव कॉलेज जाने के लिए अपनी टाई पिन ठीक कर रहा था। उसने हमारी बातें सुन ली। उसने पापा के पैर छूकर कहा, 'यदि आप मुझे अपनी बेटी के योग्य समझते हैं, तो मैं अपने को सौभाग्यशाली समझूंगा।' पापा ने उसे गले लगा लिया। मैंने मम्मी और पापा के चेहरे पर मुस्कुराहट देखी। उनकी आंखों से ख़ुशी के आंसू बहने लगे।
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