chudail ke sath! EK raat? - 2 in Hindi Horror Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | चुड़ैल के साथ! एक रात? - अध्याय 2

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चुड़ैल के साथ! एक रात? - अध्याय 2

नोवेल: चुड़ैल के साथ एक रात

अध्याय 2: मार्गदर्शन

वीर के दोस्तों से उसके अनुभव की बातचीत
चुड़ैल की वास्तविकता का पता लगाने के लिए मार्गदर्शन
वीर के दिल में उठते सवाल और उसकी उलझन


वीर उन अनोखी घटनाओं के बारे में अपने दोस्तों से बातचीत करने के लिए उत्सुक था। उसने अपने दोस्तों को चुड़ैल के साथ बीती उस रात का वर्णन किया, जब उसने उसे पहली बार देखा था। उनके दोस्तों ने ध्यान से सुना और वीर के अनुभवों की प्रतिक्रिया की।

"तुम कह रहे हो कि उसे चुड़ैल मिली है?" एक दोस्त ने उससे पूछा। "क्या तुम यकीन करते हो कि वह एक चुड़ैल थी?"

वीर उस सवाल के सामने थोड़ी देर के लिए गंभीर हो गया। वह अपने दिल में उठते सवालों से जूझ रहा था, और अपने दोस्तों को यकीन दिलाने की कोशिश करना चाहता था। "मैं जानता हूँ यह बहुत अजीब लगता है," उसने कहा, "लेकिन वह बिलकुल चुड़ैल जैसी थी। उसकी आँखें लाल और भयंकर थीं। उसके बाल पर रखते समय, मेरा हाथ जल गया। और उसकी आवाज़ भी अलग थी, जैसे कि वह एक मनुष्य की नहीं, बल्कि किसी भूत की हो।"

एक और दोस्त ने वीर से पूछा, "तो क्या तुम चाहते हो कि हम तुम्हारे साथ उस जगह पर जाएं, और वह चुड़ैल देखें?"

वीर ध्यान से सोचने लगा। वह उस रात की घटना को फिर से जीने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन एक आवेश उस पर चढ़ा था कि उसे चुड़ैल की वास्तविकता का पता लगाना होगा। शायद उसे उसकी उलझन से छुटकारा मिल सके, या फिर यह सब कुछ सिर्फ उसके विचारों की एक माया हो सकती थी।
"हाँ," उसने कहा, "मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे उस जगह पर ले चलो, ताकि तुम खुद देख सको और मेरे अनुभवों को सत्यापित कर सको।"

उसके दोस्तों ने वीर के इरादे को समझ लिया और तबाह और खतरनाक स्थान पर जाने के लिए तैयार हो गए। वे एक गहरे जंगल में जा पहुँचे, जहां घने वृक्षों की छाया उन पर किसी भयानक साये के समान थी। वीर उनके पीछे चल रहा था, अपनी उलझनों और डर से लड़ने की कोशिश करते हुए।

धीरे-धीरे, उन्होंने अपने ध्यान को आंतरिक शांति की ओर धकेला और चुड़ैल की वास्तविकता का पता लगाने के लिए तैयार हुए। वे एक छोटे से सकरी रास्ते पर चुड़ैल को खोजने के लिए शुरुआत करने के लिए उस गहरे जंगल में घुस गए।

वीर और उसके दोस्त धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे, जब वीर ने अचानक एक अनूठी ध्वनि सुनी। वह एक उत्साहित स्वर में आवाज थी, जो कि उसे वापस ले चली। वीर के दिल की धड़कनें तेज हो गईं और उसने अपने दोस्तों की ओर देखा। "क्या तुमने वह सुना?" उसने पूछा।

उनके दोस्त भी संवेदनशील हो गए और उन्होंने कहा, "हाँ, वह कुछ अद्भुत लग रहा है। हमे यहां और आगे चलना चाहिए।"

वीर और उसके दोस्त धीरे-धीरे आगे चलते रहे और उनकी ध्यान से उन अद्भुत ध्वनियों का पता लगाते रहे। उनके आसपास का वातावरण बदलने लगा, और वह उनके लिए और भी रहस्यमय होने लगा। वे आगे चलते रहे, विचारों और भय के ढेर से लड़ते हुए।

धीरे-धीरे, उन्होंने खुद को चुड़ैल की वास्तविकता के सामरिक स्थान पर पहुंचते देखा। यह एक पुरानी रहस्यमय भव्य मंदिर था, की तरह था अब मालूम चलता है मंदिर नहीं था जिसकी दीवारें पत्थर की थीं और खूनी अंगारे दीवारों पर जल रहे थे। वहां दूर से, वीर ने एक छाया देखी, जो कि एक चुड़ैल का रूप धारण कर रही थी। उसने उसे निरंतर देखा, जब चुड़ैल ने उसकी ओर देखा, वह हिल गया। चुड़ैल ने उसे आकर्षित किया, और उसके आँखों में वीर ने उसे बिना किसी शंका के उसकी पहचान की आवाज़ सुनी।

"वीर," चुड़ैल ने कहा, "तुम मेरी पहचान कर पाए हो। अब तुम इस अन्धकार में मेरे साथ एक रात बिता चुके हो। अब तुम्हें अपनी उलझनों से मुक्ति मिलेगी।"

वीर का मन उलझा हुआ था, लेकिन चुड़ैल के शब्दों ने उसे आश्चर्यचकित किया। क्या चुड़ैल सचमुच में उसे जवाब दे सकती थी? क्या वह इस रहस्यमय चुड़ैल के साथ एक रात बिताने के लिए तैयार था?

अगले अध्याय में वीर के आगे क्या घटित होता है, और क्या उसे चुड़ैल के साथ एक

रात बिताने का फैसला करना पड़ता है, इसे जानने के लिए जुड़े रहें।