Garib ki Izzat - 5 - Last Part in Hindi Women Focused by Kishanlal Sharma books and stories PDF | गरीब की इज्जत - पार्ट 5 - अंतिम भाग

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गरीब की इज्जत - पार्ट 5 - अंतिम भाग

लाजो का मन कोई काम करने का नही था।वह अपने घर मे घुसते ही कमरे में बिछी खाट पर कटे व्रक्ष की तरह धम्म से गिर गयी।
"अंधेरा क्यो कर रखा है?"जस्सो रोज की तरह नशे में झूमता हुआ घर लौटा था।जब कोई आवाज नही आई तो फिर वह एक बार बोला,"लेम्प क्यो नही जलाया?"
जब लाजो फिर भी नही बोली तब जस्सो ने खुद लेम्प जलाया था।कमरे में उजाला होते ही जस्सो कि नजर खाट पर लेटी लाजो पर पड़ी।
"अरे तुम यहाँ।क्या बात है तुम्हारी तबियत खराब है क्या?"जस्सो,लाजो को खाट में लेटे देख कर उसके पास जा बैठा।वह लाजो के हाथ को अपने हाथ मे लेकर बोला,"तुम चुप क्यो हो।बोलती क्यो नही?"
पति के हाथ का स्पर्श पाते ही लाजो फफक कर रो पड़ी।"
" क्या बात है? क्या हुआ?तुम रो क्यो रही हो?"पत्नी को रोता हुआ देखकर जस्सो बेचन हो गया।"
"दूर रहो मुझसे"लाजो ,जस्सो के हाथ को अपबे शरीर से हटाते हुए बोली
"हुआ क्या/"
"मैं तुम्हारे काबिल नही रही?"
"क्यो काबिल नही रही। क्या कह रही हो।मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा।जो कहना है,साफ साफ कहो।"
जस्सो के बार बार पूछने पर लाजो बोली थी---
"जंगलात के अफसर ने मेरे साथ
पति के बार बार पूछने पर लाजो ने सारी घटना रोते हुए पति को बता दी थी।कैसे उसकी जंगलात के अफसर से मुलाकात हुई और कैसे उसने धोखे से उसकी इज्जत लूट ली थी।
पत्नी की जुबानी सारी दास्तान सुनकर जस्सो का चेहरा गुस्से में लाल तवे सा तमतमा गया।शराब से लाल आंखों से गुस्सा साफ झलकने लगा।लाजो को पति की अवस्था और चेहरे को देखकर ऐसा लगा कि उसका पति गुस्से में न जाने क्या कर गुजरेगा।फिर न जाने अचानक क्या हुआ कि उसके चेहरे के भाव अचानक बदल गए।वह पत्नी के सिर पर हाथ रखते हुए बोला,"लाजो रोओ मत।चुप हो जाओ।"
"रोऊँ नही।चुप हो जाऊं।मेरी इज्जत लूट गयी और तुम कहते हो चुप हो जाऊं।कैसे चुप हो जाऊं?"लाजो रोते हुए बोली।
"लाजो हम गरीब लोग हैं।पगली गरीब की भी कोई इज्जत होती है।अगर जंगलात का अफसर तुम्हारे साथ यह न करता तो कोई और तुम्हारे साथ यही करता।गरीब,असहाय, निर्बल औरतों पर अमीर लोगो की गिद्ध दृष्टि हर समय बनी रहती है।जैसे मौका लगते ही गिद्ध अपने शिकार पर झपटता है,वैसे ही ये लोग गरीब औरतों पर"
"यह तुम कैसी बाते कर रहे हो।पत्नी की अस्मत लूटने वाले से बदला लेने की जगह तुम उसे माफ कर देने की बाते कर रहे हो।अत्याचारी,बलात्कारी को छोड़ देना चाहते हो ताकि वह फिर किसी और औरत के साथ ऐसी नीच हरकत कर सके।"पति की बात सुनकर लाजो बोली थी।
"लाजो तुम्हे ही नही बुरा तो मुझे भी लग रहा है।मेरी दादी के साथ भी यही हुआ था।पर मेरे दादा चुप रह गए।"जस्सो बोला,"मेरी माँ के साथ भी यही हुआ था।मेरे पिता गुस्से वाले थे।वह बदला लेने के लिए चले गए।पर मेरी माँ की इज्जत लूटने वाले ने पितां को उल्टा फसा कर जेल में बंद करा दिया"
कुछ देर रुक कर जस्सो बोला,"न्याय पैसे से खरीदा जाता है और हमारे पास पैसा नही है
लाजो पति की विवशता समझ गयो।इसलिए इज्जत लुटाकर भी चुप रह गयी थी