spouse in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | जीवनसाथी

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जीवनसाथी

जीवनसाथी

सीमा कि शादी को अभी आठ महीने ही हुए थे बात तो अच्छे से होती है पतिदेव से पर प्यार होगा या नहीं ये कहना अब भी मुश्किल है...
ठीक ठाक ही व्यवहार है या यूं कहें कि भले आदमी है...
शादी के पहले दो बार प्यार हुआ था सीमा को पर दोनों लड़कों से कुछ ख़ास नहीं चल सका रिश्ता और पुरुषों के बारे में उसकी राय बहुत सकारात्मक तो नहीं ही है इस बात के लिए वो बिलकुल क्लीयर है कि प्यार नहीं हुआ है उसे दिनेश से अभी भी...
सुबह का समय है सासू माँ बैठकर योगा कर रही हैं और ससुर जी अपने पसंदीदा 'आर जे' कि आवाज़ और उसके द्वारा सुनाये जा रहे गाने का लुत्फ़ उठा रहे है... दिनेश आँफिस के लिए तैयार हो चुके है और दाल रोटी सब्जी तीनों तैयार है... बस खाकर निकलेंगे... उनके जाने के बाद ही सीमा सास - ससुर को खाना देती है...
सासू माँ वैसे तो हर चीज़ में बहुत अच्छी हैं पर खाना बनाने में कोई चूक बरदाशत नही करती और क्यूंकि सीमा अच्छा खाना बनाती है तो उनकी खूब बनती भी है...
सीमा ने खाना लगा दिया है और दिनेश बड़े चाव से खा रहे हैं सासू माँ ने पूछा खाना कैसा है तो हाँथ, आँख और मुँह तीनों से कह दिया "लाजवाब",
सासू माँ खुश और और सीमा ने भी चैन की सांस ली...

खाना खाकर अब दिनेश अपनी टाई लेने गए और बोले "सीमा टाई कहाँ है... ज़रा ढूँढ़कर दो"
वो कमरे मे पहुंची तो देखा टाई दिनेश के हाथ में ही है और वह मुस्कुरा रहे है... सीमा समझ गयी दिनेश उसे छेड़ रहे हैं, मुड़कर जाने लगी तो उसकी कलाई पकड़ कर झटके से ऐसे खींचा अपनी तरफ कि उनके सीने से टकरा गई और तुरंत मोहन का वो हाथ जिससे उसे खींचा था वो सीमा की कमर पर था, अपना चेहरा उसके चेहरे के बिलकुल करीब ला दिया और सीमा ने अपना चेहरा घुमा लिया मोहन ने उसके कान के पास आकर कहा "जानेमन दाल में, नमक डालना भूल गई हो", इतना कह के उसकी कमर से हाथ हटा लिया और मुस्कुराने लगा...
वो तुरंत भागी ताकि सास - ससुर को खाना देने से पहले ऊपर से ही नमक डाल दे, इतने में दिनेश नीचे उतर चुके थे पर सीमा को अफ़सोस होने लगा कि मुझे सासू माँ की डाँट से बचाने के लिए दिनेश बिना नमक कि दाल ही खा गए, आज तक तो उसने फिल्मों मे आसपास हर मर्द को दाल में नमक ना होने पर गुस्सा करते ही देखा था... उसे ऐसा ही तो जीवनसाथी चाहिए था जो छोटी बात और छोटी गलती को छोटा ही रहने दे बेकार में बड़ा बनाकर सबका मूड ना ख़राब करे...
उसे दिनेश पर प्यार आने लगा या यूं कहें प्यार होने लगा, वो झट से बालकनी में गयी कि बाय कर दे, पर मारे प्यार में फ्लाइंग किस दे बैठी मोहन ने भी किस को कैच करके जेब में रख लिया...
और मोटरसाइकिल चालू करके चला गया...
ये सारी हरकते पड़ोस वाली आंटी देख रही थी, और जैसे ही रश्मि कि नज़र उन पर पड़ी वह लाईक का इशारा करके हँसने लगीं...
वो शर्माकर अंदर भाग आई... ससुर जी के रेडियो में गाना बज रहा था
"आजा पिया तोहे प्यार दूँ... गोरी बइयां तोपे वार दूँ" ..."