Anish - Story Collection in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | अनीश - कहानी संग्रह

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अनीश - कहानी संग्रह

1
एक देवरानी और जेठानी में किसी बात पर जोरदार बहस हुई और दोनों में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली और अपने-अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया।
 
थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट-खट हुई। जेठानी तनिक ऊँची आवाज में बोली कौन है, बाहर से आवाज आई दीदी मैं! जेठानी ने जोर से दरवाजा खोला और बोली अभी तो बड़ी कसमें खा कर गई थी। अब यहाँ क्यों आई हो?
 
देवरानी ने कहा दीदी सोचकर तो वही गई थी, परन्तु माँ की कही एक बात याद आ गई कि जब कभी किसी से कुछ कहा सुनी हो जाए तो उसकी अच्छाइयों को याद करो और मैंने
 
भी वही किया और मुझे आपका दिया हुआ प्यार ही प्यार याद आया और में आपके लिए चाय ले कर आ गई। बस फिर क्या था दोनों रोते रोते, एक दूसरे के गले लग गई और साथ बैठ कर चाय पीने लगीं। जीवन में क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता, बोध से
 
जीता जा सकता है।
 
अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है। समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं। हर स्थिति में संयम और बड़ा दिल रखना ही श्रेष्ठ है।
 
 
 
2
लिखकर फाड़ी गई कविताओं में ढूँढ़ना मुझे
मैं तुम्हें तुम्हारी स्मृतियों की गुफाओं में मिलूँगा
तुम्हारी साइकिल के गुच्छे से लटका हुआ
तुम्हारे रास्ते में पेड़ की तरह खड़ा हुआ
किसी कुम्हार की ज़रूरी नींद में जागता हुआ मैं
सो जाऊँगा एक दिन
तुम्हारे नाम लिखी किसी कविता में
 
ऐसे भी जिया जा सकता है जीवन
जैसे तुम्हारे बालों में सजता है गजरा
ऐसे भी मिला जा सकता है
जैसे मिलता है शरीर पंचतत्त्वों में
ऐसे भी बिछड़ा जा सकता है
जैसे बिछड़ती है आँसू की बूँद आँखों से
ऐसे भी याद रखा जा सकता है
जैसे याद रखते हैं हम अपना नाम
ऐसे भी भुलाया जा सकता है
जैसे भूल जाते हैं हम कि हमें मरना भी है
 
प्रेम के पाँव में चुभे हुए काँटों से बनाया ईश्वर
और हृदय में धँसी हुई फाँस ने कवि
प्रेमी किसी चीज़ से बनते हैं
ये ठीक-ठीक न ईश्वर जानता है
और न कवि।
 
 
3
यह गरीब का अंजीर है,, अंजीर जाति पौधा है इसको गुलर (गुलरिया) उम्र के नाम से हम लोग जानते हैं,, यह औषधि गुणों से भरपूर होता है,, पकने पर इसके अंदर कीड़े रहते हैं,, इसे बिना फोड़े साबुत खाया जाता है, इसका एक परीक्षित औषधि उपयोग यह है कि यदि किसी लेडीस को ब्लीडिंग हो रही हो तो एक गूलर को गाय के दूध में पीसकर के खिला दिया जाए तो बिल्डिंग तुरंत रुक जाती है,, अब बरसात का मौसम आने वाला है कृपया खाली जगह में पेड़ जरूर लगाएं,, और पेड़ ऐसे लगाए जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक हो और छोटे-छोटे कीड़े मकोड़ों गिलहरियों जंतुओं की काम आ सके,, जैसे कि गूलर शहतूत नीम पाकर लवेरा आदि,,
वृक्ष धरा के भूषण हैं
करते दूर प्रदूषण है ,,
 
 
 
4
एक समय था जब मोबाइल का जमाना नहीं था तब अधिकांश गांव के लोग घोनसारी में जाते थे भुजा भुजवाने के लिए। छोटे छोटे बच्चे मम्मी या दादी के साथ चल पड़ते थे। दउरी में अनाज लेके घोनसारी में। शाम को आदमी कही भी बैठ के बाते करते हुए भुजा और नींबू वाला मरीचा खाते रहता था। और परदेश रहने वालों के लिए भी भुजा भेजा जाता था। की जब कुछ बनाने का मन ना करे तो वो भुजा खा ले।
 
मगर अब ?