Kile ka Rahashy - 8 in Hindi Horror Stories by mahendr Kachariya books and stories PDF | किले का रहस्य - भाग 8

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किले का रहस्य - भाग 8

वो तीनों खजाने से भरे उस तह खाने में कैद हो गये थे।

मोमबत्तियां भी अब बुझने ही वाली थीं।

तीनों हताश निराश से कभी एक दूसरे को देखते तो कभी खजाने को

कैसी विकट समस्या आ गई थी, तीनों के मोबाइल भी आफ हो चुके थे, अब करें तो क्या करे ?

अमित रोहित अभी मोमबत्तियों के कितने पैकिट और हैं

रोहित अभी पांच और हैं।

अमित दस मोम बत्ती और जला दो

अब ना तो अमित का जासूसी दिमाग काम कर रहा था और ना ही अवंतिका का

हताश होकर वे वहीं धरती पर बैठ गये।

अमित -अवंतिका चिप्स और कोल्ड ड्रिंक निकालो तो।

तीनो वही खा पीकर अपनी क्षुधा शांत करने लगे।

कोल्ड ड्रिंक पीते ही अवंतिका और अमित दोनों का दिमाग

चैतन्य हो उठा।

उनके जासूसी दिमाग में टन्न टन टना टन घंटियां बजने

लगी।

अमित अवंतिका वो रोहित ने जो बक्स में से लाकर लाल

फाइल दी थी ना, जरा देना तो न जाने ऐसा क्यूं लग रहा है कि बाहर जाने का रहस्य भी उस फाइल में कहीं छुपा हुआ

है।

अवंतिका ने अपने बैग में से वो फाइल निकाल कर अमित को दी। अमित ने फइल के एक एक पेज को खोलना शुरु किया और सब पर टार्च की रोशनी डाल डाल कर देखने

लगा। अचानक एक पेज पर जो कि सूचियों के सबसे अंत में था

अमित की निगाह रुक गई।

देखो अवंतिका देखो तो जरा सात रंगों के घेरों के बीच में

पंख बने हुए और नीचे वो ही शाही मोहर है।

इसका क्या मतलब हुआ.......

पंख लगा कर उड़ना हो जाता है......

अवंतिका सोचते हुए- • इसका मतलब समझ गई समझ -

गई

अमित क्या समझ में आया।

अवंतिका ---- यहीं की बाहर जाने का रास्ता पंखों में मिलेगा।

रोहित चारों और घूम कर देखो तो कही पंख नजर आ रहे हैं

क्या रोहित खुशी से उछलते हुए -मिल गये मिल गये। -

अमित - अरे बुद्ध वो तो मूर्ति है।

रोहित मोमबत्ती मूर्ति के पीछे ले जाकर

ये देखो आओ आओ।

दोनों भागकर रोहित के पास गये, देखा स्वर्ण निर्मित एक परी की मूर्ति थी, जिसकी पीठ पर सोने के ही पंख लगे हुए

अमित - अब....

अवंतिका आओ हम पीछे की ओर से इन पंखों का

निरीक्षण करते हैं।

तीनों ने गौर से देखा कि मूर्ति धरती से एटैच्ड है उसे उठा तो

क्या हिला भी नहीं सकते। अवंतिका फिर सोचने लगी उसने पीछे जाकर पंखों को हिलाने की कोशिश की तो कहीं से हल्की सी ध्वनि भी उत्पन्न हुई।

अमित तुम उस दूसरे पंख पर और में इस पंख पर, हम दोनों एक साथ नीचे की ओर दबाव देते हैं, शायद प्रभु ने हमारी और हमारे साथियों की पुकार सुन ली है।

जैसे ही उन दोनों ने उन पंखों को नीचे की ओर दबाया, ठीक सामने की दीवार दो भागों में फट गई।

बिना एक पल की भी देर किये वो तीनों उस दीवार के पार हो लिए उनके दीवार पार करते ही वो दोनों भाग फिर जुड़ गये।

अब वो तीनों उस खजाने वाले तहखाने से मुक्त हो गये थे और वापिस उसी शिव मूर्ति वाले कक्ष में थे।

अमित - जान बची तो लाखों पाये,

वरना क्या पता अगर लखनवा पहरेदारों को लेकर हमें ढूंढने
आता तो क्या पता प्रशासन हमे ही अपराधी मान और जैल में डाल देता।

अवंतिका हां यह भी हो सकता था।

चलो जल्दी इस सुरंग में से निकलते है वो चारों हमारी

प्रतीक्षा

कर रहे होंगे परेशान हो रहे होगे।

अमित - हमारे पास समय बहुत कम है, हमें अब भाग कर ही यह सुरंग पार करनी होगी।

वो तीनों ही सुरंग में भागने लगे।

5 बजने में अभी 5 मिनट बाकी थे और वो तीनों उन चारों के पास आ गये थे।

उन्हें सुरंग से सकुशल बाहर आता देख सभी चारों साथियों

के चेहरे खुशी से खिल उठे।

अमित - चलो, हम पीछे की ओर से वहीं महल की ऊपरी छत चलते है वहीं हम आगे की बातें करेंगे।

पीछे की पगडंडी से छुपते छुपाते चलते हुए वो सब महल की छत पर जा बैठे।

अमित और अवंतिका वार्तालाप में मशगूल थे प्रीती और नियति

बड़ी गौर से उनकी बातें सुन कर जासूसी के गुर सीख रही

थी।

आशीष रोहित और संजू अपनी दूरबीनों से चारों ओर का निरीक्षण कर रहे थे।

अमित --- अवंतिक तहखाने में तो बिल्कुल ऐसा नहीं लगा कि हमसे पहले भी कोई गया होगा।

अवंतिका - हां अमित शायद कल रात वाले आदमी सुरंग . में घुसे ही नहीं क्या हम फिर किले में जाकर तहकीकात

करें।

अमित नहीं अवंतिका अगर उन बिल्ली वाली औरतों - ने ही हमें देख लिया तो हो सकता है प्रशासन में हमारी शिकायत पहुंचा दें, आज रात हम फिर इसी छत पर से चारों ओर की निगरानी

करके काट देंगे और कल और जल्दी होटल से आकर खोज बीन करेंगे।

रात का गहन अंधकार बढ़ता जा रहा था, चमगादड़ो की आवाज़ें वातावरण को अति भयानक बना रही थी।

लेकिन अब उनमें से किसी को कोई भय नही लग रहा था।

सभी रहस्यों पर से तो पर्दा उठ चुका था, बस एक अंतिम राज़ जानना था कि वो गाड़ी वाले आदमी किले में किस जगह जाते हैं, फिर झोंपड़ी में से कैसे प्रकट होते हैं।

तभी आशीष दौड़कर अमित के पास आया।

..अमित वो.... वो.... गाड़ियां ।

अमित ने अपनी दूरबीन निकाल कर देखा, दूर अरावली की श्रेणियों से गाड़ियां रेंगती हुई चली आ रहीं थी।

अमित अवंतिका जैसे ही ये नजदीक आयेंगी हम इनकी

वी डि ओ बना लेंगे।

अवंतिका हां यहीं ठीक होगा।

अमित - सब गौर से सुनो में और अवंतिका नीचे किले की ओर जा रहे हैं, तुम सब होशियारी से यहीं छिपे रहना।

और सभी उन गाड़ियों की वी डि ओ और फोटोज जरूर ले लेना।

अवंतिका अभी उन गाड़ियों के यहां पहुंचने में वक्त लगेगा

इससे पहले हम नीचे किले में जाकर छिप जाते हैं, आज रात हमें यह देखना है ये लोग किले में किस जगह जाते हैं।

और वो दोनों दिलेर फिर चल दिये किले की ओर।

क्या कर लेंगे वो उन आदमियों की जासूसी" जानने के लिये बने रहियेगा अगले भाग में