Takdeer ka khel - 12 in Hindi Fiction Stories by Aarushi Varma books and stories PDF | तक़दीर का खेल - 12

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तक़दीर का खेल - 12

Hello!! I am writing this to let you know that I have not written a story forword in this series for many days and secondly, when I read this takdir ka khel myself, I realized that there are many flaws in it and which are difficult to correct, and I just changed 1 thing that is, Neel is the only one whose posting is new as IPS officer as investigation officer and not in CID Bureau but in Mumbai Police.

So please consider this thanks for reading

-Aarushi

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रिया : चलो ये तो समझ आया कि, सौम्याजी को हार्ट की बीमारी थी और 6 7 महीने से वो अपने डॉक्टर को दिखाने नही गई थी, पर रोहन तुम इंस्पेक्टर दयाल से मिलने क्यों गए थे? उनका इस केस से क्या ताल्लुक है?

रोहन: ऑफिसर, मैंने जब रणधीर का कमरा चेक किया जो पहले शायद उसका और उसकी पुरानी वाइफ का था, वहा मुझे एक ड्रोवर में रणधीर के साथ इंस्पेक्टर दयाल का फोटो मिला। तो मैंने सोचा चलो उनसे बात करी जाए शायद कुछ पता चलेगा।

नील: oh!! ये अच्छा किया तूने अब बता कुछ पता चला?

रोहन : हां, रणधीर जब गुजर गया था, उसी साल उसे कुछ 30 लाख का बड़ा नुकसान हुआ था और वो कर्ज में आ गया था। और अजीब बात ये है की, अचानक से वो 2 3 महीने में पूरे कर्ज से बाहर भी आ गया और उसका जो नुकसान हुआ था वो भी भरपाई हो गया। और जब एक दोस्त के नाते इंस्पेक्टर दयाल ने रणधीर को पूछा कि ये सब ऐसे अचानक कैसे हुआ? तो रणधीर ने सिर्फ उन्हें बताया कि कोई दोस्त ने उसकी मदद की थी। और उसके 5 7 महीने बाद ही रणधीर गुजर गया। तब इंस्पेक्टर दयाल को शक हुआ था उन्होंने कुछ छानबीन करने की कोशिश भी की पर कुछ पता नहीं चला।

अभी: oh! ये देखो, ये रिंग और ये घड़ी जिसने भी डेविड को पोहचाई है हो ना हो वही रणधीर का वो दोस्त है। (वो रिंग और घड़ी दिखाते हुए उसकी और नील की जो पूछताछ हुई थी डेविड और नंदिनी से वो बताता है। )

नील: और हो सकता है की खूनी ने बचने के लिए ये सब किया ताकि वो नंदिनी के सौम्या के ऊपर शक का फायदा उठा सके।

रिया: तो क्या उसने रणधीर को भी मारा है?

अभी: नहीं वो तो सच नहीं हो सकता क्योंकि तब इंस्पेक्टर दयाल जैसे काबिल ऑफिसर को भी कुछ हाथ नही लगा था।

नील: ऐसा भी तो हो सकता है की उनसे कोई कड़ी छूट गई हो?

रोहन : हो सकता है। अब हमे विराज और नंदिनी से इस रणधीर के दोस्त के बारे में पूछना पड़ेगा।

(तभी चित्रा का कॉल आता है नील को)

नील: हां चित्राजी बोलिए।

चित्रा: ऑफिसर आप को कल सुबह तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल जायेगी।

नील: okay.

..........

अभी: तो नील, फिर से चले, पूछताछ के लिए?
नील: हां चलो अब इस दोस्त का तो पता लगाना पड़ेगा।
रोहन: और ऑफिसर रिया हम....
रिया : हां, विराज को बुला लो।

...............

(हर्ष और आरोही हर्ष के लिए कपड़े खरीदने के बाद बीच पर घूम रहे है)

हर्ष: आरोही, बस करो यार, अरे... इतना दूर जाओ मत, समंदर में...

आरोही : अरे यार, मैं यहां बचपन से आती हू मुझे पता है, कितना दूर सलामत है।

हर्ष : फिरभी...(वो आरोही का हाथ पकड़ के उसे किनारे की रेत की तरफ ले जाता है। और देखता है की उसके हाथ में उसका ब्रेसलेट नहीं था जो उसे अशोक ने दिया था।)

आरोही: डॉक्टर यार, क्या तू भी, तूझे बिलकुल ही समंदर की लहरों का मजा लेना नहीं आता।

(हर्ष उसका हाथ पकड़ के वहा किनारे के पास जो बेंच थी वहा ले जाता है। और इशारा करता है समंदर की तरफ जहां क्षितिज की रेखा में आसमान और जमीन मिल रहे है और सूरज अस्त हो रहा होता है)

हर्ष : वो देखो, अगर तुम वही लहरों के साथ रहती तो, ये सनसेट जो तुम शांति से देख रही हो, वो मिस हो जाता न?

आरोही: wow!!, Beautiful view..

हर्ष: और हां, तेरा ब्रेसलेट कहा गया?

आरोही: पता नही यार, खो गया है कही।

हर्ष: ओह कोई बात नही कही घर में ही होगा मिल जायेगा।

आरोही: हां।

हर्ष: आरोही, तुम्हे पता हैं? हमेशा लाइफ में भागना जरूरी नहीं है, कभी ठहर जाया करो।

(आरोही कुछ नही बोलती और सिर्फ एक नजर हर्ष की और देखती है और फिर सनसेट की खूबसूरती को निहारती है। और सूर्य के अस्त होते होते पूरे दिन की थकान की वजह से आरोही हर्ष के कंधे पर सर रख कर सो जाती है।)

हर्ष: (उसके बालो की लट को ठीक करता है और मुस्कुराके बोलता है) Stupid girl...

(थोड़ी देर में अशोक का कॉल आता है आरोही को, आरोही उठ न जाए इसलिए हर्ष जल्दी से कॉल पिक करता है।)

हर्ष: हेलो अंकल।

अशोक: चलो बेटा अब दोनो आ जाओ, वापस होटल।

हर्ष : ok uncle.


.......................

(पूछताछ भी खत्म हो गई, और वर्किंग hours भी, फिर भी सभी अब भी केस के बारे में बात कर रहे थे।)

रिया: विराज को तो रणधीर के उस दोस्त के बारे में कुछ भी नही पता है।

नील: और नंदिनी को भी कुछ नहीं पता है।

(तभी सनी और रवि आते है)

सनी रवि : जय हिंद।

All : जय हिंद।

सनी : नील सर जैसे आप ने कहा था मैं, उस लेटर की जो आपको नंदिनी जी ने दिया था, उसके बारे में पता लगा कर आया हूं।

नील: क्या?
सनी: सर, उसमे जो हैंड राइटिंग है वो, सौम्या जी की है। मैने fsl जाके भी कन्फर्म किया।

नील: ये कैसे हो सकता है? अगर हमने जैसा सोचा वैसे वो रणधीर का दोस्त इन सब के पीछे है तो हैंड राइटिंग सौम्या की?

अभी : ये तो सच में उलझता जा रहा है।

रोहन: हां। चलो यार अब वैसे भी देर हो गई है बाकी का काम कल करते है।

रिया: हां।

(सभी अपने अपने घर जाते है।)


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