my diary in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | मेरी डायरी

Featured Books
Categories
Share

मेरी डायरी

सरिता के विवाह की तैयारी जोरो - शोरों से चल रही थी... मेहमान आ गये थे... घर में बहुत रौनक थी... पर पिताजी का तो दिल बैठा जा रहा था कि कैसे रहूँगा अपनी प्यारी बेटी के बिना... माँ के भी आँसू नही थम रहे थे...।
आज विवाह का दिवस भी आ गया था... फेरे ले रही थी प्यारी बच्ची... एक के बाद एक करके सब रस्में हो गयी अब बारी थी विदाई की रस्म निभाने की... सच... दिल के टुकड़े को विदा करना बहुत बड़ा दिल करना पड़ता है...।
पिताजी - माँ के सरिता के गले लग के आँसू नही थम रहे थे तभी सरिता ने अपनी सखी पायल को कुछ लाने अंदर भेज दिया... सभी सोच में थे कि क्या...?
तभी पायल ने एक सुंदर सी डायरी लाकर सरिता के हाथ में सौंप दी... (उस लिखा था - मेरी डायरी) तो पिताजी ने कहा... सरिता बेटा ये क्या है...?
सरिता ने कहा कि... पिताजी जब मैं विद्यालय जाती थी तो मैं विद्यालय में क्या व कैसा कर रही हूँ उसके लिये डायरी में अध्यापिका जी लिखकर देती थी और आप व माँ हर महीने अपने हस्ताक्षर करते थे.... वो आपकी सहमति होती थी कि आप हमेशा मेरे साथ है...।
आज जब मैं नयी दुनिया में कदम रख रही हूँ तो आप दोनो इस डायरी में अपने हस्ताक्षर कीजिये व आज मैं यह चाहती हूँ कि मैं अपने ससुराल में कैसे रह रही हूँ... उनका व्यवहार मेरे साथ कैसा है मैं हर दिन की बातें उसमें लिखा करूँगी और जब भी मैं पीहर आऊँगी तो उसमें आप दोनो के हस्ताक्षर कराऊँगी...।
वैसे तो आज वक्त बदल गया है फिर भी बहुत से ऐसे लोग है जो आज भी बहू - बेटियों को सताते है व मार भी डालते है... तो जब आज मैं सबके सामने ये डायरी ले जा रही हूँ... उसमें मैं मेरे साथ हुआ अच्छा - बुरा सब लिखूँगी और अगर मेरे साथ गलत होता है तो ये डायरी गवाही देगी... अगर डायरी नही मिली तो भी समझ आ जायेगा कि सबूत थी वो डायरी इसलिये गायब हो गयी... मैं तो कहूँगी कि ये नयी सोच हर बेटी को अपनाना चाहिये... अपनी विदाई के समय साथ में एक डायरी भी ले जाना चाहिये...।
सरिता की बातें सुन सभी अवाक रह गये तभी सागर ( सरिता का पति ) आगे आया और बोला... पिताजी - माँ जी मैं भी सरिता की नयी सोच से सहमत हूँ... आप इस डायरी में अपने हस्ताक्षर करके हमें दीजिये... हर बार जब भी सरिता आयेगी तो सबसे पहले डायरी देखना मत भूलियेगा...।
दोनो ने अपने हस्ताक्षर के साथ सरिता को विदा किया... अब दिल दुखी तो था पर बेटी की सोच पर फक्र व दिल में सुकुन था... सरिता ने मेरी डायरी को दिल से लगाये विदा हो गयी...।
 
 
दोनो ने अपने हस्ताक्षर के साथ सरिता को विदा किया... अब दिल दुखी तो था पर बेटी की सोच पर फक्र व दिल में सुकुन था... सरिता ने मेरी डायरी को दिल से लगाये विदा हो गयी...। मेरी डायरी ही जीवन की गवाही की डायरी बनी