बॉलीवुड की कुछ सुनी अनसुनी
आज बॉलीवुड दुनिया के शीर्ष फिल्म इंडस्ट्रीज में गिना जाता है . अपने ही देश की माया नगरी में स्थित बॉलीवुड भी एक माया जाल है . हिंदी की सर्वाधिक फ़िल्में यहीं बनती हैं . ज़ाहिर है इन फिल्मों और फिल्मों में काम करने वाले सितारों के बारे में जानने की इच्छा भी लोगों में होती है . आईये इसी संबंध में कुछ बातें करते हैं , शायद कुछ आपने सुनी हों तो कुछ आपके लिए अनसुनी भी हो सकती हैं .
1 . यह हम सभी जानते हैं कि बॉलीवुड हमारे महाराष्ट्र प्रांत के मुंबई में स्थित है . बॉलीवुड दो शब्दों के मिश्रण से बना है - बॉम्बे के “ बॉ “ ( आज का मुंबई ) और अमेरिकी फिल्म ‘ इंडस्ट्री हॉलीवुड ‘ के “ लीवुड “ को जोड़ कर . दरअसल हिंदी फिल्म जगत का नामकरण बॉलीवुड 1970 में हुआ था . दूसरे शब्दों में इसे इंडिया का हॉलीवुड कहा जा सकता है .
2. दरअसल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ( जिसे अब हम बॉलीवुड कहेंगे ) हॉलीवुड से ज्यादा पुराना है . बॉलीवुड में पहली लघु फिल्म 1899 में बनी थी जबकि हॉलीवुड की पहली फिल्म 1910 में बनी . फिर हॉलीवुड से प्रभावित हो कर इसे हम बॉलीवुड क्यों कहते हैं , पता नहीं .
3 . बॉलीवुड में सर्वप्रथम बनी कुछ फ़िल्में - 1897 में कलकत्ता ( अब के कोलकाता ) के स्टार थियेटर में फिल्म निर्माता स्टीवेंसन ने एक स्टेज शो प्रस्तुत किया था . स्टीवेंसन के कैमरा और उन से प्रोत्साहित हो कर एक फोटोग्राफर हीरालाल सेन ने उस शो के कुछ फिल्म बनाये “ फ्लावर ऑफ़ पर्शिया “ . इसके बाद 1899 में एच एस भटवडेकर ने कुश्ती मैच पर एक लघु फिल्म या डाक्यूमेंट्री बनायी ‘ द रेसलर्स ‘ .
4 . पहली फुल लेंथ भारतीय फिल्म 1912 में बनी जिसका नाम ‘ श्री पुंडलिक ‘ था और इसके बाद 1913 में दादा साहब फाल्के की फिल्म ‘ राजा हरिश्चंद्र ‘ बनी . तब मूक फ़िल्में ( साइलेंट मूवीज ) बनती थीं .
5 . हिंदी की पहली साउंड फिल्म ‘ आलम आरा ‘ ( जिसका अर्थ हुआ दुनिया का गहना ) 1931 में बनी जिसका निर्देशन अर्देशिर ईरानी ने किया था .
6 . विश्व में सर्वाधिक फ़िल्में बॉलीवुड में ही बनतीं हैं , यहाँ औसतन प्रतिवर्ष 1200 फ़िल्में बनतीं हैं जबकि हॉलीवुड में लगभग इस से आधी या सम्भवतः उस से भी कम . हालांकि हॉलीवुड कम फ़िल्में बनाने पर भी दुनिया का सर्वाधिक शक्तिशाली फिल्म इंडस्ट्री माना जाता है . 2020 में यहाँ की कमाई करीब 2130 करोड़ अमेरिकी डॉलर रही थी . इसके अतिरिक्त गौर तलब बात यह है कि Covid 19 के बाद फ़िल्मी दुनिया के ग्रोथ में हॉलीवुड का योगदान लगभग 81 % रहा है .
हालांकि बॉलीवुड में ज्यादा फ़िल्में बनती हैं , दर्शकों की संख्या भी ज्यादा होती है और देश भर में सिनेमा की औसतन प्रतिवर्ष 280 करोड़ टिकटें बिकती हैं फिर भी कमाई के मामले में हॉलीवुड की तुलना में बहुत पीछे है . इसका मूल कारण यहाँ टिकटों का मूल्य कम होना है .
बॉलीवुड फिल्मों की सफलता में उनके गानों का अच्छा योगदान रहता है . फिल्म की रिलीज के पहले अक्सर उनके अच्छे गानों को रिलीज कर दर्शकों को लुभाया जाता है . बरसात में या अन्यथा भीगे कपड़ों में नायिका का नाच गाना या फिर आइटम सॉन्ग अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में दर्शकों को आकर्षित करने के लिए रखा जाता है , भले ही कहानी से उसका कोई लेना देना नहीं हो .
सभी बॉलीवुड फ़िल्में भारतीय हैं पर सभी भारतीय फ़िल्में बॉलीवुड की नहीं हैं . यहाँ बॉलीवुड के अलावा प्रांतीय और क्षेत्रीय भाषाओं में भीअच्छी फ़िल्में बनती हैं , जैसे - तमिल , तेलगु , बंगाली , गुजराती , मलयालम उड़िया , भोजपुरी आदि . बॉलीवुड फ़िल्में सबसे ज्यादा प्रचलन में हैं और पसंद की जाती हैं हालांकि अब अन्य भाषाओं की फ़िल्में भी हिंदी में डब्ड कर अच्छी कमाई करती और बॉलीवुड को चैलेंज करती दिख रहीं हैं . फिर भी निर्माण , दर्शकों की संख्या और कमाई के मामले में बॉलीवुड अभी सबसे आगे है .
9 . बॉलीवुड में बनीं फ़िल्में लम्बी होती हैं - आमतौर पर बॉलीवुड की फ़िल्में हॉलीवुड की तुलना में ज्यादा लम्बी होती हैं . जहाँ हॉलीवुड की आधी से ज्यादा फ़िल्में 96 से 120 मिनट लंबी होती हैं बॉलीवुड की फ़िल्में औसतन 150 मिनट की होती हैं . हॉलीवुड की लोकप्रिय फिल्मों की औसतन लम्बाई 101 मिनट है .
इस से काफी ज्यादा लंबी फ़िल्में हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों में बनती आयीं हैं . जहाँ हॉलीवुड की ‘ द लार्ड ऑफ़ रिंग्स , क्लिओपेट्रा , हैमलेट , हैप्पी ऑवर , कार्लोस , गॉड्स ऑफ़ जेनरल्स आदि अनेक फ़िल्में 4 घंटे से ज्यादा की हैं वहीँ दूसरी तरफ बॉलीवुड की ‘ संगम और मेरा नाम जोकर दोनों लगभग 4 घंटे की फ़िल्में थीं और दोनों में दो इंटरवल थे . इसके अतिरिक्त LOC कारगिल 255 मिनट की सर्वाधिक लम्बी फिल्म थी . ‘ गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ‘ मूवी 5 घंटों से भी ज्यादा लम्बी फिल्म थी जिसे कोई भी सिनेमा हॉल दिखाने को तैयार नहीं था , इसलिए इसे दो किश्तों में रिलीज किया गया . टेली फिल्म ‘ तमस ‘ भी करीब 5 घंटे की थी .
‘ अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ‘ का टाइटल सॉन्ग अब तक का सबसे लंबा गाना रहा है जो 20 मिनट का था और जिसे फिल्म में तीन किश्तों में फिल्माया गया है .
10 . सुनील दत्त फिल्मों में आने के पहले रेडियो सीलोन में काम करते थे और नरगिस उनकी पसंदीदा एक्ट्रेस थीं . सुनील उनका इंटरव्यू लेना चाहते थे पर सुना जाता था कि जब नरगिस से उनका सामना हुआ तो उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे और शो कैंसिल करना पड़ा . यह दूसरी बात है कि 1957 में नरगिस ने सुनील दत्त की माँ का रोल अदा किया था . इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान सुनील ने नरगिस को आग से बचा के निकाला था जिसके बाद दोनों में प्यार हुआ और अपने से बड़ी नरगिस से उन्होंने शादी भी की .
देखा जाय तो वहीदा रहमान कभी अमिताभ बच्चन की नायिका बनीं तो कभी उनकी माँ भी . फिल्म ‘ अदालत ‘ में वे बच्चन की नायिका थीं तो फिल्म ‘ त्रिशूल ‘ में उनकी माँ बनीं थीं .
11 . ‘ कहो ना प्यार है ‘ मूवी को सर्वाधिक पुरस्कार मिले हैं . इसे कुल मिला कर 92 पुरस्कार मिले हैं जो गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है .
12 . देविका रानी पहली एक्ट्रेस थीं जिन्हें फिल्म निर्माण में डिग्री मिली थी .
13 . तमिल फिल्म ‘ मूंडरू मुडीचू ‘ में 13 साल की उम्र में श्रीदेवी ने सुपरस्टार रजनीकांत की सौतेली माँ का रोल अदा किया था .
14 . आमिर खान की फिल्म ‘ लगान ‘ एकमात्र ऐसी बॉलीवुड फिल्म है जिसमें सबसे ज्यादा ब्रिटिश एक्टर ने काम किया है .
15 . अनिल कपूर को अपने परिवार के साथ शुरू के दिनों में राज कपूर के गराज में रहना पड़ा था . बाद में वे एक मिडिल क्लास कॉलोनी में रहने लगे और अंततः अपना सुंदर बंगला बनाया .
16 . बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोएचिन के परदादा फ्रांस के विश्व विख्यात एइफ्फेल टावर के निमार्ण के समय चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे .
17 . अशोक कुमार एक्टर बनने के पहले बॉम्बे टॉकीज में लैब असिस्टेंट थे .
18 . बॉलीवुड की फ़िल्में और हिंदी सीरियल्स देख कर अन्य भाषा बोलने वाले भी टूटी फूटी और कामचलाऊ हिंदी बोलना सीख लेते हैं यहाँ तक कि पड़ोसी देशों और अन्य देशों में जहाँ भारतीय बड़ी संख्या में रहते हैं .
19 . श्याम बेनेगल की बहुचर्चित फिल्म ‘ मंथन ‘ तकनीकी रूप से गुजरात के 5 लाख किसानों ने मिल कर बनाया था .
20 . 1964 में आई फिल्म ‘ यादें ‘ के एकमात्र कलाकार सुनील दत्त थे जो गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अंकित है .
21 . फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ एक्टिंग का ‘ फिल्मफेयर अवार्ड ‘ सबसे ज्यादा दिलीप कुमार और शाहरुख़ खान को मिला है , दोनों ने इसे आठ बार प्राप्त किया है .
बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड सबसे ज्यादा नूतन को मिला था 5 बार और मीना कुमारी को 4 बार
22 . शुरू में विवादों में घिरी बहुचर्चित आमिर खान की फिल्म ‘ PK ‘ की शूटिंग के दौरान एक पान वाला हमेशा साथ रहता था जो स्वाभाविक एक्टिंग के लिए आमिर को हमेशा पान खाने को दिया करता था .
23 . डायरेक्टर सुभाष आराधना में 1969 में कैमियो अपीयर हुए थे और उस के बाद अपनी हर फिल्म में उनका कैमियो अपियरेंस होता रहा .
24 . 1957 में बनी वी शांताराम की फिल्म “ दो आँखें बारह हाथ “ का लता द्वारा गया गाना ‘ ऐ मालिक तेरे बंदे हम …. ‘ पाकिस्तान के एक स्कूल का प्रार्थना हुआ करता था .
25 . अमिताभ बच्चन अपने समय के पाबंद थे . शूटिंग शुरू होने के पहले ही सेट पर पहुँच जाते थे यहाँ तक क़ि कभी इतनी जल्दी पहुँच जाते थे कि फिल्मिस्तान स्टूडियो का गेट उन्हें खुद खोलना पड़ता था क्योंकि तब तक गेट कीपर भी गेट पर नहीं होता था .
26 . 1940 में फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं समझा जाता था . कहा जाता है कि प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद का परिचय शादी के समय टेलर ( दर्जी ) कह कर कराया गया और उनकी बारात में उन्हीं की फिल्म ‘ रतन ‘ का धुन बजा था .
27 . मशहूर संगीतकार मदन मोहन एक अच्छे कुक थे और उन्होंने गायक मन्ना डे को एक पसंदीदा व्यंजन पेश कर 1957 की ‘ फिल्म ‘ देख कबीरा रोया ‘ का गीत “ कौन आया मेरे मन के द्वारे “ गाने के लिए प्रोत्साहित किया . यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ था .
28 . फिल्म ’ हीरोइन ‘ के लिए करीना कपूर के लिए दुनिया भर से 130 ड्रेस मंगवाए गए थे . उनका वार्डरोब सर्वाधिक महंगा रहा था .
29 . फिल्म ‘ खलनायक ‘ का गाना “ चोली के पीछे क्या है … “ काफी अश्लील और विवादित मान कर देश भर के दर्जनों राजनीतिक पार्टियों ने इसकी निंदा की थी फिर भी यह गाना फिल्म में रहा था और बहुत लोकप्रिय भी हुआ .
30 . सुनील दत्त ने सबसे ज्यादा डाकू का रोल अदा किया है - 20 फिल्मों में .
31 . 1937 में बनी फिल्म ‘ किसान कन्या ‘ भारत की पहली रंगीन फिल्म थी .
32 . किसी भी फिल्म में सर्वाधिक गानों का रिकॉर्ड फिल्म ‘ इंद्र सभा ‘ का है , इसमें 71 गाने थे .
33 . फिल्म ‘ दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ‘ मुंबई के एक थियेटर में 1000 सप्ताह तक चली थी जो किसी भी बॉलीवुड फिल्म के लिए रिकॉर्ड है .
34 . ‘ बॉलीवुड ‘ शब्द अब अंग्रेजी के ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोश ( डिक्शनरी ) में शामिल है .
35 .’ मुग़ल ए आज़म ‘ का एक गाना ‘ प्यार किया तो डरना क्या …. . ‘ के बारे में कहा जाता है कि 100 से ज्यादा बार लिखने के बाद इसका फाइनल हुआ था . इस गाने के लिए विशेष सेट तैयार किया गया और इसे फिल्माने में करीब एक करोड़ रूपये लगे थे जो एक रिकॉर्ड है जबकि उनदिनों फ़िल्में 10 लाख रुपयों में बन जाती थीं .
किस को किस्मत से क्या फिल्म मिली
कल्ट स्टेटस या ब्रांड विशेष पाने वाली पहली अभिनेत्री ऑस्ट्रेलियाई मूल की एक्ट्रेस नादिया थीं जिन्हें ‘ फीयरलेस नादिया ‘ और ‘ द हंटरवाली ‘ का ख़िताब मिला था .
अपने समय के सदाबहार हीरो देव आनंद इन तीनों फिल्मों के लिए पहली पसंद थे पर उन्होंने इन्हें ठुकरा दिया था - जंगली , तीसरी मंज़िल और ज़ंजीर ; ये तीनों फ़िल्में सुपरहिट थीं .
1962 की प्रसिद्ध हॉलीवुड मूवी ‘ लॉरेंस ऑफ़ अरबिया ‘ का लीड रोल दिलीप कुमार को ऑफर किया गया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया , बाद में यह रोल इजिप्ट के उमर शरीफ को मिला . इस फिल्म एवं कलाकारों को अनेकों ऑस्कर एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया .
बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को कोरियोग्राफर फराह खान ने पहली बार हिमेश रेशमिया के एक म्यूजिक एल्बम में देखा था उस से प्रभावित हो कर उन्हें ‘ ॐ शांति ॐ ‘ में शाहरुख़ खान के साथ हीरोइन का रोल दिया गया था .
वी शांताराम की फिल्म ‘ नवरंग ‘ में जीतेन्द्र को बॉडी डबल का रोल मिला था और वह भी नायिका संध्या के बॉडी डबल का रोल .
लोकप्रिय सुपरहिट मूवी ‘ मैंने प्यार किया ‘ में प्रेम की रोल के लिए पहले बिन्दु दारा सिंह और पीयूष मिश्रा को लेने का विचार था पर बाद में यह रोल सलमान को मिला . यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई .
फिल्म ‘ स्वदेश ‘ का लीड रोल पहले ह्रितिक रोशन को ऑफर किया गया था पर उनके इंकार करने पर यह शाहरुख़ खान को मिला .
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूवी ‘ स्लम डॉग मिलेनियर ‘ के लिए पहले शाहरुख़ खान को लेना था पर बाद में यह रोल अनिल कपूर को मिला
1975 की सुपरहिट ‘ शोले ‘ में खलनायक गब्बर की भूमिका के लिए पहले डैनी डेंज़ोंग्पा को चुना गया था पर बाद में उनकी जगह अमजद खान को लिया गया . इसके बाद अमजद खान भी अपनी एक्टिंग के लिए मशहूर हुए .
इरफ़ान खान ने फिल्म ‘ Piku ‘ के लिए हॉलीवुड की फिल्म का ऑफर ठुकरा दिया था .
मशहूर एवं सुपरहिट मूवी ‘ दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ‘ में नायक की भूमिका की जगह पहले सैफ अली खान को लेना था पर बाद में यह शाहरुख़ की झोली में आयी . ताज्जुब की बात यह भी है कि इस फिल्म के नायक के लिए हॉलीवुड के सुपर स्टार टॉम क्रूज को भी शार्ट लिस्ट किया गया था .
फिल्म ‘ देवदास ‘ में मुख्य भूमिका के लिए पहले सलमान खान का नाम था जिसे बाद में शाहरुख़ खान ने किया .
फिल्म ‘ दिल चाहता है ‘ के लिए अक्षय खन्ना की जगह पहले शिनी आहूजा को लेना था . हालांकि यह भी कहा जाता है कि ओरिजिनल कास्ट में ह्रितिक , अभिषेक और अक्षय खन्ना थे .
फिल्म बर्फी के लिए अनुराग बसु पहले कटरीना कैफ को लेना चाहते थे पर कटरीना के इंकार करने पर उन्होंने इलियाना डी क्रूज को लिया .
कुछ एक्टरों की पहली कमाई
कहा जाता है कि दीपिका पादुकोण ने अपनी पहली फिल्म ‘ ॐ शांति ॐ ‘ के लिए कोई रकम नहीं ली थी .
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को अपनी पहली फिल्म ‘ सात हिंदुस्तानी ‘ के लिए 5000 रुपये मिले . इसके पहले वे तत्कालीन कलकत्ता की शिपिंग कंपनी में 500 रुपये महीने पर काम करते थे .
आजकल एक्टर और एक्ट्रेस की कमाई किसी से छिपी नहीं है , एक फिल्म के लिए वे करोड़ों रूपये लेते हैं .
धर्मेंद्र को 1960 में बनी अपनी पहली फिल्म ‘ दिल भी तेरा हम भी तेरे ‘ के लिए मात्र 51 रुपये मिले थे .
अपने जमाने के सुपर स्टार्स 60 के दशक की फीस भी हजारों में ही थी . कहा जाता है कि दिलीप कुमार पचास हज़ार से एक लाख ( मुग़ल ए आज़म ) , देव आनंद , राजेंद्र कुमार , मनोज कुमार भी करीब 50000 लेते थे जबकि राजेश खन्ना 35 हजार .
तत्कालीन बाल कलाकार ह्रितिक रोशन को फिल्म ‘ आशा ‘ में जीतेन्द्र के साथ डांस के लिए सिर्फ 100 रुपये मिले थे .
शाहरुख़ खान को पंकज उधास के एक कॉन्सर्ट में साथ काम करने के लिए 50 रुपये मिले थे .
नसरुद्दीन शाह को किसी फिल्म में राजेंद्र कुमार के पीछे खड़े रहने के लिए 7. 50 रुपये मिले थे .
प्रियंका चोपड़ा की पहली कमाई 5000 रुपये का चेक था . कहा जाता है आज भी उन्होंने इसे संभाल कर रखा है .
खिलाडी नंबर 1 अक्षय कुमार बैंकाक के रेस्टॉरेंट में शेफ थे और उन्हें 1200 - 1500 रुपये महीने मिलते थे .
भाईजान सलमान खान को ‘ बीबी हो तो ऐसी ‘ में सह नायक के लिए Rs 11000 / तो ‘ मैंने प्यार किया ‘ में हीरो के लिए 75000 रुपये मिले थे .
अपने समय की सुपरहिट मूवी ‘ क़यामत से क़यामत ‘ के लिए आमिर खान को प्रति माह 1000 रूपये की दर से कुल मिला कर मात्र 11000 रूपये मिले .
सोनम कपूर ने संजय लीला बंसाली की असिस्टेंट के रूप में काम शुरू किया और उनकी पगार थी 3000 रुपये .
रोहित शेट्टी एक मशहूर डायरेक्टर हैं जिन्होंने सिंघम , सिंबा , चेन्नई एक्सप्रेस आदि फ़िल्में डायरेक्ट की हैं . वे शुरू में कुकू कोहली के असिस्टेंट थे और उन्हें 35 रुपये प्रतिदिन मिलते थे .
मनोज बाजपेयी नाटक मंच पर सहायक निर्देशक थे जिसके लिए उन्हें करीब 1200 रुपये मिलते थे .
रणदीप हुडा ऑस्ट्रेलिया के एक रेस्टोरेंट में 8 डॉलर प्रति घंटे की दर पर काम करते थे और प्रति डिलीवरी 1. 3 डॉलर मिलता था .
स्वर्गीय इरफ़ान खान बॉलीवुड में आने के पहले बच्चों को पढ़ाया करते और प्रति स्टूडेंट मात्र 25 रुपये फीस लेते थे .
कल्कि कोएचिन लंदन की एक कैफ़े में वेट्रेस का काम करती थीं और उन्हें 40 पाउंड वेतन मिलता था .
डार्क साइड्स ऑफ़ बॉलीवुड
जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह बॉलीवुड के भी दो पहलू हैं , यहाँ भी कुछ डार्क साइड और ग्रे एरिया हैं .
ड्रग्स - कहा जाता है कि यहाँ कुछ एक्टर और एक्ट्रेस ड्रग्स लेते हैं तो कुछ अक्सर ड्रग्स लेते हैं .
सेक्स और कास्टिंग काउच - यहाँ एंट्री के लिए सेक्स और कास्टिंग काउच के किस्से सुनने को मिलते हैं . न्यू कमर्स को अक्सर इसका सामना करना पड़ता है . विगत कुछ दिनों में ‘ मी टू ‘ की काफी चर्चा सुनने में आई थी .
स्ट्रेस - यहाँ सफलता आसानी से नहीं मिलती है . एक्टर्स और एक्ट्रेस के स्ट्रेस या डिप्रेशन के शिकार होने की ख़बरें सुनने को मिलती हैं .
बॉलीवुड स्टार्स की प्रतिष्ठा - दरअसल स्टार एक्टर्स को हम आदर्श मान लेने की गलतफहमी पालते हैं जबकि वास्तव में न कोई मिस्टर या मिस परफेक्ट या इमपरफेक्ट है .
अंतिम दिन कष्टप्रद - अपने ज़माने के कुछ स्टार्स रहे एक्ट्रेस और एक्ट्रेस के अंतिम दिन बहुत मुफलिसी और दर्द भरे रहे हैं , कुछ ऐसे स्टार्स हैं -कुकू , मीना कुमारी , मधुबाला , नलिनी जयंत ,भारत भूषण , परवीन बॉबी , विमि , प्रदीप कुमार ए के हंगल , अचला सचदेव , रूबी म्येर्स ( सुलोचना ), भगवान दादा आदि .
बॉलीवुड एक माया जाल है - देश के कोने कोने से युवा लड़के और लड़कियां अपने मन में रंगीन सपने संजोये यहाँ अपनी किस्मत आजमाने आते हैं . इनमें विरले ही अपने मुकाम पर पहुँच पाते हैं और ज्यादातर को निराशा या बर्बादी ही हाथ लगती है .
निपोटिज्म ( भाई भतीजावाद ) - कहा जाता है कि बॉलीवुड में निपोटिज्म आम बात है . साधारण एक्टिंग के बावजूद स्टार किड्स को फ़िल्में मिलती हैं जबकि अच्छे एक्टर्स को संघर्ष करना पड़ता है या संघर्ष के बाद भी कुछ खास हासिल नहीं होता है ,
चलते चलते
बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की कुछ बातें -
राज कपूर आखिरी बार पर्दे पर 1990 में मराठी फिल्म’ धड़का ’ में स्पेशल अपीयरेंस में दिखे थे जबकि उनकी मृत्यु 1988 में हो चुकी थी .
जलाल आगा और नादिरा के साथ राज कपूर ने 1984 में ब्रिटिश टेली फिल्म KIM में काम किया था .
राज कपूर बतौर एक्टर 1982 की फिल्म ‘ वकील बाबू ‘ में नज़र आये थे .
1947 में राज कपूर की एक फिल्म आई थी - दिल की रानी . इस फिल्म के संगीतकार सचिन देव बर्मन थे . इस फिल्म का एक गाना ‘ कहाँ गया चितचोर …. ‘ स्वयं राज कपूर ने गाया था . उन दिनों उनके चहेते गायक मुकेश गायक के रूप में मशहूर नहीं थे और संगीतकार शंकर जयकिशन का बॉलीवुड में जन्म नहीं हुआ था .
समाप्त