mother's love in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | माँ का प्यार

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माँ का प्यार

माँ का प्यार अनमोल

एक माँ की कहानी...
सर्दियों के मौसम में एक बूढी औरत,
अपने घर के एक कोने में ठंड से तड़फ रही थी।

जवानी में उसके पति का देहांत हो गया था,
घर में एक छोटा - सा बेटा था,
उस बेटे के उज्ज्वल भविष्य के लिए
उस माँ ने घर - घर जाकर काम किया।

काम करते - करते वो बहुत थक जाती थी,
लेकिन फिर भी आराम नही करती थी।
वो सोचती थी जिस दिन उसका बेटा लायक हो जाएगा,
उस दिन वह आराम करेंग।।

देखते - देखते बहुत समय बीत गया,
माँ बहुत बूढी हो गयी और उसके बेटे,
को अच्छी सी नौकरी मिल गयी।
कुछ समय के बाद उसने बेटे की शादी कर दी,
और उसके बेटे व बहू के एक बच्चा हो गया।

अब बूढी माँ बहुत खुश थी कि उसका बेटा लायक हो गया,
लेकिन अब ये क्या हुआ उसके परिवार को,
उसके बेटे व बहू के पास माँ से बात करने तक का,
कुछ भी वक़्त नही होता था,
बस ये फर्क पड़ा था माँ के जीवन में,
पहले वह बाहर के लोगो के बर्तन व कपड़े धोती थी।
अब अपने ही घर में अपने ही बहू - बेटे के।

फिर भी खुश थी क्योंकि औलाद उसकी थी
सर्दियों के मौसम में एक टूटी चारपाई पर,
बिल्कुल बाहर वाले कमरें में एक फटे से
कम्बल में सिमटकर माँ लेटी थी।
और सोच रही थी
आज बेटे को कहूँगी,
"तेरी माँ को बहुत ठंड लगती है
एक नया सा कम्बल ला दे"।

शाम को बेटा घर आया तो माँ ने बोला...
बेटा, मैं बहुत बूढी हो गयी हूँ,
शरीर में जान नही है,
ठंड सहन नही होती मुझे नया सा कम्बल ला दे।
तो बेटा गुस्से में बोला,
इस महीने घर के राशन में और बच्चे के
एडमिशन में बहुत खर्चा हो गया।
कुछ पैसे है पर तुम्हारी बहू के लिए शॉल लाना है
वो बाहर जाती है। तुम तो घर में रहती हो
सहन कर सकती हो
ये सर्दी निकाल लो, अगले साल ला दूंगा...।

बेटे की बात सुनकर माँ चुपचाप सिमटकर
कम्बल में सो गयी अगले सुबह देखा तो
माँ इस दुनियाँ में नही रही...

सब रिश्तेदार, पड़ोसी एकत्रित हुए,
बेटे ने माँ की अंतिम यात्रा में
कोई कमी नही छोड़ी थी।
माँ की बहुत अच्छी अर्थी सजाई थी,
बहुत महंगा शॉल माँ को उढाया था।।
सारी दुनियां अंतिम संस्कार देखकर कह रही थी।
हमको भी हर जन्म में भगवान ऐसा ही बेटा मिले।

मगर उन लोगो को क्या पता था कि
मरने के बाद भी एक
माँ तडफ रही थी...
सिर्फ एक कम्बल के लिए...

माँ का प्यार अनमोल होता है
वो हर दर्द सहकर भी हमें खुश रखती हैं,
खुद भूखी रह लेती हैं पर अपने बच्चों को
कभी भूखा नहीं रहने देती,
अपने बच्चों की जरूरत को पूरा करने के लिए
खुद अपनी जरूरत भूल जाती हैं....

कभी कोई माँ को दुतकारने से पहले 10 बार सोचे
एक माँ, एक नारी के त्याग बलिदान और प्रेम को
समझें और ये भी की आज बूढें माँ - बाप है,
कल वो भी बूढें होंगे...

जो आप आज अपने माँ - बाप के साथ करेंगे
वो कल आपके साथ भी होगा,
फिर चाहें आपने अपने बच्चे को कितने भी
अच्छे संस्कार क्यो न दिये हो...