relationship of seven births in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | सात जन्म का रिश्ता

Featured Books
Categories
Share

सात जन्म का रिश्ता

*सात जन्म का रिश्ता*
 
लीला का पति जवानी में चल बसा आठ साल के इकलौते बेटे के साथ लीला जीवन व्यतीत करने लगी।
उसने पति की अस्थियां गंगा में एक साथ विसर्जित नहीं की हर साल थोड़ी थोड़ी अस्थियां विसर्जित करने जाती रही।
लीला का पति के प्रति प्यार इतना अधिक था कि उसे लगता था कि यदि उसने पूरी अस्थियां गंगा में एक साथ विसर्जित कर दी तो उसके पति को मोक्ष मिल जाएगा या फिर दूसरा जन्म मिल जाएगा तो मैं उससे कैसे मिल सकूंगी।
धीरे धीरे पंद्रह साल बीत गए अस्थियां भी कम होने लगी वह देखकर उतनी ही विसर्जित करती कि यह सालों मेरे साथ चलती रहे।
पढ़ लिखकर बेटा बड़ा अधिकारी हो गया उसका विवाह हो गया लीला बहू बेटे के साथ बड़े मकान में खुशी से रह रही थी।
एक दिन वह अस्थियों का कलश बेटे के सामने निकाल कर बोली बेटा तेरे पिता की अस्थियां इसमें रखी है जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरी अस्थियां इसमें मिलाकर गंगा में विसर्जित कर देना ताकि मैं तेरे पिता के साथ ही रह सकूं।
लीला का पति के प्रति प्रेम और समर्पण देखकर ईश्वर भी द्रवित हो गये। फिर एक दिन अचानक लीला पूजा करते समय इस नश्वर शरीर को छोड़कर चल पड़ी।
उसकी इच्छा अनुसार बेटे ने पिता की अस्थियां और लीला की अस्थियां गंगा में एक साथ विसर्जित कर दी ताकि सात जन्म तक उनका पवित्र रिश्ता बना रहे।
ऐसा किसी भी वेद शास्त्र में नहीं लिखा है कि अस्थियां घर में रखनी चाहिए लेकिन लीला की अपनी सोच थी कि पति के साथ ही इस दुनिया से एक साथ जाऊंगी और इसलिए हर साल पति की याद में थोड़ी थोड़ी अस्थियां गंगा में विसर्जित करती रहीं।
*ऐसा होता है पति - पत्नी के बीच का रिश्ता*